इंजेक्शन से नहीं अब गोली से होगा एमडीआर टीबी मरीजों का इलाज
मल्टी ड्रग रजिस्टेंस (एमडीआर) टीबी से पीड़ित मरीजों का इलाज अब इंजेक्शन के बजाय एक गोली से होगा।
जासं,बठिडा: मल्टी ड्रग रजिस्टेंस (एमडीआर) टीबी से पीड़ित मरीजों का इलाज अब इंजेक्शन के बजाय एक गोली से होगा। इसके लिए सेहत विभाग की तरफ से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जल्द ही इलाज के इस नया पैटर्न प्रदेश स्तर पर लागू कर दिया जाएगा, जिसके बाद जिला स्तर पर शुरू हो सकेगा। अब तक एमडीआर टीबी के मरीजों को केनामाइसिन इंजेक्शन लगाया जाता था। जिले में एमडीआर मरीजों की संख्या 20 है। इसके अलावा निजी अस्पताल में 285 और सरकारी अस्पताल में 1243 टीबी मरीज रजिस्टर्ड हैं। इलाज के दौरान यह इंजेक्शन मसल्स में करीब चार से छह महीने तक लगाया जाता है। अब उन्हें बिडाक्वीन टेबलेट दी जाएगी। यह टैबलेट सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही उपलब्ध होगी। इस नए तरीके से इलाज को लेकर सेहत विभाग ने सभी जिला टीबी अधिकारियों को ट्रेनिग दी है। इस टैबलेट को बाकी दवाइयों के साथ रोज लेना होगा। छह महीने में मरीज को 188 टैबलेट दी जाएंगी। इलाज का यह तरीका देश के सात राज्यों में शुरू हो रहा है, जिननमें पंजाब भी शामिल है। गर्भवती और बच्चों के लिए भी सुरक्षित है दवा बठिडा की जिला टीबी अफसर डा. रोजी अग्रवाल का कहना है कि एमडीआर मरीज को टीबी की सामान्य दवाइयां असर नहीं करती हैं। उनके लिए अलग से दवा होती है जो काफी महंगी होती है। डा. रोजी अग्रवाल का कहना है कि एमडीआर टीबी से जूझ रही गर्भवती महिला को यह इंजेक्शन नहीं लग सकता। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। टैबलेट इंजेक्शन की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक प्रभावी है और गर्भवती व बच्चों के लिए भी सुरक्षित है। इंजेक्शन से सुनने की क्षमता और किडनी प्रभावित होने का खतरा पिछले कुछ साल से एमडीआर टीबी के मरीजों को कैनामाइसन इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। एक मरीज को करीब 150 इंजेक्शन लगते थे। चार से छह महीने तक रोज इंजेक्शन लगता है। इस इंजेक्शन से मरीज को काफी तकलीफ भी झलनी पड़ती है। यह भी देखने को मिल रहा था कि इससे मरीज की सुनने की क्षमता और किडनी भी प्रभावित होती थी। अब इस टैबलेट से मरीजों को काफी आराम मिलेगा। इन लोगों को टीबी का अधिक खतरा
अच्छा खान-पान न करने वालों को टीबी की ज्यादा संभावना रहती है, क्योंकि कमजोर इम्युनिटी से उनका शरीर बैक्टीरिया का वार नहीं झेल पाता। जब कम जगह में ज्यादा लोग रहते हैं तब इंफेक्शन तेजी से फैलती है। डायबिटीज के मरीजों, स्टेरायड लेने वालों और एचआइवी मरीजों को भी खतरा ज्यादा रहता है। टीबी से ऐसे बचाव करें
- अपनी इम्यूनिटी सिस्टम को दुरुस्त रखें।
- न्यूट्रिशन से भरपूर खासकर प्रोटीन डाइट (सोयाबीन, दालें, मछली, अंडा, पनीर ) लेनी चाहिए।
- कमजोर इम्यूनिटी से टीबी के बैक्टीरिया के एक्टिव होने के चांस होते हैं। इसलिए डाइट सही रखें। टीबी के ये हैं लक्षण
- दो हफ्ते से ज्यादा लगातार खांसी।
- खांसी के साथ बलगम या खून आना।
- भूख कम लगना
- लगातार वजन कम होना
- शाम या रात के वक्त बुखार आना
- सर्दी में भी पसीना आना
- सांस लेते हुए सीने में दर्द होना