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सर्वसम्मति से चुनी पंचायतों को नहीं मिली कोई विशेष ग्रांट

पंजाब में सर्वसम्मति से चुनी पंचायतों को बेशक पंजाब की कैप्टन सरकार ने विशेष ग्रांट देने का ऐलान किया है। लेकिन पिछले दस साल से सर्वसम्मति से चुनी पंचायतों को अकाली भाजपा सरकार ने अभी तक कोई ग्रांट नहीं दी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 08:38 PM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 08:38 PM (IST)
सर्वसम्मति से चुनी पंचायतों को नहीं मिली कोई विशेष ग्रांट
सर्वसम्मति से चुनी पंचायतों को नहीं मिली कोई विशेष ग्रांट

साहिल गर्ग, ब¨ठडा : पंजाब में सर्वसम्मति से चुनी पंचायतों को बेशक पंजाब की कैप्टन सरकार ने विशेष ग्रांट देने का ऐलान किया है। लेकिन पिछले दस साल से सर्वसम्मति से चुनी पंचायतों को अकाली भाजपा सरकार ने अभी तक कोई ग्रांट नहीं दी। यही कारण है कि गांवों में सर्वसम्मति से पंचायतों को चुनने का रूझान दिन प्रतिदिन कम हो रहा है। सरकार किसी की भी हो, अब गांवों के लोग उन पर विश्वास नहीं कर रहे। इस बार भी गांवों में लोगों में सर्वसम्मति से पंचायतों को चुनने का कोई उत्साह नहीं दिखाई दे रहा। पंजाब में सैंकडे पंचायतें सर्वसम्मति से चुनी गई थी, जिनका सरकार की तरफ करोड़ों रुपए का बकाया है। अगर ब¨ठडा जिले की बात की जाए तो साल 2008 मेकं यहां पर 34 पंचायतों का सरकार की तरफ 68 लाख रुपए का बकाया है। इसी प्रकार साल 2013 में सर्वसम्मति से चुनी 35 पंचायतों का एक करोड़ पांच लाख रुपए सरकार ने जारी नहीं किए।

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कैप्टन सरकार ने किया है तीन लाख का ऐलान

साल 2008 से लेकर राज्य में दो बार हुए चुनावों में सैंकडें पंचायतों का चुनाव लोगों ने गांव स्तर पर सर्वसम्मति से कर लिया था। मगर उस समय से वह पंजाब सरकार द्वारा ऐलान की गई विशेष ग्रांट का इंतजार कर रहे हैं। साल 2008 में जिले में 34 गांवों के लोगों ने समझदारी का सबूत देते हुए पंचायतों को सर्वसम्मति से चुनाव किया था। इन चुनावों से पहले पंजाब सरकार ने सर्वसम्मति वाली पंचायतों को 2 लाख रुपए की विशेष ग्रांट देने का ऐलान किया था, जिस पर बाद में अमल नहीं हुआ। जबकि साल 2013 में पंचायती चुनावों के दौरान फिर पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश ¨सह बादल ने सर्वसम्मति से चुनी पंचायतों को तीन लाख रुपए की ग्रांट देने का ऐलान किया था। मगर यह ग्रांट भी आज तक नहीं मिली। अब ग्रामीण विकास व पंचायत मंत्री तृप्त र¨जदर ¨सह बाजवा ने ऐलान किया है कि सर्वसम्मति से चुनी पंचायतों को तीन लाख रुपए की विशेष ग्रांट दी जाएगी। मगर पिछले दस साल से विशेष ग्रांट न मिलने के कारण लोग भी इसको सच नहीं मान नहीं रहे। लोगों का कहना है कि सरकार किसी की भी हो, हर बार ऐलान जरूर होता है, लेकिन किसी भी सरकार ने अमल नहीं किया। जबकि साल 2008 से 2013 में चुनी गई ज्यादातर पंचायतें अकाली दल से संबंधित हैं।

यहां नहीं है सर्वसम्मति से पंचायतें

- ब्लॉक भगता में बुर्ज लद्धा ¨सह वाला, नवा केसर ¨सह वाला व बस्ती सुरजीत पुरा।

- ब्लॉक तलवंडी साबो में गोलेवाला, कोटबखतू व जोगेवाला।

- ब्लॉक संगत में डूमवाली व जस्सी बाग वाली।

- ब्लॉक फूल में बुर्ज गिल, दूलेवाला, फूलेवाला, कोठे हिम्मतपुरा व गुरुसर मेहराज।

- ब्लॉक नथाना में पूहली, ढेलवां, लहरा बेगा, कल्याण सद्दा, कल्याण मलका, गंगा व बुर्ज डला।

- ब्लॉक ब¨ठडा मेकं कोठे बद्ध ¨सह वाले, बलाहड़ महमा, बलाहड़ ¨वझू, गोनियाना कलां, कोठे संधुआ वाले व कोठे लक्खीजंगल।

- ब्लॉक मौड़ में मानक खाना, बुर्ज, जोधपुर पाखर, मौड़ चढ़ ¨सह व टाहला साहिब।

- ब्लॉक रामपुरा में पीरकोट। पंचायत बनने पर तुरंत जारी हो विशेष ग्रांट

गांवों के सरपंचों का कहना है कि अगर सरकार ऐलान मुताबिक पंचायत बनते ही विशेष ग्रांट जारी कर दे तो लोगों में पंचायत सर्वसम्मति से चुनने का रुझान बढ़ सकता है। सरकारें ऐलान तो कर देती हैं, लेकिन फिर उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया जाता। उनका कहना है कि अकाली भाजपा सरकार के दस साल के राज दौरान कोई भी विशेष ग्रांट नहीं मिली। गांव पूहली के सरपंच अमनदीप ¨सह कहना है कि लोगों ने पंचायत को सर्वसम्मति से तो चुन लिया था, लेकिन अभी तक विशेष ग्रांट नहीं मिली। जबकि जब पंचायत चुनी जाती है तो उस समय ही एक हफ्ते के अंदर विशेष ग्रांट मिलनी चाहिए। वहीं गांव कल्याण के सरपंच हरजीत ¨सह का कहना है कि अगर सर्वसम्मति वाली पंचायतों को तुरंत ग्रांट मिले ता फिर अन्य गांवों में भी पंचायतें सर्वसम्मति से बन जाएं, मगर जब ग्रांट नहीं मिलती तो लोग निराश हो जाते हैं।


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