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जीआइएस रिकार्ड में बदलाव और प्रापर्टी टैक्स की दोबारा रसीद के लिए देनी होगी 500 रुपये फीस

जीआइएस में किसी भी तरह के बदलाव (अपडेट) करवाने के लिए 500 रुपये फीस निर्धारित की गई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 04:39 AM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 04:39 AM (IST)
जीआइएस रिकार्ड में बदलाव और प्रापर्टी टैक्स की दोबारा रसीद के लिए देनी होगी 500 रुपये फीस
जीआइएस रिकार्ड में बदलाव और प्रापर्टी टैक्स की दोबारा रसीद के लिए देनी होगी 500 रुपये फीस

नितिन सिगला,बठिडा:

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अब दुकान या घर पर लगे यूआइडी नंबर पर ज्योग्राफिक इंफारमेशन सिस्टम (जीआइएस) में किसी भी तरह के बदलाव (अपडेट) करवाने के लिए 500 रुपये फीस निर्धारित की गई है। इसके साथ ही भरे जाने वाले प्रापर्टी टैक्स की रसीद दोबारा हासिल करने के लिए भी 500 रुपये फीस चुकानी पड़ेगी। दरअसल, नगर निगम बठिडा की टैक्स ब्रांच ने इसका प्रस्ताव जनरल हाउस में भेजा था, जिसे मेयर रमन गोयल समेत शहर के 50 पार्षदों ने बिना किसी विरोध के पास कर दिया। इसे अब मंजूरी के लिए स्थानीय निकाय विभाग के पास भेजा जाएगा, जिसकी 21 दिन के भीतर मंजूरी मिलने की निगम अधिकारियों को पूरी उम्मीद है। मंजूरी मिलने के बाद निगम लोगों से वसूली करनी शुरू कर देगा।

इसके अलावा निगम की तरफ से बनाई गई योजना के अनुसार प्रोसेसिग फीस निर्धारित करने और पुराने टीएस-1 की नकल या पीटी-1 की नकल लेने के लिए भी 500 रुपये फीस भरनी होगी। इससे पहले टीएस-1 वन की नकल की एक कापी के 100 रुपये फीस थी, जबकि पीटी-1 की नकल लेने पर कोई फीस नहीं ली जाती थी। हालांकि पिछले एक साल से 100 रुपये फीस ली जा रही थी। निगम ने अब 100 रुपये से बढ़ाकर सीधे 500 रुपये कर दी है। निगम का तर्क : अपडेशन में स्टेशनरी व मैन पावर बढ़ने पर लिया फैसला

निगम अधिकारियों ने तर्क दिया है कि साल 2013-14 में पंजाब सरकार की तरफ से हाउस टैक्स की जगह स्वघोषित प्रणाली के जरिए प्रापर्टी टैक्स लागू कर दिया गया था। यह प्रापर्टी टैक्स इंस्पेक्टर के बजाय किसी भी व्यक्ति द्वारा स्वयं एसेसमेंट फार्म भरकर खुद ही जमा करवाया जाता है। फार्म जमा करवाते समय कोई भी मालकी सबूत नहीं लिया जाता है। हाउस टैक्स साल 2013-14 में खत्म हो चुका था, जिस कारण टीएस-1 के रिकार्ड में कोई भी तब्दीली नहीं की जा सकी। वहीं निकाय विभाग के डायरेक्टर ने भी निर्देश दिए थे कि प्रापर्टी टैक्स लगने के बाद हाउस टैक्स के रिकार्ड में कोई भी तब्दीली न की जाए और उसे अपडेट करने के बजाय केवल प्रापर्टी टैक्स का रिकार्ड मैनटेन किया जाए, इसलिए निगम में प्रापर्टी टैक्स जमा करवाते समय दिए गए आधार पर टी-1 की जगह पीटी-1 फार्म जारी किया जाता है। साल 2013-14 से हाउस टैक्स का रिकार्ड मेनटेन नहीं किया जा रहा और यह रिकार्ड 50 साल से ज्यादा पुराना होने के कारण काफी तादाद में कंडम हो चुका है। इसके अलावा निगम बठिडा में जीआइएस रिकार्ड मेनटेन किया जा रहा है, इसलिए अब किसी भी व्यक्ति की तरफ से रिकार्ड में कोई तबदीली या अपडेशन करवानी होगी, तो उन्होंने जीआइएस रिकार्ड में रजिस्टर्ड डाक्यूमेंट लेकर सिर्फ प्रापर्टी टैक्स या निगम की सुविधा के लिए तबदीली या अपडेशन की जाती है। इस काम पर निगम की काफी स्टेशनरी व मैन पावर लगती है, इसलिए जीआइएस रिकार्ड मेनटेन करने के लिए यह फीस निर्धारित की जाना जरूरी है। निगम यूआइडी नंबर व स्मार्ट कार्ड पर खर्च कर चुका करोड़ों रुपये बठिडा शहर में करीब एक लाख रिहायशी, कामर्शियल और खाली प्लाट हैं। इनमें 65 हजार के पास घर, 17 हजार कामर्शियल और 23 हजार के करीब खाली प्लाट हैं। इन सभी का रिकार्ड आनलाइन करने के लिए साल 2013 में शहर का सर्वे कर सभी प्रापर्टी पर यूआइडी नंबर लगवाए गए थे। तब निगम ने इस काम पर करीब एक करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए थे। तब भी लोगों द्वारा सही जानकारी नहीं दिए जाने के कारण सर्वे करने वाली कंपनी ने मिली जानकारी अनुसार ही यूआइडी नंबर लगा दिए। इसके बाद निगम ने दोबारा से स्मार्ट कार्ड बनाने का काम शुरू किया। तब भी लोगों ने स्मार्ट कार्ड बनाने वाली कंपनी को सही जानकारी नहीं दी। इसके चलते स्मार्ट कार्ड बनाने वाली टीम ने लगाए गए यूआइडी नंबर के आधार पर कार्ड बना दिए, लेकिन लोग जब अपना टैक्स यूआइडी नंबर पर भरने लगे तो चेक करने पता चलता कि उनके मकान को लगाए गए नंबर पर नाम किसी और का दिख रहा है। इसके बाद निगम ने दोबारा यूआइडी नंबर पर बदलने शुरू किए।


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