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क्षमापना के रूप में मनाया संवत्सरी पर्व

जैन सभा के प्रवचन हाल में सर्वश्रेष्ठ पर्यूषण पर्व के समापन पर आयोजित होने वाले संवत्सरी पर्व को क्षमापना पर्व के रूप में मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Sep 2021 09:52 PM (IST)Updated: Sat, 11 Sep 2021 09:52 PM (IST)
क्षमापना के रूप में मनाया संवत्सरी पर्व
क्षमापना के रूप में मनाया संवत्सरी पर्व

संस, बठिडा: जैन सभा के प्रवचन हाल में सर्वश्रेष्ठ पर्यूषण पर्व के समापन पर आयोजित होने वाले संवत्सरी पर्व को क्षमापना पर्व के रूप में मनाया गया। इस दौरान डा. राजेंद्र मुनि ने साल भर में जो भी आपसी मन मुटाव हुए हों, उसे समाप्त करने की प्रेरणा दी।

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उन्होंने कहा कि जैन इतिहास में इस पर्व को पूर्णत: आत्मिक पर्व माना गया है। आज के दिवस पर स्वधर्मी सेवा के लिए जीवदया व मानव मात्र के कल्याण के लिए प्रत्येक जैनी अपनी भावना के अनुसार दान राशि प्रदान करते हैं एवं विशेष रूप से उपवास बेले तेले अठाई आदि करने वाले भाई बहन रात्रि शयन धर्म स्थानक में करके रातभर धर्म चितन स्वाध्याय संवर की आराधनाये संपन्न करते हैं। सभा में साहित्यकार सुरेंद्र मुनि ने अंतगढ़ सूत्र का विविध कथा का समापन किया। जैन स्कूल व विविध लोगों द्वारा धार्मिक नाटक व संगीत गीत प्रस्तुत किए गए। समाज के प्रधान महेश जैन एवं महामंत्री उमेश जैन ने महावीर युवक मंडल व गोशाला कमेटी जैन स्कूल संचालक प्रमोद जैन, पुरुषोत्तम जैन, मक्खन जैन, विमल जैन व पुष्पिदर जैन आदि का आभार व्यक्त किया। समारोह में जैन ध्वज का ध्वजरोहन महिला मंडल व युवती मंडल के सदस्यों द्वारा किया गया। अंत में बताया गया कि 13 सितंबर को कलयुग के कल्प वृक्ष भक्तामर का 48 दिवसीय कार्यक्रम प्रारंभ होगा। जीवन में सुख चाहते हो तो सोच बदलो: सत्य प्रकाश संसू सरदूलगढ़: जैन समाज सरदूलगढ़ द्वारा गुरुदेव श्री सुमति मुनि महाराज, ज्योतिषाचार्य गुरुदेव सत्य प्रकाश महाराज वह सेवाभावी समर्थ मुनि महाराज ठाणे 3 के सान्निध्य में संवत्सरी महापर्व तप त्याग के साथ जैन सभा पुराना बाजार में मनाया गया।

इस अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए ज्योतिषाचार्य सत्य प्रकाश ने कहा कि अगर जीवन में सुख पाना चाहते हो तो अपनी सोच बदलो। हम दिन-रात पैसा कमाने के चक्कर में पड़े रहते हैं। जब हम इस संसार से जाएंगे तो खाली हाथ जाएंगे। कोई भी व्यक्ति अपने साथ कुछ नहीं लेकर जाएगा। इसलिए हमें संसार के चक्कर से बचना चाहिए। हम अपने पुत्र और उनके बच्चों के लिए दिन-रात मेहनत कर कमाई कर रहे हैं लेकिन अगर हमारा पुत्र अच्छा निकला तो वह अपने आप धन कमा लेगा।


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