निगम के खिलाफ 19 केस, फिर भी सड़कों पर बेसहारा जानवर
निगम के अधिकारियों से शहर के लोगों को बेसहारा पशुओं से निजात दिलाने की मांग की है।
जागरण संवाददाता, बठिडा: आरटीआइ एक्टिविस्ट और ग्राहक जागो संस्था के सचिव संजीव गोयल ने जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों से शहर के लोगों को बेसहारा पशुओं से निजात दिलाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पिछले लगभग 10 वर्षों में बेसहारा पशुओं के कारण बहुत से लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। बहुत से लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं। बेसहारा पशुओं के कारण कोई दुर्घटना न हो इसकी पूर्ण रूप से जिम्मेवारी प्रशासन की है। प्रशासन को लोगों को पशुओं से बचाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, लेकिन प्रशासन की बेपरवाही का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है। बठिडा शहर की सड़कों और गलियों में पशुओं के झुंडों के झुंड घूमते आम ही देखे जा सकते हैं। निगम इन्हें पकड़कर गोशालाओं में भेजने के लिए कुछ नहीं कर रहा है।
संजीव गोयल ने बताया कि पशुओं चपेट में आने के कारण बहुत से लोगों द्वारा नगर निगम के खिलाफ अलग-अलग अदालतों में केस फाइल किए हुए हैं। नगर निगम बठिडा के काउ-सेस शाखा के सुपरिटेंडेंट-कम-जन सूचना अधिकारी से आरटीआइ एक्ट-2005 के अधीन प्राप्त की गई सूचना के अनुसार साल 2010 के बाद नगर निगम बठिडा पर पशुओं के संबंध में कुल 19 केस चल रहे हैं। इनमें से नौ केस परमानेंट लोक अदालत में, एक केस सिविल जज (सीनियर डिवी•ान) अदालत में और 8 केस पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में हुए हैं। एक पीआइएल भी पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में समाजसेवी संस्थाओं की ओर से की हुई है। इसके बावजूद निगम इन जानवरों के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा।