आज से गारबेज सेग्रीगेशन नहीं करने पर लगेगा 10 हजार जुर्माना Chandigarh News
नगर निगम का गारबेज सेग्रीगेशन सिस्टम 12 अक्टूबर से लागू हो गया है। ऐसे में सेग्रीगेशन नहीं करने पर 200 से 10 हजार रुपये तक जुर्माना भरना पड़ेगा।
जेएनएन, चंडीगढ़। अगर आप गारबेज बिन कलेक्टर को देने जा रहे हैं तो गीला और सूखा कचरा पहले ही अलग कर लें। यह सेग्रीगेशन नहीं करने पर 200 से 10 हजार रुपये तक जुर्माना भरना पड़ेगा। नगर निगम का गारबेज सेग्रीगेशन सिस्टम 12 अक्टूबर से लागू हो गया है। ऐसे में गारबेज को एक ही डस्टबिन में भरने की आदत आपके बजट को बिगाड़ सकती है। सेग्रीगेशन सिस्टम में नगर निगम ने रेजिडेंट्स से गारबेज कलेक्टर तक की जिम्मेदारी तय कर दी है। अगर कोई रेजिडेंट घर से ही कलेक्टर को गीला-सूखा कचरा अलग करके नहीं देता है तो उस पर 200 रुपये का जुर्माना लगेगा।
वहीं, अगर गारबेज कलेक्टर रेजिडेंशियल एरिया से सेग्रीगेटेड वेस्ट इकट्ठा करने में असफल रहता है तो उसको दो हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट बायलॉज के तहत यह जुर्माना लगाया जाएगा। इतना ही नहीं, उसका हैजर्ड मिक्स वेस्ट सहज सफाई केंद्र पर बिना सेग्रीगेशन लिया भी नहीं जाएगा। यहीं से डड्डूमाजरा स्थित गारबेज प्रोसेसिंग प्लांट में इसे प्रोसेस के लिए ले जाया जाता है। वहीं, कमर्शियल एरिया में सेग्रीगेशन नहीं किया तो सीधे 10 हजार रुपये जुर्माना भरना होगा।
न जागरूकता और न ही तैयारी, कैसे होगा सेग्रीगेशन
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 11 अक्टूबर तक हर हालत में गारबेज सेग्रीगेशन करने के आदेश नगर निगम को दिए थे। काफी समय होने के बावजूद एमसी ने बजाय तैयारी करने के टालमटौल में समय बर्बाद कर दिया। अब अपनी गर्दन बचाने के लिए बिना तैयारी के ही शहर पर गारबेज सेग्रीगेशन अनिवार्य करने का आदेश थोप दिया है। सेग्रीगेशन होगा कैसे, यह सवाल बना हुआ है।
ई-रिक्शा ली नहीं, रेहड़ी के भरोसे सेग्रीगेशन
नगर निगम ने सभी गारबेज कलेक्टर्स को ई-रिक्शा लेने के आदेश दिए थे। बाकायदा इसके लिए नगर निगम और गारबेज कलेक्टर एसोसिएशन में दिसंबर 2018 में एक एमओयू साइन भी होना था। लेकिन एमसी के ही काउंसलर अपने निजी स्वार्थ के कारण इसमें रोड़ा बनते रहे। यही कारण है कि साल बीतने को है, अभी तक गारबेज रेहड़ी से ही लिया जा रहा है। अब रेहड़ी के भरोसे ही सेग्रीगेशन करवाने की तैयारी भी है। अब रेहड़ी के बीच में फट्टा लगाकर सेग्रीगेशन की बात कही जा रही है। लेकिन यह जुगाड़ कितना कामयाब होता है, शनिवार को ही पता चल जाएगा। गीला वेस्ट रेहड़ी पर कैसे जमा होगा और आकार छोटा होने से भी दोनों तरह का कचरा अलग करना आसान नहीं होगा।
सेग्रीगेशन नहीं होने से फिर स्वच्छता रैंकिंग में पिछडेंगे
स्वच्छता सर्वेक्षण सर्वे में चंडीगढ़ गारबेज सेग्रीगेशन की वजह से ही पिछड़ा था। शहर की स्वच्छता रैं¨कग तीसरे स्थान से सीधे 20वें पायदान पर खिसक गई थी। इस बार भी साल बीतने को है और सेग्रीगेशन जुगाड़ तकनीक से करने की कोशिश शुरू हुई है। इस बार भी शहर की रैंकिंग रामभरोसे ही रहेगी।
बांटे गए एक करोड़ के डस्टबिन नहीं आए काम
एमसी ने लोगों को गीला और सूखा कचरा अलग करने की आदत डालने के लिए हरे और नीले रंग के डस्टबिन नि:शुल्क बांटे थे। करीब एक करोड़ रुपये की राशि इन पर खर्च की गई। लेकिन लोगों ने इन डस्टबिन को कार धोने जैसे दूसरे कामों में लगा लिया। साथ ही कुछ लोगों ने डस्टबिन छोटे होने और ढक्कन नहीं होने जैसे तर्क भी दिए। चंडीगढ़ शहर से रोजाना निकलता है 500 टन कचरा शहर से रोजाना 500 मीट्रिक टन गारबेज निकलता है। इसमें करीब 250 मीट्रिक टन कचरा मिक्स होता है। जिससे इसकी प्रोसेसिंग ही नहीं हो पाती। प्लास्टिक वेस्ट और बायोमेडिकल वेस्ट अलग होता है। अब तो ई-वेस्ट भी खूब निकल रहा है। वेस्ट प्रोसेस नहीं होने से डड्डूमाजरा डंपिंग ग्राउंड में गारबेज का पहाड़ बन गया है। इससे आसपास ही नहीं पूरा शहर दुर्गध और बदसूरती का शिकार है।
यहां भी कसा जाएगा शिकंजा
पांच हजार वर्गमीटर से कम जगह वाले मैरिज हाल, पार्टी हाल, फेस्टिवल हाल, पार्टी लॉन, एग्जीबिशन में गारबेज सेग्रीगेशन नहीं करने पर 10 हजार रुपये जुर्माना -पांच हजार वर्गमीटर से कम जगह वाले क्लब, सिनेमा हाल, पब, कम्युनिटी सेंटर, मल्टीप्लेक्स में कचरा अलग-अलग नहीं किया तो 10 हजार रुपये जुर्माना -पांच हजार वर्गमीटर से कम जगह पर बने अन्य नॉन रेजिडेंशियल एरिया में गीला-सूखा कचरा अलग-अलग नहीं करने पर एक हजार रुपये जुर्माना लगेगा।