धान की सीधी बिजाई का सफल रहा तजुर्बा, बराबर निकल रहा झाड़
जिले भर में इस साल पहली बार हुई धान की सीधी बिजाई का तजुर्बा पूरी तरह से सफल रहा है। मजबूरी में की गई इस बिजाई के दौरान हालांकि किसान झाड़ को लेकर बेहद आशंकित थे। उन्हें डर था कि हाथों से की गई रोपाई के मुकाबले में सीधी बिजाई का झाड़ कम निकलेगा। किसानों की यह आशंकाएं निराधार ही साबित हो रही हैं।
सुभाष चंद्र, बठिडा : जिले भर में इस साल पहली बार हुई धान की सीधी बिजाई का तजुर्बा पूरी तरह से सफल रहा है। मजबूरी में की गई इस बिजाई के दौरान हालांकि किसान झाड़ को लेकर बेहद आशंकित थे। उन्हें डर था कि हाथों से की गई रोपाई के मुकाबले में सीधी बिजाई का झाड़ कम निकलेगा। किसानों की यह आशंकाएं निराधार ही साबित हो रही हैं। इन दिनों धान की कटाई का काम जोरों से शुरू हो चुका है। इसमें सीधी बिजाई और हाथों से की गई रोपाई की दोनों ही फसलें शामिल हैं। दोनों ही तरह की फसलें मंडियों में पहुंचने लगी हैं। इस दौरान दोनों का झाड़ बराबर ही निकल रहा है।
कोरोना संक्रमण काल के चलते मई माह में अधिकतर प्रवासी श्रमिक अपने-अपने प्रदेश चले गए थे। इसके कारण जून-जुलाई में धान की रोपाई के लिए श्रमिकों की कमी पैदा हो गई थी। उनकी कमी के कारण जहां जिले भर में नरमा की बिजाई अधिक हुई, वहीं धान के कुल रकबे में से करीब 42 फीसद रकबे में मशीनों के साथ सीधी बिजाई की गई। बहुतेरे किसानों ने समय से पहले ही सीधी बिजाई कर डाली थी। उन्हें डर था कि अगर धान की रोपाई के सीजन के दौरान श्रमिक नहीं मिले तो बड़ी दिक्कत हो जाएगी। इसलिए काफी किसानों ने निर्धारित समय से पहले ही सीधी बिजाई करनी शुरू कर दी थी। इस दौरान उनके मन में यह भी भय था कि हाथों से रोपाई के मुकाबले में सीधी बिजाई का झाड़ कम निकलेगा। यह भय इसलिए भी था कि किसान पहली बार तजुर्बे के तौर पर सीधी बिजाई कर रहे थे। अब जब धान की कटाई करके किसान उसे मंडियों में लाने लगे हैं तो उनकी आशंकाएं महज गलतफहमी ही साबित हो रही हैं। बता दें कि जिले के कुल 2.80 लाख हेक्टेयर खेती योग्य रकबे में इस बार 1.72 लाख हेक्टेयर में नरमा की बिजाई हुई है। जबकि कुल 80 हजार हेक्टेयर में धान की बिजाई हुई है। जिसमें से करीब 42 फीसद रकबे में धान की सीधी बिजाई हुई है।
किसानों की बिजाई के दौरान की शंकाएं निराधार साबित
गांव पूहली के किसान गुरटेक सिंह ने बताया कि उसने साढ़े तीन एकड़ रकबे में ही सीधी बिजाई की थी। मन में झाड़ को लेकर बहुत डर था। इस सीधी बिजाई से प्रति एकड़ 80 मन का झाड़ निकला है। इतना ही झाड़ हाथों से की गई रोपाई का निकला है। इसी गांव के इकबालजीत सिंह ने बताया कि कोई खास अंतर नहीं है। सीधी बिजाई वाली जिस फसल में नदीन पैदा हो गए थे, वहां कुछ झाड़ कम हुआ है। बाकी बराबर ही है। गांव नथाना के किसान तरसेम सिंह ने बताया कि उसने सात एकड़ में सीधी बिजाई की थी। प्रति एकड़ 79 मन झाड़ निकला है। हालांकि पहले झाड़ कम निकलने का मन में डर था। गांव जंड़ांवाला के अमरजीत सिंह का भी यही कहना है। दोनों तकनीक का झाड़ बराबर: जिला कृषि अधिकारी
मुख्य जिला खेतीबाड़ी अधिकारी बहादर सिंह सिद्धू ने बताया कि हालांकि यह अनुमान लगाने के लिए उन्होंने सभी ब्लाक अधिकारियों की ड्यूटी लगाई हुई है। इसकी अभी कुछ दिनों के बाद ही रिपोर्ट आएगी। फिलहाल जो रिपोर्ट मिल रही है। उसके अनुसार दोनों तकनीक के धान की बिजाई में लगभग बराबर ही झाड़ निकल रहा है। धान का इस समय कहीं पर 75 से 80 मन तक झाड़ निकल रहा है तो कहीं 80 से लेकर 85 मन आ रहा है। सीधी और हाथों से रोपाई का झाड़ करीब बराबर ही है।