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संगरूर में हो सकता है खैहरा और भगंवत में सियासी घमासान, लोस चुनाव में टक्‍कर संभव

पंजाब के संगरूर में लोकसभा चुनाव में सुखपाल सिंह खैहरा और पंजाब आप के नेता भगवंत मान के बीच बड़ी टक्‍कर देखने को मिल सकती है। दोनों नेता संगरूर से आमने-सामने हो सकते हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 11:34 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 11:34 AM (IST)
संगरूर में हो सकता है खैहरा और भगंवत में सियासी घमासान, लोस चुनाव में टक्‍कर संभव
संगरूर में हो सकता है खैहरा और भगंवत में सियासी घमासान, लोस चुनाव में टक्‍कर संभव

बठिंडा, [गुरप्रेम लहरी]। आगामी लोकसभा चुनाव में संगरूर सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो सकता है। आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देकर पंजाबी एकता पार्टी बनाने वाले विधायक सुखपाल सिंह खैहरा अब संगरूर से आप के सांसद भगवंत मान के खिलाफ चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैैं। खैहरा ने पहले बठिंडा से हरसिमरत कौर बादल के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा की थी लेकिन बदलते समीकरणों के मद्देनजर मान के खिलाफ उतरने की तैयारी में हैैं। खैहरा पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। उस समय मान व खैहरा में आपसी खींचतान चलती रहती थी।

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हरसिमरत कौर बादल के बजाय खैहरा की भगवंत मान के खिलाफ चुनाव लड़ने की तैयारी

जानकारी के मुताबिक खैहरा समर्थकों ने उनको बताया है कि केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने अपने क्षेत्र में काफी विकास कार्य करवाए हैं। वह दस साल से सांसद हैैं। उनके कार्यकाल के दौरान बङ्क्षठडा एयरपोर्ट, एम्स, केंद्रीय यूनिवर्सिटी, एडवांस्ड कैंसर डॉयग्नोस्टिक सेंटर, बठिंडा-दिल्ली शताब्दी ट्रेन, फूड प्रोसेसिंग प्रश्‍ािक्षण केंद्र जैसे अहम कार्य हुए हैैं। इसके अलावा अन्य विकास कार्यों पर भी 1735 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

सांसद भगवंत मान अपने हलके संगरूर में उतने विकास कार्य नहीं करवा सके जितने उन्होंने दावे किए थे। इसकी एक वजह यह भी है कि न तो केंद्र में उनकी सरकार है और न ही प्रदेश में। प्रदेश स्तर के नेता होने के चलते वे अपने हलके के लिए भी समय कम निकाल पाए।

खैहरा के साथी विधायक भी उनको बठिंडा की बजाए संगरूर से चुनाव लड़ने की सलाह दे रहे हैं। उनका मानना है कि हरसिमरत कौर के खिलाफ मैदान में उतरने से लड़ाई ज्यादा मुश्किल होगी। खैहरा के साथियों का यह भी तर्क है कि एकमात्र संगरूर ऐसी सीट है जहां पर नए उम्मीदवार को जीत मिल सकती है। अगर संगरूर सीट के इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि संगरूर ने सिमरनजीत सिंह मान को भी वहां से जिताया था। पिछले चुनाव में भगवंत मान को सबसे अधिक वोटों के अंतर से जीत दिलाई थी।

संगरूर में पार्टियों की गुटबाजी का मिल सकता है लाभ

संगरूर सीट पर पार्टियों में गुटबाजी का भी लाभ खैहरा को मिल सकता है। शिअद के वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींडसा अकाली दल से इस्तीफा दे चुके हैं। भले ही वह सीधे तौर पर खैहरा की मदद न भी करें लेकिन उनका वोट बैंक अब खैहरा के साथ जुड़ सकता है। इसके अलावा संगरूर सीट को लेकर कांग्रेस में भी गुटबाजी है।

पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल का अपना गुट है और विजय इंदर सिंगला का अपना। केवल ढिल्लों, भट्ठल व सुरिंदर सिबियां कांग्रेस से यहां टिकट के दावेदार हैैं। इसके अलावा लोक निर्माण मंत्री विजय इंदर सिंगला भी अपने प्रत्याशी को टिकट दिलाना चाहेंगे।

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क्या हरसिमरत से डर गए खैहरा : मान

सांसद भगवंत मान से जब इस खैहरा के संगरूर से चुनाव लड़ने की बात की गई तो उनका कहना था कि क्या सुखपाल खैहरा हरसिमरत कौर से डर गए हैैं। मान बोले- पहलां तां बङ्क्षठडें तो चोंन लडऩी सी। की गल हरसिमरत तों डर गया? कोई गल नहीं संगरूर आ जावे, संगरूर दे लोक अजेहे बंदेयां नूं मूंह वी नहीं लांउदे।


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