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नेताओं की राह में रोड़े बन सकते हैं जिले के अधूरे प्रोजेक्ट

विधानसभा चुनाव 2017 से पहले जिन प्रोजेक्टों के कांग्रेस सरकार में बनने की उम्मीद थी वह आज भी अधूरे रह गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 02:53 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 02:53 AM (IST)
नेताओं की राह में रोड़े बन सकते हैं जिले के अधूरे प्रोजेक्ट
नेताओं की राह में रोड़े बन सकते हैं जिले के अधूरे प्रोजेक्ट

जासं, बठिंडा: विधानसभा चुनाव 2017 से पहले जिन प्रोजेक्टों के कांग्रेस सरकार में बनने की उम्मीद थी, वह आज भी अधूरे रह गए हैं। कई प्रोजेक्ट तो ऐसे हैं, जो बीते कई सालों से पेंडिग ही चल रहे हैं, जबकि अब राजनेता ऐसे मुद्दों को लेकर वोट मांगने के लिए भी जाएंगे। अधूरे प्रोजेक्ट नेताओं के रास्ते में रोड़ा बन सकते हैं।

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बठिडा में बनने वाले मल्टीस्टोरी बस स्टैंड का प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए टेंडर लगाया, जिसको 11 जनवरी को खोला जाना था, लेकिन आठ जनवरी को चुनाव आचार संहिता लगते ही यह बीच में ही रुक गया। इसके अलावा किसानों को खराब हुई नरमा की फसल का मुआवजा भी पूरा नहीं मिला। अब किसान संगठन कभी एसडीएम दफ्तर तो कभी डीसी दफ्तर के आगे धरने लगा रहे हैं। वहीं बठिडा की रिग रोड फेज 1 का काम आज भी 21 साल बाद भी अधूरा ही पड़ा है। यहां तक कि बहुत से प्रोजेक्ट तो ऐसे हैं, जो अकाली भाजपा सरकार के समय से भी अधूरे पड़े हैं। इन प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए नेताओं ने लोगों से वादे किए थे। ताकि यह पूरे कर बदलाव लाया जा सके। लेकिन यह प्रोजेक्ट पूरे होकर बदलावा तो नहीं लाया जा सका। मगर अब सरकार बदलने के फिर से आसार बन गए हैं। रिग रोड: साल 2001 से पेंडिग चल रही रिग रोड का निर्माण बेशक शुरू हुआ, लेकिन निर्माण आज भी अधूरा है। इसको पूरा करने के लिए 40 के करीब घरों को दूसरी जगह पर शिफ्ट करने की योजना थी। मगर बीडीए की तरफ से इसकी डीपीआर ही तैयार की गई। मगर फाइल आगे नहीं बढ़ पाई।

सिविल स्टेशन एरिया: बठिडा के सिविल स्टेशन एरिया को तोड़कर यहां पर कमर्शियल हब बनाने के लिए प्लानिग हुई। इसके लिए सारी औपचारिकताएं भी पूरी कर ली गई। इसकी फाइल को बनाकर चंडीगढ़ भी भेजा गया, लेकिन फाइल पास नहीं हो पाई।

बस स्टैंड: साल 2007 से पेंडिग चल रहे बठिडा के बस स्टैंड का दो बार नींव पत्थर भी रखा जा चुका है। अब नगर निगम ने प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए टेंडर लगाया, जिसको 11 जनवरी को खोला जाना था, लेकिन यह यह बीच में ही रुक गया।

बायो एथेनाल प्लांट: गांव मेहमा सरजा में पराली से बायो एथेनाल बनाने के लिए 21 जून 2017 को नींव पत्थर रखा गया। ऐसे पंजाब में 200 प्लांट लगाने थे। लेकिन पांच साल तक वातावरण क्लीयरेंस लेने के लिए फाइलें इधर उधर घूमती रही। ऐसे में पंजाब का बठिडा में लगने वाला पहला प्लांट भी शुरू नहीं हो पाया।

पीपीसीबी की लैब: बठिडा के माडल टाउन फेज 3 में पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से अपनी हाईटेक लैब स्थापित करने की प्लानिग की गई। इसके लिए सारी कागजी कार्रवाई पूरी कर फाइल को चंडीगढ़ भेजा गया, लेकिन आज तक इस प्रोजेक्ट के लिए बजट पास नहीं हो पाया। इसकी डीपीआर भी तैयार हो चुकी है। यह प्रोजेक्ट भी रहे अधूरे

- कैंसर अस्पताल की अपग्रेडेशन को लेकर बेशक डाक्टरों की भर्ती तो हुई, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्टर की अस्पताल में आज भी कमी है।

- बठिडा की माल रोड को अमृतसर की तर्ज पर फूड स्ट्रीट बनाना था, लेकिन इस पर आज तक काम शुरू नहीं हुआ।

- भुच्चो मंडी में युवाओं के लिए नेशनल लेवल के कालेज का निर्माण किया जाना था, लेकिन आज तक कोई काम शुरू नहीं हो सका।

- बठिडा में मेगा इंडस्ट्रियल पार्क डेवलप करने का ऐलान हुआ। साल बीत जाने के बाद भी पार्क बनाने पर कोई चर्चा नहीं हुई।


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