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न मास्क पहन रहे, न फिजिकल डिस्टेंसिंग का ही ख्याल, ऐसा तो नहीं हरेगा कोरोना

जिले में कोरोना के नए मामले आने व मरीजों की मौत का सिलसिला जारी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 28 Dec 2020 05:08 PM (IST)Updated: Mon, 28 Dec 2020 05:08 PM (IST)
न मास्क पहन रहे, न फिजिकल डिस्टेंसिंग 
का ही ख्याल, ऐसा तो नहीं हरेगा कोरोना
न मास्क पहन रहे, न फिजिकल डिस्टेंसिंग का ही ख्याल, ऐसा तो नहीं हरेगा कोरोना

जासं, बठिडा : जिले में कोरोना के नए मामले आने व मरीजों की मौत का सिलसिला जारी है। गत दिवस जहां 15 नए संक्रमित मिले तो 15 स्वस्थ हुए। सेहत विभाग की टीम द्वारा अब तक 123230 लोगों के सैंपल लिए गए, जिसमें 9070 लोगों की रिपोर्ट पाजिटिव मिली, 7725 लोग इलाज दौरान स्वस्थ होकर घर चले गए। वहीं कोरोना से मरने वाले लोगों की तादाद 228 पहुंच गई है। वर्तमान में सेहत विभाग के लिए सबसे बड़ी दिक्कत सरकारी व प्राइवेट कंपनियों के दफ्तरों में तैनात कर्मियों को लेकर आ रही है। सरकार व प्रशासन की सख्त हिदायतों के बावजूद लोग मास्क लगाने से गुरेज कर रहे हैं, जबकि दफ्तरों में काम करते समय कुछ लोग फिजिकल डिस्टेंसिग का भी पालन नहीं कर रहे हैं।

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सेहत विभाग के डाक्टरों का कहना है कि लोग मास्क और फिजिकल डिस्टेंसिग का पालन नहीं कर रहे, जिस कारण कोरोना थम नहीं रहा। उन्होंने अपील की है कि कोरोना के लक्षण आते ही अस्पताल में अपना चेकअप जरूर करवाएं। फिलहाल जिले में 213 एक्टिव केस हैं। फिलहाल सेहत विभाग ने पब्लिक डीलिग वाले दफ्तरों में बढ़ते केस के मद्देनजर सैंपलिग का सिलसिला एक बार फिर से तेज करने का फैसला लिया हैं।

इसी बीच कोरोना फैलने व मरीजों की मौत के पीछे एक बड़ा कारण नौ माह तक लोगों को जागरूक करने के बावजूद कोरोना को लेकर फैले भ्रम को दूर नहीं किया जा सका है। कोरोना से मरने वाले अधिकतर मरीज पहले से ही बुखार, खांसी और जुकाम से पीड़ित थे, जो इसे मौसमी वायरल समझ कर देसी उपचार करते रहे या फिर खासी व बुखार की दवा लेकर समय निकालते रहे। इलाज के लिए उस समय अस्पताल पहुंचे जब हालत गंभीर बन चुके थे। देरी से अस्पताल पहुंचे, जिस कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका।

डाक्टरों के अनुसार इन दिनों मौसम ठंडा होने और लापरवाही बरतने से इन्फेक्शन फैलने की आशंका ज्यादा रहती है। नार्मल फ्लू में भी शरीर की इम्युनिटी कमजोर होती है। ऐसे में ध्यान न देने पर कोविड-19 का खतरा भी बढ़ जाता है। जिन मरीजों को सांस लेने में परेशानी हो रही है, वह भी स्थिति ज्यादा बिगड़ने पर अस्पताल पहुंच रहे हैं। माहिरों के मुताबिक एक तो मरीजों में देरी से रिपोर्ट करने की आदत और सर्दी के मौसम के कारण गंभीर मरीज ही अस्पताल में पहुंच रहे हैं।

दूसरी तरफ कोविड-19 की वैक्सीन का हर कोई इंतजार कर रहा है। लेकिन अभी वैक्सीन के संबंध में यह फाइनल नहीं है कि कौन सी वैक्सीन लगाई जाएगी। वैक्सीन के संबंध में कई तरह के सवाल आम लोगों और हेल्थ केयर वर्कर, जिन्हें फ‌र्स्ट फेज में वैक्सीन लगाई जाएगी। इन्हीं सवालों के संबंध में सेहत मंत्रालय द्वारा सिविल सर्जनों को पत्र लिखकर लोगों को जागरूक करने के लिए कहा है ताकि वैक्सीन लगवाने वालों के मन में किसी तरह का डर न हों। वहीं, सेहत विभाग द्वारा वैक्सीन लगाने के दौरान और बाद में ध्यान रखने वाली बातों के बारे में जानकारी के लिए वीडियो मैसेज भी जारी किया गया है। संक्रमित मरीज वैक्सीनेशन वाली जगह पर न जाएं : डा. अमरीक सिंह सिविल सर्जन डा. अमरीक सिंह सिद्धू का कहना है कि कोविड-19 पाजिटिव या संदिग्ध मरीज हैं तो वैक्सीनेशन वाली जगह पर न जाने की सलाह सेहत मंत्रालय ने दी है, ताकि अन्य लोगों को इनफेक्शन न हो। इसके लिए इन मरीजों को ठीक होने के 14 दिनों बाद ही वैक्सीनेशन करवाने की सलाह दी गई है। वही कोविड-19 की वैक्सीन लगवाते ही शरीर में एंटी बाडी नहीं बनेंगी। बल्कि एंटी बाडी बनने में दूसरी डोज लेने के दो हफ्ते या 14 दिन का समय लग सकता है। ऐसे में ये सोचना कि वैक्सीन लगाते ही असर दिखना शुरू हो जाएगा ऐसा संभव नहीं है। वैक्सीनेशन शेड्यूल के तहत 28 दिन के अंतर में कोविड-19 की वैक्सीन लगाई जाएगी। पहले फेज में हेल्थ केयर

वर्करों को देंगे वैक्सीन

सिविल सर्जन डा. अमरीक सिंह सिद्धू ने कहा कि पहले फेज में हेल्थ केयर वर्कर और फ्रंटलाइन वर्कर को वैक्सीन दी जाएगी। इसके बाद 50 साल से ज्यादा और 50 साल से कम के उन लोगों को जो को-मॉर्बिड कंडीशन के पीड़ित हैं, उन्हें लगाई जाएगी। 50 साल से ज्यादा उम्र वालों में भी पहले 60 और इससे ज्यादा और दूसरे फेज में 50-60 उम्र वाले लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी।


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