पराली को आग लगाने से फिर बढ़ा प्रदूषण का लेवल
किसानों पर धड़ाधड़ एफआईआर करने के अलावा चालान काटकर उनको जुर्माना भी किया गया।
जागरण संवाददाता, बठिडा : सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद बेशक जिला प्रशासन की ओर से पराली को आग लगाने वाले किसानों पर धड़ाधड़ एफआईआर करने के अलावा चालान काटकर उनको जुर्माना भी किया गया। मगर गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को लेकर जिले में करवाए जा रहे समागमों के चलते सभी प्रशासनिक अधिकारी व्यस्त हो गए। इस बात का किसानों ने फिर पूरा फायदा उठाया और पराली को आग के हवाले कर दिया। नतीजा बुधवार व वीरवार को हुई बारिश के बाद 102 पर पहुंचा प्रदूषण का लेवल मंगलवार को फिर से 359 पर पहुंच गया। जबकि जिले में अब तक 2 हजार से ज्यादा जगहों पर पराली को आग लगाने की घटनाएं सामने आ गई हैं। दूसरी तरफ जिले में 100 के करीब एफआईआर दर्ज कर 250 से ज्यादा किसानों को नामजद किया है। मगर इनमें से भी जिन किसानों को गिरफ्तार किया गया, उनको जमानत पर रिहा कर दिया गया। वहीं किसानों में भी इस बात को लेकर डर खत्म हो गया है कि अगर केस दर्ज होता है तो जमानत तो मिल ही जाएगी।
विजिबिलिटी कम होने से लोग परेशान
अक्टूबर महीना पूरा ड्राई निकलने से मौसम पर इसका बहुत ज्यादा बुरा असर पड़ रहा है। वातावरण में पराली का धुआं मिक्स होने से नमी बढ़ने लगी है। इसके चलते मंगलवार को धुआं लोगों के लिए परेशानी बना रहा। रात के समय तो विजिबिलिटी बहुत ही कम हो गई। इसके चलते लोग रात के समय सड़कों पर भटकते रहे तो मुख्य हाईवे सड़कों पर वाहन हादसों का शिकार होने लगे। जबकि पराली के धुंए से विजिबिलिटी कम होने कारण रेलवे स्टेशन पर ट्रेनें भी देरी से पहुंच रही हैं। वहीं दिन के समय ही वाहनों की लाइटों को जलाकर जाना पड़ रहा है।
स्मॉग के कारण बढ़
रही मरीजों की गिनती स्मॉग मरीजों की आंखों में इरिटेशन, हार्ट और अस्थमा मरीजों के लिए मौत से कम नहीं है। इसकी वजह से ऑक्सीजन की कमी हो रही है। रोजाना सिविल अस्पताल में ओपीडी बढ़ रही है। वहीं मौसम विभाग के वैज्ञानिक डॉ. राज कुमार के अनुसार विजिबिलिटी का कोई रिकॉर्ड तो नहीं रखा जाता। लेकिन इस समय सुबह नमी की मात्रा 80 फीसद तो शाम को 35 फीसदी रिकॉर्ड हुई। इसका सीधा असर सर्दी बढ़ने पर पड़ रहा है। दिन के समय नमी बढ़ने से अब रात को ओस की बूंदें गिरनी भी शुरू हो गई हैं, जो पराली के मिक्स हुए धुएं को भी कम करने में मदद करेगा, लेकिन पूरी तरह मौसम तभी साफ हो पाएगा जब बारिश होगी। प्रदूषण का स्तर
नॉर्मल प्रदूषण 60 से 100 के बीच रहना चाहिए। जो इन दिनों पराली के धुएं के कारण 250 से 400 हो गया है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अनुसार 2015 में प्रदूषण की एवरेज मात्रा 111 आरएसपीएम रही तो 2016 में यह 117 हो गई। जबकि 2017 में 120 के पार कर गई। पीपीसीबी के मुताबिक 2018 में एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 से 350 के बीच रही। मगर इस बार यह 250 से 400 के बीच हो गया है। जिसको नार्मल 60 से 100 के बीच रहना चाहिए।