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हैनरी ड्यूना के जन्मदिवस की याद में मनाया जाता है रेडक्रास दिवस

दुनिया भर में पीड़ितों व असहाय लोगों का दुख-दर्द दूर करने के लिए सदैव तैयार रहने वाली रेडक्रास संस्थाओं के इतिहास में आज का दिन बड़ा महत्वपूर्ण है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 10:52 PM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 10:52 PM (IST)
हैनरी ड्यूना के जन्मदिवस की याद में मनाया जाता है रेडक्रास दिवस
हैनरी ड्यूना के जन्मदिवस की याद में मनाया जाता है रेडक्रास दिवस

जागरण संवाददाता, बठिडा : दुनिया भर में पीड़ितों व असहाय लोगों का दुख-दर्द दूर करने के लिए सदैव तैयार रहने वाली रेडक्रास संस्थाओं के इतिहास में आज का दिन बड़ा महत्वपूर्ण है। 8 मई का दिन रेडक्रास के संस्थापक हैनरी डयूना के जन्मदिन की याद में विश्व रेडक्रास दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस वर्ष इस दिवस को मनाने के लिए रेडक्रास की अंतरराष्ट्रीय कमेटी आफ रेडक्रास, इंटरनेशनल फेडरेशन व रेड क्रीसेंट सोसायटीज की ओर से थीम साथ में हम अजय हैं चुना गया है।

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नेशनल अवार्डी व रेडक्रास के फ‌र्स्ट एड ट्रेनर नरेश पठानिया ने बताया कि रेडक्रास का मिशन मानवीय जिदगी व सेहत को बचाना है। कोरोना महामारी के इस दौर में विश्व भर में रेडक्रास संस्थाएं कोरोना पीडि़तों को राहत पहुंचा रही हैं। इस संस्था का जन्म युद्ध की पृष्ठभूमि में हुआ था। इसके जन्मदाता स्विट्जरलैंड शहर जिनेवा के निवासी हैनरी डयूना थे। वर्ष 1859 में सोल्फेरिनो के एक भयंकर युद्ध में चालीस हजार से भी अधिक सैनिक मारे गए या घायल हुए थे। घायलों एव मृत सैनिकों की यह दशा देखकर हैनरी का हृदय विचलित हुआ। सब कुछ भूल हैनरी ने गांव वासियों की मदद से घायल सैनिकों की मरहम पट्टियां और सेवा संभाल की। इसके फलस्वरूप कई सैनिकों की जान बच गई। हैनरी ने एक किताब ए मैमरी आफ सोल्फेरिनो लिखी और प्रत्येक देश में ऐसी सहायता समितियां बनाने का विचार रखा जो युद्ध स्थल में घायलों या पीडि़त सैनिकों की मदद करें। स्विस सरकार ने रेडक्रास की अंतरराष्ट्रीय समिति का गठन किया। इसका लक्ष्य युद्ध में घायल सैनिकों व नागरिकों की रक्षा करना था। भारत में रेडक्रास ने 1920 में काम शुरू किया। पठानिया ने बताया कि संसार भर में सेवा की जो नींव हैनरी ड्यूना ने सोल्फेरिनो की जंग में रेडक्रास के रूप में रखी, उसी सेवा का बीज पंजाब की पवित्र नगरी आनंदपुर साहिब के रणक्षेत्र में श्री गुरु गोबिद सिंह के सिख भाई घनईया ने भी ना को बैरी नहीं बैगाना के सिद्धांत पर चलते घायलों को पानी पिला और मरहम पट्टियां करके बोया था। यह दिन उस महान आत्मा को भी समर्पित है। कोरोना महामारी के दौरान लोगों की सेवा में लगे एनजीओ, रेडक्रास के स्वंयसेवको और हेल्थ केयर में काम कर रहे फ्रंटलाइन वर्करज को यह संस्था प्रणाम करती है।


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