आसक्तिभाव का त्याग कर अनाशक्त बनें: डा. राजेंद्र मुनि
जैन संत डा. राजेंद्र मुनि ने आसक्ति को कर्मबंधन का कारण व अनासक्ति को कर्म निर्जीरा का कारण बताया।
संस, बठिडा: जैन सभा में चातुर्मास के तहत आयोजन के दौरान प्रवचन हाल में जैन संत डा. राजेंद्र मुनि ने आसक्ति को कर्मबंधन का कारण व अनासक्ति को कर्म निर्जीरा का कारण बताया।
उन्होंने कहा कि इसके तीन प्रकार हैं, एक मन, दूसरा वचन व तीसरा काया। अर्थात शरीर किसी भी शुभ-अशुभ काम की पूर्णता के लिए, चाहे वह कार्य धर्म के पुण्य के हो या फिर पाप के अधर्म के हो, जब तक तीनों योगों का संबंध नहीं जुड़ता तब तक कार्य संपन्न नहीं होता। हम जो भी धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, हमारा उसमें पूर्णतया मन, वचन व काया का संलग्न होना बहुत जरूरी है। अधूरे मन से किए हुए कार्य भी अधूरे ही रहते हैं। इसीलिए नितिकारों ने कहा है कि महात्मा जनों का मन, वचन व काया एक रूप में रहती है। इसके विपरीत दुरात्मा जनों की मन, वचन व काया अलग थलग रहती है। मन स्वस्थ तो तन भी स्वस्थ।
सभा में साहित्यकार सुरेंद्र मुनि ने कहा कि जीवन में आवेश क्रोध का त्याग करना चाहिए। महामंत्री उमेश जैन ने मेहमानों का स्वागत किया। माता वैष्णो देवी मंदिर में शिव महापुराण कथा 14 से माता वैष्णो देवी मंदिर पटेल नगर में सावन मास को 14 से 22 अगस्त तक शाम चार से सात बजे तक संगीतमय भगवान श्री शिवपुराण की कथा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। कथावाचक मंदिर के मुख्यपूजारी पंडित विजय गौड़ होंगे।
मंदिर कमेटी के महासचिव पवन शर्मा ने बताया कि इस कथा का आयोजन मंदिर के विशाल हाल में किया जाएगा, जहां कोरोना नियमों का पूरा ख्याल रखते हुए भक्तजनों को आपसी दूरी का विशेष ध्यान जाएगा। 22 अगस्त को शाम साढ़े सात बजे भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा। इस धार्मिक अनुष्ठान में मंदिर कमेटी के प्रधान सोमराज गर्ग, महासचिव पवन शर्मा, खजांची सुशील गोयल, के अलावा ट्रस्ट के समूह सदस्य, तथा भारत नगर, पटेल नगर तथा ग्रीन एवेन्यू कालोनी की महिला संकीर्तन मंडली की समूह महिलाओं का विशेष योगदान दिया जा रहा है।