अनुभव फिर से आजमाने चला किस्मत
पंजाब की राजनीतिक राजधानी के तौर पर जाने जाते बठिडा जिले में शिरोमणि अकाली दल व कांग्रेस की ओर से अनुभवि नेताओं पर ही दांव खेला गया है।
गुरप्रेम लहरी बठिडा
पंजाब की राजनीतिक राजधानी के तौर पर जाने जाते बठिडा जिले में शिरोमणि अकाली दल व कांग्रेस की ओर से अनुभवि नेताओं पर ही दांव खेला गया है। हालांकि पहले युवा नेताओं को मौका देने की बातें चल रही थीं, लेकिन मंथन के बाद अनुभवी नेताओं को ही टिकट देने पर बात रुक गई। अनुभवी नेता एक बार फिर से किस्मत आजमाने के लिए चुनाव मैदान में उतर आए हैं। विभिन्न पार्टियों को उम्मीद है कि उनका अनुभव ही उनकी जीत दिलाएगा और उनकी पार्टी को आगे ले जाएगा। मैदान में नौंवी बार
जगमीत सिंह बराड़
हलका : मौड़ मंडी
पार्टी : शिअद
शिअद के टिकट पर मौड़ मंडी से चुनाव लड़ने वाले जगमीत सिंह बराड़ इससे पहले 1980 व 1985 में गिदड़बाहा से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि दोनों बार ही चुनाव हार गए थे। इसके अलावा सात बार लोकसभा चुनाव लड़े और पांच बार चुनाव हारे, जबकि दो बार चुनाव जीते थे।
मैदान में आठवीं बार
मनप्रीत बादल
हलका : बठिंडा शहरी
पार्टी : कांग्रेस
पंजाब के दो बार वित्तमंत्री रहे मनप्रीत सिंह बादल इस बार आठवीं बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं। वह छह बार विधानसभा तो एक बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। छह बार लड़े विधानसभा चुनावों में एक बार उप चुनाव लड़े थे। छह बार लड़े विधान सभा चुनावों में उन्होंने पांच बार जीत प्राप्त की थी जबकि 2012 में अपनी पार्टी पीपीपी पर लड़े थे लेकिन चुनाव हार गए थे।
मैदान में सातवीं बार
जीत महिदर सिंह सिद्धू
हलका : तलवंडी साबो
पार्टी : शिअद
तलवंडी साबो विधानसभा हलके से शिअद के टिकट पर चुनाव लड़ने जा रहे जीत महिदर सिंह सिद्धू इस बार सातवीं बार चुनाव लड़ेंगे। पहली बार शिअद से चुनाव लड़े लेकिन हार गए। अगली बार आजाद चुनाव लड़ कर जीते। उसके बाद अगला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़े और जीत गए। इसके बाद शिअद में आ गए। उन्होंने तलवंडी साबो से पांच विधानसभा चुनाव लड़े और एक बार उप चुनाव लड़ा। छह बार चुनाव लड़ कर चार बार जीत प्राप्त की। अब वह सातवीं बार अपनी किस्मत आजमाने जा रहे हैं।
मैदान में आठवीं बार
हरमिदर सिंह जस्सी
हलका : तलवंडी साबो
पार्टी : आजाद
कांग्रेस के हरमिदर सिंह जस्सी इस बार आठवीं बार चुनाव लड़ेंगे। हालांकि कांग्रेस पार्टी द्वारा उनको टिकट नहीं दिया गया, लेकिन अब वह पहली बार आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगे। वह तलवंडी साबो हलके से दो बार जीते जबकि एक बार बठिडा शहरी विधान सभा हलके से विधायक बने। तलवंडी साबो उप चुनाव के बाद 2017 में उन्होंने मौड़ मंडी हलके से चुनाव लड़ा।
मैदान में छठी बार
सिकंदर सिंह मलूका
हलका : रामपुरा फूल
पार्टी : शिअद
शिअद के पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका इस बार अपने हलके रामपुरा फूल से लगातार छठी बार चुनाव लड़ेंगे। इससे पहले रामपुरा फूल हलके से पांच बार लड़े चुनावों में वह दो बार जीत पाए हैं। शिरोमणि अकाली दल द्वारा उनको दोनों बार मंत्री बनाया गया। इस बार वे मौड़ हलके से चुनाव लड़ने के ईच्छुक थे और रामपुरा से अपने बेटे गुरप्रीत सिंह मलूका को चुनाव लड़ाना चाहते थे।
मैदान में पांचवी बार
गुरप्रीत सिंह कांगड़
हलका :
पार्टी : कांग्रेस
कांग्रेस के पूर्व मंत्री गुरप्रीत सिंह कांगड़ इस बार पांचवीं बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं। पहली बार वह आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीते थे। कुल पांच बार लड़े चुनावों में उन्होंने तीन बार जीत प्राप्त की है। 2017 में जीतने के बाद उनको मंत्री बनाया गया, लेकिन चन्नी सरकार में उनका मंत्री पद छीन लिया गया था।
मैदान में चौथी बार
दर्शन सिंह कोटफत्ता
हलका : भुच्चो
पार्टी : शिअद
शिअद के दर्शन सिंह कोटफत्ता इस बार चौथी बार विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इससे पहले लड़े तीन चुनावों में वह दो बार हार गए थे, जबकि एक बार जीत प्राप्त की थी। 2017 में उनका हलका बदल कर मलोट कर दिया गया था। वह वहां पर चुनाव हार गए थे। इस बार वह बठिडा देहाती की बजाए भुच्चो आरक्षित हलके से चुनाव लड़ रहे हैं।
मैदान में चौथी बार
सरूप चंद सिगला
हलका : बठिंडा शहरी
पार्टी : शिअद
शिअद द्वारा बठिडा शहरी विधानसभा हलके से सरूप चंद सिगला को अपना प्रत्याशी घोषित किया गया है। वह चौथी बार विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। पहले तीन बार लड़े विधानसभा चुनावों में वह एक बार हरमंदर सिंह जस्सी से हार गए थे तो दूसरी बार जस्सी को चुनाव हरा दिया था। तीसरी बार के चुनाव में वह मनप्रीत बादल से चुनाव हारे थे। मैदान में तीसरी बार
प्रीतम सिंह कोटभाई
हलका : भुच्चो
पार्टी : कांग्रेस
कांग्रेस के टिकट पर भुच्चो आरक्षित हलके से प्रीतम सिंह कोटभाई अब तीसरी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इससे पहले वह दो बार लड़ चुके हैं। एक बार शिअद के टिकट पर तो एक बार कांग्रेस के टिकट पर। दो बार लड़े चुनाव में वह एक बार जीते तो एक बार हारे थे। अब तीसरी बार वह अपनी किस्मत आजमाने चले हैं।