प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ निकाला रोष मार्च, स्कूली बच्चे हुए जाम में परेशान
प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टरों द्वारा की जाती मरीजों की लूट के खिलाफ बुधवार को मालवा यूथ फेडरेशन के नेताओं ने शहर में रोष मार्च निकाला।
जागरण संवाददाता, बठिडा:प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टरों के खिलाफ बुधवार को मालवा यूथ फेडरेशन के नेताओं ने शहर में रोष मार्च निकाला। बेशक यह प्रदर्शन लोगों की लूट को ही कम करना था, मगर प्रदर्शन के समय शहर के लोगों को बहुत परेशान होना पड़ा। बस स्टैंड व रजिदरा कॉलेज के पास दो जगहों पर बारी-बारी लगाए गए जाम के दौरान न तो किसी को गुजरने दिया गया न ही अधिकारियों की सुनी गई। इस दौरान सबसे ज्यादा परेशानी स्कूली बच्चों को हुई, जिनको स्कूल से छुट्टी होने के बाद घर वापस जाने के लिए एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा। इस जाम के दौरान त्रासदी यह रही कि वाहनों को तो रोका ही गया, साथ में स्कूली बच्चों की वैन व ऑटो भी रोक दिए। जिसके चलते कई बच्चे तो घर जाने की जल्दबाजी में खुद ही ऑटो को वापस घुमाते रहे, वहीं कई बच्चे स्कूली वैनों में बैठकर जाम के खुलने का मायूस होकर इंतजार करते रहे। यहां तक कि जो अभिभावक अपने बच्चों को स्कूलों से लेने के लिए आए थे, उनको भी जाने नहीं दिया गया। यहीं नहीं मौके पर पहुंचे एसडीएम बठिडा अमरिदर सिंह टिवाना व डीएसपी गुरजीत सिंह रोमाणा की भी नहीं सुनी गई।
ऐसे बढ़ गया विवाद
मालवा यूथ फेडरेशन की ओर से लक्खा सिधाना की अगवाई में किला मुबारक से शहर में रोष मार्च शुरू किया गया, जो विभिन्न बाजारों से होते हुए जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स तक पहुंचा। जहां पर नेताओं ने बठिडा मानसा रोड़ पर जाम लगा दिया। मगर इस दौरान एक घंटे तक जब कोई भी अधिकारी मांगपत्र लेने के लिए नहीं आया तो प्रदर्शनकारियों ने रोष में आकर बस स्टैंड के पास जाम लगा दिया। यहां पर लगाए गए आधे घंटे के जाम के दौरान वाहनों की लंबी लाइनें लग गई। वहीं बड़े वाहनों को दूसरे रास्तों से घूमकर जाना पड़ा। जबकि मामला बढ़ता देख जिला प्रशासनिक अधिकारी एसडीएम अमरिदर सिंह टिवाना व डीएसपी गुरजीत सिंह रोमाणा भी मौके पर पहुंचे। जिनके साथ भी प्रदर्शनकारियों की काफी बहस हुई, जिसके बाद मांगपत्र लेकर जाम समाप्त करवाया गया।
लक्खा सिधाना ने दी चेतावनी
इस दौरान लक्खा सिधाना ने बताया कि संस्था द्वारा प्राइवेट अस्पतालों में की जाती मरीजों की लूट के खिलाफ संघर्ष शुरू किया गया है। जबकि कई अस्पतालों में मरीजों के स्टेंट डालने के लाखों रुपये वसूल किए जाते हैं। जिसके चलते लोगों को जागरूक होना पड़ेगा। इसके अलावा डॉक्टरों द्वारा दवाई कंपनियों से मोटा कमिशन भी लिया जाता है। यहां तक कि उन पर दर्ज किए गए केस के मामले में बताया कि वह इन केसों से डरने वाले नहीं है, अगर पुलिस उनको पकड़ कर जेल में बंद भी कर देती है तो वह संघर्ष को इसी प्रकार से जारी रखेंगे। उन्होंने मांग की कि पंजाब के गैर सरकारी अस्पतालों में ओपीडी की फीस निर्धारित की जाए, बीमारियों के लेबोरेट्री टेस्ट के रेट लिख कर लगाए जाएं, मरीजों को लिखी जाने वाली दवाइयों के साल्ट लिखे जाएं, मरीजों को मिलने वाली दवाइयों के अस्पताल में मिलने पर रोक लगाई जाए, मरीजों के कमरे व वार्ड, डॉक्टर के राउंड, ईसीयू आदि हर प्रकार के ऑप्रेशन के खर्चे लिखकर लगाए जाएं, सरकारी योजनाओं में होती हेरफेर को बंद किया जाए। साथ ही चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया तो वह संघर्ष को तेज करेंगे।