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महर्षि योग आश्रम के संचालक स्वामी सूर्यदेव का फंदे से लटका मिला शव, हत्या की आशंका

अचानक स्वामी द्वारा खुदकुशी करने जैसे बड़ा कदम उठाने को लेकर मामला संदिग्ध लगने लगा है। इसका सबसे बड़ा कारण आश्रम में लगे सभी सीसीटीवी कैमरों की डीडीआर गायब होना है।

By Edited By: Published: Tue, 31 Dec 2019 12:43 AM (IST)Updated: Tue, 31 Dec 2019 10:52 AM (IST)
महर्षि योग आश्रम के संचालक स्वामी सूर्यदेव का फंदे से लटका मिला शव, हत्या की आशंका
महर्षि योग आश्रम के संचालक स्वामी सूर्यदेव का फंदे से लटका मिला शव, हत्या की आशंका

बठिंडा, जेएनएन। देश-विदेश में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने वाले संत और महर्षि योग आश्रम के प्रमुख संचालक स्वामी सूर्यदेव महाराज का शव सोमवार को आश्रम के कमरे में पंखे से लटका मिला। पुलिस मामले की आरंभिक जांच में इसे आत्महत्या मानकर चल रही है। हालांकि स्वामी ने आत्महत्या क्यों की है, इसके बारे में सही कारणों का पता नहीं चल सका है। वहीं अचानक स्वामी द्वारा खुदकुशी करने जैसे बड़ा कदम उठाने को लेकर मामला संदिग्ध लगने लगा है। इसका सबसे बड़ा कारण आश्रम में लगे सभी सीसीटीवी कैमरों की डीडीआर गायब होना है। इसके चलते आशंका जताई जा रही है कि शायद हत्या करने के बाद शव को लटका गया हो। थाना नेहियांवाला पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

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सीसीटीवी कैमरे की डीवीआर आश्रम से गायब

गरीब कन्याओं के विवाह करवाने, गोसेवा, पर्यावरण बचाने के साथ जरूरतमंदों की सेवा करने में अग्रणी रहने वाले स्वामी सूर्यदेव की मौत से हर कोई आहत है। स्वामी सूर्यदेव महाराज का शव छत में लगे पंखे को लटकाने वाली खूटी के साथ उनके केसरिया परने के फंदे में लटका मिला। इस मामले की जानकारी उनके आवास में आने वाले लोगों ने पुलिस को दी। घटनास्थल पर पहुंचे डीएसपी (डी) केएस भुल्लर का कहना है कि आश्रम में सीसीटीबी कैमरे लगे हैं लेकिन रिकार्डिंग वाली डीवीआर आश्रम से गायब है। यह मामले में कई तरह की आशंका पैदा कर रही है, जिसमें गहराई से जांच की जा रही है।

रात को भांजे से की थी मुलाकात

स्वामी सूर्यदेव महाराज पिछले 18 साल से गोनियाना स्थित आश्रम में रह रहे थे। वह मुख्य तौर पर दिल्ली के रहने वाले थे। वहीं रविवार को स्वामी का भांजा राहुल दिल्ली से बठिंडा आया था। वह रात को करीब 10 बजे गेस्ट हाउस में सोने के लिए चला गया। स्वामी के आत्महत्या करने की सूचना उनके भक्त बलजीत सिंह के माध्यम से मिली। उन्होंने सुबह स्वामी को फोन किया तो उन्होंने नहीं उठाया। इसके बाद वह उन्हें मिलने आश्रम आ गए, जहां अंदर से दरवाजा बंद पड़ा था। अनहोनी की आशंका के चलते दरवाजा तोड़ा गया तो अंदर स्वामी जी का शव फंदे में लटका मिला।

कुछ दिनों से तबीयत चल रही थी खराब

पुलिस को दिए बयान में भांजे राहुल कुमार ने बताया कि गत दिवस जब स्वामी से बात हुई तो उन्होंने बताया कि उनकी तबीयत खराब चल रही है। वहीं उन्होंने स्वामी को अपने साथ दिल्ली चलने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। उन्होंने बताया कि उन्हें कुछ दिनों से दस्त व बुखार की समस्या आ रही थी। भांजे के बठिंडा आने के सवाल पर कहा कि उनकी स्वामी से कुछ दिन पहले फोन पर बात हुई थी तो तबीयत खराब होने के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद वह रविवार को रात सवा नौ बजे जनता एक्सप्रेस से बठिंडा पहुंचे थे। थाना नेहियांवाला पुलिस ने कमरे में रखे दस्तावेजों, डायरी, कागजों के साथ मोबाइल को अपने कब्जे में ले लिया है। वहीं इसमें किसी तरह की आशंका के निवारण के लिए हर पहलु से जांच हो रही है।

बीते दिनों आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मिले थे स्वामी

स्वामी सूर्यदेव हाल ही में 18 दिसंबर को कुरुक्षेत्र में आयोजित उत्तर भारत के संत मिलनी कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत से भी मिले थे। इस बाबत उन्होंने फेसबुक पर इस जानकारी शेयर की थी। उन्होंने बताया था कि उन्होंने देश की मौजूदा हालात खासकर जनसंख्या के बढ़ने जैसे मुद्दों पर आरएसएस प्रमुख से बात की है। स्वामी सूर्यदेव महाराज इंजीनियरिंग के साथ कई मास्टर डिग्री होल्डर रहे व उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भगवा चोला पहन लिया। वह शुरू से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक की विचारधारा से प्रभावित रहे व उच्च डिग्री हासिल करने के बाद किसी स्थान पर नौकरी करने की बजाय उन्होंने समाज में जागरूकता लाने व सनातन संस्कृति का प्रचार व प्रसार करने का फैसला लिया।

धर्म प्रचार के लिए 200 देशों का किया भ्रमण

धर्म प्रचार के लिए वह विश्व के दो सौ से अधिक देशों का भ्रमण कर चुके थे। वही सैकड़ों विभिन्न धार्मिक व सामाजिक संस्थानों की तरफ से उन्हें सम्मानित किया गया था। पंजाब में खासकर मालवा में उनका अलग प्रभाव था व हजारों लोग उनके श्रद्धालु थे। शहर में किसी भी बड़े शिक्षा संस्थान से लेकर इंडस्ट्री व धार्मिक संगठनों की तरफ से आयोजित होने वाले समागम में उनकी उपस्थिति मुख्य मेहमान के तौर पर रहती थी। इससे पता चलता है कि उनका सामाजिक व धार्मिक दायरा काफी व्यापक रहा।


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