परमात्मा से प्रेम होना जीवन का लक्ष्य हो : रमेशानंद
पंचवटी नगर गली नंबर एक के नजदीक श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया है।
संस, बठिडा : पंचवटी नगर गली नंबर एक के नजदीक श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया है। इसके दूसरे दिन श्री वृंदावन धाम से पधारे परमपूज्य स्वामी 1008 आचार्य डा. श्री रमेशानंद महाराज ने कहा कि मनुष्य का परम धर्म है। मनुष्य चाहे दान पुण्य करके, तीर्थ व्रत आदि करके, हमारे जीवन में परमात्मा से प्रेम हो जाए, बस यही और इतना ही हमारे जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण ने कुंती बुआ से वरदान मांगने को कहा तो उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से दुख मांगा। क्यों मांगा, क्योंकि दुख पड़ने पर भगवान भक्त को बचाने आते हैं तो भक्त को भगवान का दर्शन हो जाता है। सुख में भगवान दूर चले जाते हैं। प्रेम भक्त की प्रबल इच्छा होती है। भगवान हमारी आखों के सामने ही बने रहे। हर प्राणी को दुख में प्रभु हमेशा याद रहता है। दुखी होने पर मनुष्य को सबसे पहले प्रभु की याद आती है। इसलिए कुंती ने भगवान श्री कृष्ण से अपने लिए दुख मांगा। हमारे नित्य जीवन में श्रीमद्भागवत पुराण का महत्व समझाते हुए उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत एक पुस्तक मात्र नही है, बल्कि यह साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप है। इसके एक एक अक्षर में श्री कृष्ण समाए हुए हैं।
उन्होंने कहा कि भागवत के चार अक्षर हैं, जिनका तात्पर्य है कि भा से भक्ति, ज्ञ से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग। इसलिए हमें श्रीमद्भागवत की पूजा अर्चना के साथ हमें इसे अपने नित्य जीवन में अपनाना चाहिए। श्रीमद् भागवत की सामूहिक आरती के बाद भक्तजनों को प्रसाद बांटा गया।