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रिटायर्ड डीजीपी को 9.25 लाख रुपये ब्याज सहित लौटाने के आदेश

पुलिस वेलफेयर कोआपरेटिव मल्टीपर्पज सोसायटी के चेयरमैन को पूर्व डीजीपी हरदीप सिंह ढिल्लों की 9 लाख 25 हजार रुपये की राशि 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ राशि लौटाने का आदेश दिए है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 02:42 AM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 02:42 AM (IST)
रिटायर्ड डीजीपी को 9.25 लाख रुपये ब्याज सहित लौटाने के आदेश
रिटायर्ड डीजीपी को 9.25 लाख रुपये ब्याज सहित लौटाने के आदेश

जासं,बठिडा: साल 2005 में पुलिस वेलफेयर कोआपरेटिव सोसायटी का गठन कर उपभोक्ता को बनती सुविधा नहीं देने व जमा राशि वापिस नहीं लौटेने पर जिला उपभोक्ता फोरम ने पुलिस वेलफेयर कोआपरेटिव मल्टीपर्पज सोसायटी के चेयरमैन को पूर्व डीजीपी हरदीप सिंह ढिल्लों की 9 लाख 25 हजार रुपये की राशि 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ राशि लौटाने का आदेश दिए हैं। यह राशि आदेश पारित होने के 45 दिनों के भीतर उपभोक्ता को देने के लिए कहा है। वहीं 10 हजार रुपये का हर्जाना भी शिकायतकर्ता पूर्व डीजीपी हरदीप सिंह ढिल्लों को देने के आदेश दिए गए हैैं।

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दरअसल, शिकायतकर्ता पूर्व डीजीपी हरदीप सिंह ढिल्लों ने पुलिस वेलफेयर कोआपरेटिव सोसायटी बठिडा के चेयरमैन रिटायर्ड इंस्पेक्टर हरपाल सिंह के खिलाफ शिकायत दी थी। कहा था कि वह कोआपरेटिव सोसायटी के मेंबर बने व इसमें एक हजार वर्गगज का प्लाट साल 2005 में खरीदा था, लेकिन कुछ कारणों से उन्होंने प्लाट को 500 गज में तबदील करवा लिया। इससे पहले एक हजार गज प्लाट के लिए उन्होंने नौ लाख 25 हजार रुपये की राशि जमा करवाई, लेकिन इसमें प्लाट का साइज कम होने के बाद राशि पांच लाख 25 हजार जमा होनी थी व रहती चार लाख की राशि वापस की जानी थी। सोसायटी ने उनकी उक्त राशि वापस नहीं लौटाई। इसके बाद सोसायटी ने उन्हें स्थाई की जगह अस्थायी मेंबरशिप प्रदान की। उनसे कहा गया कि अगर वह स्थाई मेंबरशिप रखना चाहते हैं, तो उन्हें 800 रुपये प्रति गज के हिसाब से राशि का भुगतान करना पड़ेगा। इस तरह से सोसायटी व उनके मेंबरों ने धोखाधड़ी की। यही नहीं उन्होंने जो जमीन ली, वह नहरी लैंड नहीं थी। उक्त जमीन में किसी तरह का विकास नहीं करवाया गया, जबकि सोसायटी बनाते समय वायदा किया गया था कि वह पुलिस की भलाई के लिए काम करेंगे व उनके लिए हाउसिग कांप्लेक्स विकसित करेंगे।

इस दौरान साल 2014 में सोसायटी को बंद कर दिया गया व किसी तरह की गतिविधि भी नहीं की गई। सोसायटी जिस मकसद से बनाई गई उसे पूरा नहीं किया गया, बल्कि उनकी तरफ से सोसायटी में जमीन व सुविधा हासिल करने के लिए दी गई नौ लाख 25 हजार रुपये की राशि भी वापिस नहीं लौटाई गई। इसमें साल 2005 से लेकर अब तक बनता वार्षिक ब्याज भी उन्हें नहीं मिला। इसके चलते उन्हें उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाना पड़ा। इसमें सोसायटी को नोटिस जारी कर 20 हजार रुपये का हर्जाना व नौ लाख 25 हजार की राशि 18 प्रतिशत सालाना ब्याज के हिसाब से वापस करने की मांग की गई थी। फोरम ने कहा, वादे पूरे करने में असफल रही सोसायटी

सोसायटी की तरफ से पेश हुए मेंबरों ने शिकायत को गलत बताया व कहा कि जमा करवाई गई राशि तय समय व नियम के आधार पर नहीं दी गई। वहीं स्थाई मेंबर के लिए भुगतान के लिए तय राशि भी जमा नहीं की गई, जिसके चलते शिकायतकर्ता को स्थाई मेंबरशीप नहीं मिल सकी। वहीं सोसायटी में 718 मेंबर थे व सोसायटी को विकसित करने के लिए डेवलपमेंट चार्ज दो हजार रुपये प्रति गज निर्धारित किए, लेकिन कुल मेंबरों में सिर्फ 173 मेंबरों ने डेवलपमेंट चार्ज भरे, जिससे सोसायटी का विकास नहीं हो सका। इसमें भी जिन लोगों ने चार्ज जमा करवाए उन्हें मजबूरी में जमा राशि लौटा दी गई। उपभोक्ता फोरम ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने व दिए सबूतों के आधार पर फैसला सुनाया कि सोसायटी उपभोक्ता की तरफ से जमा करवाई राशि ब्याज सहित लौटाए, क्योंकि सोसायटी ने जो वायदा पहले किया, उसे पूरा करने में वह असफल रही है।


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