बुढलाडा में पुराने प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले मैदान में उतरीं रणवीर कौर मियां
विधानसभा हलका बुढलाडा में आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से अपने इसी हलके से विधायक मास्टर बुद्धराम पर ही दांव खेला गया है।
गुरप्रेम लहरी, बुढलाडा
विधानसभा हलका बुढलाडा में आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से अपने इसी हलके से विधायक मास्टर बुद्धराम पर ही दांव खेला गया है, जबकि शिरोमणि अकाली दल (शिअद) द्वारा भी साल 2017 के चुनाव में उतारे गए उम्मीदवार निशान सिंह को ही प्रत्याशी घोषित किया गया है। वहीं कांग्रेस पार्टी ने पिछला चुनाव लड़ चुकीं रंजीत कौर भट्टी का टिकट काट कर रणवीर कौर मियां को टिकट दिया है। रणवीर कौर मियां सांसद रहे मरहूम हाकम सिंह मियां की पौत्रवधु हैं। पिछले चुनाव में रंजीत कौर भट्टंी बहुत कम अंतर से पराजित हुई थीं। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी मास्टर बुद्धराम से रंजीत कौर भट्टी को महज 1276 वोट ही कम मिले थे। इतनी करीबी फाइट देने के बावजूद कांग्रेस द्वारा उनका टिकट काट दिया गया।
अगर बुढलाडा विधानसभा हलके के इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो देश के आजाद होने के बाद अब तक शिअद का ही यहां पर वर्चस्व रहा है। शिअद द्वारा इस हलके से सात बार जीत दर्ज कराई गई है, जबकि कांग्रेस पार्टी सिर्फ दो बार ही अपनी जीत दर्ज करा पाई है। इसी प्रकार दो बार इस सीट पर सीपीआइ का कब्जा रहा है। 2017 के चुनाव में आम आदमी पार्टी को हलके के लोगों द्वारा जीत दिलाई गई। विधानसभा क्षेत्र में पिछले 2017 के चुनाव में आम आदमी पार्टी के बुद्धराम को 52265, कांग्रेस की रणजीत कौर भट्टी को 50989 जबकि शिरोमणि अकाली दल के निशान सिंह को 50477 वोट मिले थे। यानि कि दूसरे स्थान पर रहने वाली भट्टी को विधायक बने बुद्धराम से महज 1276 वोट कम मिले थे और तीसरे स्थान पर रहने वाले शिअद के निशान सिंह को दूसरे स्थान पर रहने वाली भट्टी से महज 512 वोट कम मिले थे। बुढलाडा में कभी कोई महिला नहीं बनी विधायक
विधानसभा क्षेत्र बुढलाडा में अब तक के सबसे ज्यादा अंतर से शिरोमणि अकाली दल के हरबंत सिंह साल 2002 के चुनाव में जीते थे। उन्होंने सीपीआइ के हरदेव सिंह अर्शी को 14800 वोट से हराया था, जबकि आज तक के इतिहास में सबसे कम वोटों पर आम आदमी पार्टी के मास्टर बुद्धराम ने 2017 में कांग्रेस की रंजीत कौर भट्टी को 1276 वोटों के अंतर से हराया था। बुढलाडा के इतिहास में आज तक कोई भी महिला विधायक नहीं बन पाई। कब-कब कौन-कौन जीता
2017 में बुद्धराम (आप)
2012 में चतीन सिंह समाओं (अकाली दल)
2007 में मंगत राय बांसल (कांग्रेस)
2002 में हरबंत सिंह (अकाली दल)
1997 में हरदेव सिंह (सीपीआई)
1992 में हरदेव सिंह (सीपीआई)
1985 में प्रशोतम सिंह (अकाली दल)
1980 में प्रशोतम सिंह (अकाली दल)
1977 में तारा सिंह (अकाली दल)
1972 में गुरदेव सिंह (कांग्रेस)
1969 में प्रशोतम सिंह (अकाली दल)
1967 में जी सिंह (कांग्रेस)
1962 में तेज सिंह (एडी)