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पांच दिन में बेसहारा पशु से टकराने से दूसरी मौत

यमराज बनकर घूम रहे बेसहारा पशुओं ने बीती शुक्रवार देर रात को एक और घर का चिराग बुझा दिया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 11:55 PM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 06:03 AM (IST)
पांच दिन में बेसहारा पशु से टकराने से दूसरी मौत
पांच दिन में बेसहारा पशु से टकराने से दूसरी मौत

जासं, बठिडा : शहर की सड़कों पर यमराज बनकर घूम रहे बेसहारा पशुओं ने बीती शुक्रवार देर रात को एक और घर का चिराग बुझा दिया है। बठिडा-मलोट रोड पर बाइक पर सवार होकर अपने घर जा रहे व्यक्ति के आगे अचानक लावारिस पशु आ गया। हादसे में वह बाइक समेत सड़क पर गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे उपचार के लिए सिविल अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में दाखिल करवाया गया, लेकिन उसकी कुछ देर बाद मौत हो गई। मृतक की पहचान काली माता मंदिर, मलोट रोड निवासी जग्गा सिंह पुत्र मुख्तयार सिंह के रूप में हुई।

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जग्गा सिंह शहर में काम निपटाकर शुक्रवार देर रात अपने मोटरसाइकिल पर घर लौट रहा था। जब वह मलोट रोड पर स्थित सनावर स्कूल के समीप पहुंचा तो उसके मोटरसाइकिल के आगे अचानक एक लावारिस सांड आ गया। हादसे में वह घायल हो गया। घटना की सूचना मिलते ही समाज सेवी संस्था नौजवान वेलफेयर सोसायटी के सदस्य अमित गर्ग, सौरव छाबड़ा, गौतम शर्मा एंबुलेंस लेकर मौके पर पहुंचे व लहूलुहान हालत में पड़े चालक को तुरंत सिविल अस्पताल पहुंचाया। जहां घायल की कुछ देर बाद मौत हो गई। शनिवार को पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाकर स्वजनों को सुपुर्द कर दिया है।

19 मई को भी लावारिस पशु के कारण हुआ था हादसा

पिछले पांच दिन में यह दूसरी घटना है। इससे पहले बीती 19 मई की रात को ढिल्लों बस्ती के रहने वाले सोना लाल की मौत भी लावारिस पशु की चपेट में आने से हुई। उसके पेट में लावारिस पशु का सींग ही घुस गया था। इसके अलावा पूर्व एक साल में लावारिस पशुओं की चपेट में आकर अब तीस से ज्यादा लोग अपनी कीमती जान गवा चुके है, जबकि हररोज दो से तीन लोग घायल होते है। प्रतिदिन लावारिस पशुओं

की बढ़ रही संख्या

ऐसे में आए दिन शहर की सड़कों पर लावारिस पशुओं की संख्या प्रतिदिन कम होने की बजाय बढ़ती जा रही है, जबकि नगर निगम इन पशुओं को पकड़कर गोशाला भेजने का दावा हर बार करता आ रहा है। ऐसे में यह सवाल खड़ा हो रहा है कि अगर निगम लावारिस पशुओं को पकड़कर गोशाला भेज रहा है, तो शहर की सड़कों पर यह पशु आ कहां से रहे है। शहर में मौजूदा समय में चार से पांच हजार पशु अभी घूम रहे हैं। शहर के प्रमुख सड़कों पर लावारिस पशुओं के झुंड के झुंड दिखाई देते है। हालत यह है कि राहगीरों को इन पशुओं से बचकर गुजरना पड़ता है। गांवों से शहर में धकेले जा रहे पशु इतना ही नहीं 8 सालों से लगातार लावारिस पशुओं का दंश झेल रहे बठिडा में अभी तक एक आधिकारिक आंकड़े के अनुसार करीब 6 हजार लावारिस पशुओं को नगर निगम विभिन्न गोशाला में भेज चुका है, लेकिन अभी भी शहर में हजारों की संख्या में लावारिस जानवर आसपास के गांवों से लोग शहर में धकेल रहे हैं जिससे शहर में कहीं न कहीं लोग इनका दंश झेलने को मजबूर हैं। पांच साल पहले दायर किया था केस, आज तक चल रही सुनवाई निगम हर साल करीब 3 करोड़ रुपये काउसेस इकट्ठा करता है, जबकि शहर में लावारिस पशुओं को हटाने के लिए माल रोड एसोसिएशन के प्रधान हरजिदर मेला ने बठिडा की अदालत में करीब पांच साल पहले एक केस दायर किया था, जिसकी सुनवाई आज तक चल रही है। अदालत में इस गंभीर समस्या पर कोई ठोस फैसला नहीं ले सकी है। 22 जनवरी 2020 को कांग्रेस पार्षदों ने शहर में लावारिस जानवरों के कारण हो रही दुर्घटनाओं को रोकने में नाकाम होने पूर्व शिअद-भाजपा शासित हाउस के खिलाफ हाउस मीटिग में ही धरना दिया था तथा लंबे समय तक दोनों पक्ष एक दूसरे पर खूब आरोप लगाएं थे, लेकिन उसके बाद भी कोई हल नहीं निकल सका। शहर में अभी भी लावारिस पशुओं से लोग घायल व मर रहे हैं, लेकिन उनको मुआवजा का अभी तक निगम कोई प्रावधान नहीं कर पाया है।


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