महानगर में फिर से बेसहारा पशुओं की भरमार, नगर निगम बेपरवाह
नगर निगम की लचर कार्यप्रणाली के चलते एक बार फिर से महानगर में लावारिस पशुओं की भरमार हो गई है।
सुभाष चंद्र, बठिडा : नगर निगम की लचर कार्यप्रणाली के चलते एक बार फिर से महानगर में लावारिस पशुओं की भरमार हो गई है। यूं तो पिछले कई सालों से ही शहर पशुओं से कभी भी मुक्त नहीं हुआ है, लेकिन बीच-बीच पशुओं को पकड़ने की चलाई जाती मुहिम के कारण इनकी तादाद कम हो जाती रही है। परंतु अब फिर से वही हाल होकर रह गया है। महानगर की अंदरूनी सड़कों लेकर तमाम बाहरी सड़कों पर पशुओं के झुंडों के झुंड ही दिखाई पड़ रहे हैं। ऐसी कोई सड़क नहीं बची है, जहां पर पशु न हों। सड़कों के बीच में खड़े यह पशु फिर से कभी भी जानलेवा साबित हो सकते हैं। लेकिन निगम अधिकारियों को इसकी कोई परवाह नहीं है। ऐसा लगता है जैसे वह फिर से मुहिम शुरू करने के लिए किसी हादसे के इंतजार में हों। क्योंकि अकसर निगम की ओर से तभी ही पशुओं को पकड़ने की मुहिम शुरू की जाती है, जब किसी की हादसे में मौत हो जाती है, या फिर कोई गंभीर रूप में जख्मी हो जाता है। लोगों में आक्रोश पैदा होने पर एक बार पशु पकड़ने की मुहिम शुरू कर दी जाती है। लेकिन जब लोगों को गुस्सा शांत हो जाता है तो यह मुहिम बंद कर दी जाती है। एक अनुमान के अनुसार इस समय करीब पांच हजार पशु सड़कों पर हैं। यहां यह भी बता दें कि पिछले एक साल के दौरान शहर में 27 लोगों की जान जा चुकी है। जबकि 70 से अधिक लोग जख्मी हो चुके हैं। जून में पकड़े गए थे 870 पशु नगर निगम की ओर से शहर में बीते जून महीने में पशुओं को पकड़ने की मुहिम शुरू की गई थी। तब नगर निगम की ओर से लगभग 870 पशुओं को पकड़कर विभिन्न गोशालाओं में छोड़ा गया था। हालांकि उस समय संबंधित नगर निगम के अधिकारियों ने दावा किया था कि अब शहर को बेसहारा पशुओं से मुक्त करने के बाद ही दम लिया जाएगा। लेकिन मुहिम कुछ दिन चलने के बाद बंद कर दी गई। अब करीब तीन महीने हो चले हैं। नगर निगम की ओर से उसके बाद से इन पशुओं को पकड़ने की कोई जरूरत महसूस नहीं की जा रही है। निगम अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। जबकि वे खुद मानते हैं कि इसमें कोई शक नहीं है कि शहर में एक बार फिर से पशुओं की भरमार हो गई है। लेकिन इसके बावजूद कुछ नहीं कर रहे। जबकि शहर का ऐसा कोई इलाका नहीं है, जहां पर बेसहारा पशु न घूम रहे हों। बाजारों, मोहल्लों की गलियों से लेकर तमाम सड़कों पर जगह-जगह पशुओं को घूमते या सड़कों के किनारे बैठे देखा जा सकता है। बाल-बाल बचे रिटायर्ड एसएमओ डॉ. मौजी
सेवानिवृत्त एसएमओ डॉ. गुरमेल सिंह मौजी बीते शनिवार की रात को इन बेसहारा पशुओं से बाल बाल बचे। वह सिविल लाइन क्लब में टेनिस खेलने के बाद करीब आठ बजे थोड़ी ही दूरी पर स्थित अपने घर को पैदल जा रहे थे। इस दौरान दो बैल भागते हुए उनकी तरफ आए। एक बैल ने उन्हें टक्कर मारने की कोशिश की। लेकिन डॉ. मौजी उसके सींग पकड़ लिए। इसके बाद किसी तरह अपने बचाव करते हुए एक घर में घुसे। इस दौरान डॉ. गुरमेल को कितनी देर तक कंपकपी छिड़ी रही। पशुओं के वहां से जाने के बाद बाहर निकले और अपनी गली के लोगों से बातचीत की और घटना की जानकारी दी। डॉ. गुरमेल ने बताया कि उन्होंने गली के लोगों से बातचीत करके आवारा पशु संघर्ष समिति बनाने का फैसला किया है। ताकि इन पशुओं से निजात पाने के लिए कोई मुहिम शुरू की जा सके।
गोशाला प्रबंधकों से चल रही है बात: बुट्टर
निगम की बेसहारा पशुओं के मामले के नोडल अधिकारी एक्सईएन गुरप्रीत सिंह बुट्टर ने बताया कि पशुओं को छोड़ने के लिए जगह न होने की दिक्कत की वजह से पशु नहीं पकड़े जा पा रहे हैं। लेकिन उनकी कई गोशाला प्रबंधकों से बात चल रही है। उम्मीद है जल्दी ही उन्हें जगह मिल जाएगी। जिसके बाद तुरंत ही पशुओं की पकड़ने का अभियान शुरू कर दिया जाएगा।