यहां बिना मिट्टी के उगाई जा रही फल-सब्जियां, तकनीक जान रह जाएंगे हैरान
अब खेती के दौरान किसानों को मिट्टी-मिट्टी नहीं होना पड़ेगा, बल्कि कोट पैंट पहनकर व टाई लगाकर खेती की जा सकती है। अब बिना मिट्टी के भी खेती संभव है।
बठिंडा [गुरप्रेम लहरी]। अब खेती के दौरान किसानों को मिट्टी-मिट्टी नहीं होना पड़ेगा, बल्कि कोट पैंट पहनकर व टाई लगाकर खेती की जा सकती है। अब बिना मिट्टी के भी खेती संभव है। यह सच साबित कर दिखाया है कि केंद्र से रिटायर्ड एडिशनल सेक्रेटरी हरदीप सिंह किंगरा ने। उन्होंने फरीदकोट में अपनी जमीन में बिना मिट्टी के फलों और सब्जियों की खेती शुरू की है। यह कमाल उन्होंने दो तकनीकों न्यूट्रेंट फिल्म और हाइड्रोपॉनिक्स से कर दिखाया है। हरदीप को किसानों से शुरू से ही यह शिकायत थी कि वे रिवायती खेती से हटकर काम क्यों नहीं करते।
उन्होंने कहा कि वह शुरू से ही सोचते रहे हैं कि जैसे डॉक्टर अपने बेटे को डॉक्टर, इंजीनियर अपने बेटे को इंजीनियर बनाना चाहता है। हैरानी की बात तो यह है कि किसानों के देश में किसान अपने बेटे को किसान नहीं बनाना चाहते। इस कारण ही उनके मन में यह ख्याल आया कि युवाओं का खेती के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल खेती में किया जाए।
पहले थोड़ी सी जगह पर स्ट्राबेरी और सब्जियां उगाई
हरदीप सिंह किंगरा ने खेती में नई तकनीक न्यूट्रेंट फिल्म तकनीक से अपने घर के साथ स्थित थोड़ी सी जगह पर स्ट्राबेरी और विभिन्न सब्जियों को बोया। इनको एक गिलासनुमा बर्तन में बोया गया,जिसके नीचे छेद थे और वे प्लास्टिक की पाइपों में फिट किए गए । इन पाइपों में पानी सर्कुलेट होता रहता है और इसमें उन फसलों के लिए जरूरतमंद न्यूट्रेंट्स डाल गया। थोड़े ही दिनों बाद उनकी मेहनत रंग ले आई।
इस तकनीक से ली जा सकती है पांच गुणा ज्यादा उपज
हरदीप सिंह किंगरा ने कहा कि आजकल खेत कम हो रहे हैं। ऑर्गेनिक प्रोडक्ट की मांग बढ़ रही है। ऐसे में अब कम जमीन से कई गुणा ज्यादा फसल ली जा सकती है। यानि अगर एक किसान के पास एक एकड़ जमीन है तो वह उससे पांच गुणा ज्यादा पैदावार ले सकता है। पाइपों की संख्या जितनी ऊपर को बढ़ाते जाएंगे, फसल उतनी ज्यादा होती जाएगी। इसको हम अपने घर की छतों पर भी अपना सकते हैं। इसमें मिट्टी का इस्तेमाल ही नहीं होता। मिट्टी न होने की वजह से इसे छतों पर छोटी जगह में आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है।
यह है हाइड्रोपॉनिक्स तकनीक
हाइड्रोपॉनिक्स तकनीक की खास बात यह है कि इसमें मिट्टी का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं होता है। इससे पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्वों को पानी के सहारे सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है। हाइड्रपॉनिक्स तकनीक में सब्जियां बिना मिट्टी की मदद से उगाई जातीं हैं। इससे पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्वों को पानी के सहारे सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है।
पौधे एक मल्टी लेयर फ्रेम के सहारे टिके पाइप में उगते हैं। इनकी जड़े पाइप के अंदर पोषक तत्वों से भरे पानी में छोड़ दी जाती हैं। इस तकनीक में पानी, फर्टिलाइजर और कीटनाशक की खपत भी 50 से 80 फीसद तक घट जाती है। नेट शेड या पॉलीहाउस की वजह से मौसम का असर इन फसलों पर काफी कम हो जाता है।
एक पॉड से साल भर में 5 किलो सलाद पत्ता उगाया
किंगरा के मुताबिक एक पॉड से सालभर में 5 किलो लेटिस (सलाद पत्ता) की उपज मिली है। लेटिस की कीमत 180 रुपये किलो है।