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दूसरों को सुख देने से ही जीवन होगा सुखी : स्वामी विष्णु

तुलसी दास जी कहते हैं कि अगर आप किसी को दुख देंगे तो आपको जीवन में दुख मिलेगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 04:42 PM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 06:51 PM (IST)
दूसरों को सुख देने से ही जीवन होगा सुखी : स्वामी विष्णु
दूसरों को सुख देने से ही जीवन होगा सुखी : स्वामी विष्णु

जासं, बठिडा : श्री राम चरित मानस के रचयिता तुलसी दास जी कहते हैं कि अगर आप किसी को दुख देंगे तो आपको जीवन में दुख मिलेगा। साथ ही अगर आप दूसरे प्राणियों को सुख देंगे तो आपको जीवन में सुख मिलेगा। यह तो कर्मो की खेती है। जैसा बोओगे, वैसा ही काटोगे। यह बात श्री चैतन्य गौड़ीय मठ अग्रवाल कॉलोनी बठिडा में चल रहे संत सम्मेलन में अखिल भारतीय श्री चैतन्य गौड़ीय मठ के राष्ट्रीय सचिव पूज्यपाद विष्णु महाराज ने अपने प्रवचन में कहीं।

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स्वामी ने कहा कि गीता, गरुड़ पुराण और श्रीमद्भागवत आदि शास्त्रों में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि जीव को कर्म करने का अधिकार है। वह अच्छे कर्म भी कर सकता है और बुरे भी। बात यह कि हरेक कर्म का फल उसे भोगना होगा। अगर हम दूसरों को मानसिक पीड़ा देंगे तो हमें भी मानसिक पीड़ा, माइग्रेशन व डिप्रेशन इत्यादि परेशानी से जूझना होगा। इसी प्रकार हम दूसरों को शारीरिक पीड़ा देंगे तो हमें भी शारीरिक पीड़ा सहने के लिए तैयार रहना होगा। श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार यह हो सकता है जो अभी कर्म कर रहे हैं, इसी जन्म में उसका फल न मिले। पर किसी और जन्म में तो फल मिलेगा ही। जैसे कोई सुख या दुख अभी हमको ऐसे ऐसे मिल रहे हैं जो अच्छे या बुरे कर्म हमने किए ही नहीं।

स्वामी जितेन्द्रिय महाराज ने कहा कि भगवान के शरणागत होकर हरिभजन और हरिनाम कीर्तन करने से एक साथ कई जन्मों के पाप जड़ से खत्म हो जाते हैं। बस शर्त यह है कि हम हरिनाम किसी महान भक्त के संरक्षण में करें तथा जीवन में संकल्प लें कि आज तक जो किया सो किया, आज के बाद जानबूझकर कोई पाप नहीं करेंगे। अपने परिवार के लोगों से अपने मिलने वालों से तथा अपने संपर्क में आने वाले सभी प्राणियों से मीठा व्यवहार करेंगे।

स्वामी ने कहा कि हरिनाम पिछले पापों को खत्म करना है। हरिनाम आगे के लिए हमसे पाप न हों उसके लिये आत्मबल देता है तथा साथ ही हरिनाम सुखी जीवन का मूल मंत्र है। यह इस जीवन के बाद हमें सनातन जिदगी, सनातन भगवान की सनातन सेवा में हमें नियोजित कर देता है। श्री हरिनाम संकीर्तन एवं हरिकथा का आयोजन आज

संत सम्मेलन के प्रवक्ता शाम सुंदर ने बताया कि दो दिसंबर को प्रात:10 बजे से लेकर 12 बजे तक श्री हरिनाम संकीर्तन एवं हरिकथा होगी। इसमें श्री गौड़ीय वैष्णव धर्म क्या है? गृहस्थ जीवन में भक्ति कैसे होगी, पर महाराज प्रवचन करेंगे। दोपहर 12 बजे से एक बजे तक ठाकुर जी की आरती होगी।

इस संत सम्मेलन कार्यक्रम में जगन्नाथ पुरी, वृंदावन, मायापुर, दिल्ली, असम, हैदराबाद से महात्मा आए हुए हैं और प्रतिदिन भगवान की लीला की सुंदर महिमा का व्यख्यान किया जाता है। उन्होंने शहरवासियों से अपील की है कि कुछ समय निकालकर गौड़ीय मठ में आकर भगवान की लीलाओं के बारे में जरूर श्रवण करें।


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