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इमरजेंसी वार्ड में बनाया कोरोना का आइसोलेशन वार्ड

जिले में कोरोना वायरस का असर लगातार बढ़ता जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 10:08 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 10:08 PM (IST)
इमरजेंसी वार्ड में बनाया कोरोना का आइसोलेशन वार्ड
इमरजेंसी वार्ड में बनाया कोरोना का आइसोलेशन वार्ड

नितिन सिगला, बठिडा :

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जिले में कोरोना वायरस का असर लगातार बढ़ता जा रहा है। हररोज कोरोना का पॉजिटिव मिल रहे है, जबकि प्रतिदिन 300 से लेकर 400 के बीच कोरोना के संदिग्ध मरीज सिविल अस्पताल बठिडा में बनाएं गए फ्लू कार्नर पर अपना टेस्ट करवाने के लिए पहुंचते है। ऐसे में टेस्ट लेने वाली डाक्टरों की टीम को भी नहीं पता होता है कि इनमें से कौन सा मरीज कोरोना पॉजिटिव निकला आए, जिसके चलते सैंपल लेने वाली डॉक्टरों की टीम अपनी जान जोखिम में डालकर उनके सैंपल लेती है। वहीं दूसरी तरफ से सेहत विभाग खुद ही अपने मरीजों के साथ-साथ डाक्टरों व स्टाफ की जान जोखिम में डाल रहा है और उनके लिए कोरोना वायरस को दावत दे रहा है।

सेहत विभाग ने कोरोना के संदिग्ध मरीजों को भर्ती करने के लिए सिविल अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में आइसोलेशन वार्ड स्थापित किया है। इसमें दोपहर बाद अस्पताल में आने वाले कोरोना के संदिग्ध मरीजों को भर्ती कर उनके सैंपल लिए जा सके, जबकि नियमों के अनुसार सेहत विभाग की तरफ से बनाया गया आइसोलेशन वार्ड पूरी तरह से गलत है।

सिविल अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड एक ऐसा वार्ड है, जहां पर 24 घंटे मरीजों का आना-जाना लगा रहता है। इस वार्ड में एक्सीडेंट, लड़ाई-झगड़े समेत अन्य हर प्रकार के मरीज अपना इलाज करवाने के लिए पहुंचते है, ऐसे में इमरजेंसी वार्ड में कोरोना के संदिग्ध मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड स्थापित करना दूसरे मरीजों को भी कोरोना वायरस की दावत देना है। इतना ही नहीं सेहत विभाग के अधिकारियों ने आइसोलेशन वार्ड कहीं अलग या एकांत में बनाने की बजाएं इमरजेंसी के मेन एंट्री गेट के बिल्कुल नजदीक बना दिया है, ताकि अगर वार्ड में कोई मरीज दाखिल हो और वहां से गुजरने वाले अन्य मरीज भी उनके संपर्क में आ सके। इतना ही नहीं इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी करने वाले डॉक्टर व स्टाफ भी इस आइसोलेशन वार्ड के बनने से काफी नाराज है। उनका कहना है कि कोरोना संदिग्ध मरीजों के लिए अलग से स्टाफ होता है। ऐसे में अगर कोई भी कोरोना का संदिग्ध मरीज इमरजेंसी वार्ड में भर्ती होता है और वह उनका इलाज करते है, तो उनके साथ-साथ दूसरे मरीज भी कोरोना के संक्रमित हो सकते हैं। चूंकि जब तक वार्ड में दाखिल मरीज की रिपोर्ट नहीं आती है, तो उन्हें तो नहीं पता चलेगा कि यह मरीज पाजिटिव है या निगेटिव। अगर उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो उस मरीज के संपर्क में आने वाले डाक्टर, स्टाफ व मरीज को भी होम क्वारंटाइन करना पड़ेगा। ऐसे में कोरोना के संदिग्ध मरीजों को भी डीडीआरसी सेंटर में बनाएं गए आइसोलेशन सेंटर में भर्ती किया जा सके, ताकि वह बिना किसी डर के इमरजेंसी वार्ड में आने वाले मरीजों का इलाज कर सके। उधर, सिविल सर्जन बठिडा डॉ. अमरीक सिंह संधू का कहना है कि अस्पताल परिसर में रेनोवेशन का काम चलने के लिए जगह की समस्या आ रही है। मेडिकल वार्ड का काम चल रहा है, जैसे वह पूरा हो जाता है, तो आइसोलेशन वार्ड को वहां पर शिफ्ट कर दिया जाएगा। फिलहाल जगह की कमी को देखते हुए ही इमरजेंसी वार्ड में कोरोना के संदिग्ध मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड स्थापित किया गया है।


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