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चंडीगढ़ के 10 प्रतिशत लोगों को अस्थमा

स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक सिटी ब्यूटीफुल के 10 प्रतिशत लोगों को अस्थमा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Feb 2020 10:34 PM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 10:34 PM (IST)
चंडीगढ़ के 10 प्रतिशत लोगों को अस्थमा
चंडीगढ़ के 10 प्रतिशत लोगों को अस्थमा

विशाल पाठक, चंडीगढ़ : पीजीआइ चंडीगढ़ के साथ द इंटरनेशनल स्टडी ऑफ अस्थमा एंड एलर्जी इन चाइल्डहुड (आइएसएएसी) की स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक सिटी ब्यूटीफुल के 10 प्रतिशत लोगों को अस्थमा है। इनमें ज्यादातर छह से सात और 13 से 14 साल की उम्र के बच्चों में बीमारी पाई गई है। इंडियन एकेडमी ऑफ एलर्जी की प्रेसिडेंट प्रो. रूबी पवनकर ने बताया कि एलर्जी और अस्थमा का सबसे कारण इन दिनों वायु प्रदूषण और लोगों का बदलता लाइफस्टाइल है। जिससे लोगों में एलर्जी और अस्थमा की शिकायत बढ़ती जा रही है। शुक्रवार को आइएएसीओएन-2020 के दौरान पीजीआइ चंडीगढ़ और देशभर के अन्य अस्पतालों के कई सीनियर डॉक्टरों ने अस्थमा और एलर्जी पर अपने अनुभवों को साझा किया। इस दौरान पीजीआइ की सीनियर डॉ. मीनू सिंह, डॉ. सौम्या एमएस, डॉ. रूबी पवनकर, डॉ. अमित अग्रवाल और डॉ. राजा धार ने अस्थमा और एलर्जी पर अपने अनुभवों को साझा किया। 20 प्रतिशत लोगों की हर साल अस्थमा से हो रही मौत

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प्रो. रूबी पवनकर ने बताया कि भारत में हर साल 20 प्रतिशत लोगों की अस्थमा के कारण मृत्यु हो रही है। अस्थमा को लेकर लोग बिलकुल भी जागरूक नहीं हैं। अकसर लोगों में यह धारणा पाई जाती है कि जब उनकी सांस फूलने या दम घुटने लगे। तभी वह अस्थमा आदि की जांच कराते हैं। तब तक 80 प्रतिशत लोग अस्थमा की गिरफ्त में आ चुके होते हैं। जिससे बाद में अस्थमा का पता लगने पर केवल उसे कंट्रोल करने के लिए इनहेलर का प्रयोग या अन्य दवाइयों से सिर्फ रोकथाम की जा सकती है। शहर में अस्थमा के मरीजों में पांच प्रतिशत तक वृद्धि

पीजीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक शहर में पिछले 10 साल में अस्थमा के मरीजों की संख्या पांच प्रतिशत तक वृद्धि हुई है। पीजीआइ एडवांस पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की सीनियर प्रोफेसर मीनू सिंह ने बताया कि कुछ साल तक बच्चों में अस्थमा होना साधारण बात थी। शहर में पिछले कई साल में अस्थमा के मरीजों में पांच प्रतिशत तक वृद्धि हुई है। ज्यादातर बच्चों और वयस्क लोगों को वायु प्रदूषण और बदलते लाइफस्टाइल की वजह से अस्थमा हुआ है। पैरासिटामोल और क्रोसिन जैसी दवाइयां भी अस्थमा का कारण

डॉ. मीनू ने बताया कि पैरासिटामोल और क्रोसिन जैसी दवाइया भी अस्थमा का कारण बनती जा रही हैं। इन दवाइयों को अकसर बुखार के लिए सबसे सेफ मानते हैं। पीजीआइ में हुई स्टडी के मुताबिक यह मेडिसन अस्थमा होने की भी एक वजह है। डॉ. मीनू ने बताया कि बच्चों में अस्थमा बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं। जिसे लेकर अभी स्टडी की जा रही है। लेकिन वायु प्रदूषण, एंटी बायोटिक्स और बुखार में दी जाने वाली पैरासिटामोल का ज्यादा इस्तेमाल अस्थमा का कारण बन रहा है।


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