पर्स झपटमारों से भिड़ गई रामपुरा फूल की युवती, दो काबू
करीब एक महीना पहले जालंधर की एक बेटी बहादुरी का सबूत देते हुए झपटमारों से भिड़ गई थी। अब रामपुरा फूल की एक बहादुर बेटी द्वारा अपना पर्स झपटने की कोशिश कर रहे मोटरसाइकिल सवार लुटेरों का मुकाबला कर बेटियों की बहादुरी की गाथा में नया पन्ना जोड़ दिया है। घटना गुरुवार बाद दोपहर स्थानीय कलगीधर कालोनी की है।
जीवन जिदल, रामपुरा फूल : करीब एक महीना पहले जालंधर की एक बेटी बहादुरी का सबूत देते हुए झपटमारों से भिड़ गई थी। अब रामपुरा फूल की एक बहादुर बेटी द्वारा अपना पर्स झपटने की कोशिश कर रहे मोटरसाइकिल सवार लुटेरों का मुकाबला कर बेटियों की बहादुरी की गाथा में नया पन्ना जोड़ दिया है। घटना गुरुवार बाद दोपहर स्थानीय कलगीधर कालोनी की है। घटनास्थल के समीप लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज को देख क्षेत्र के लोग इस बहादुर बेटी की दिलेरी को सलाम कर रहे हैं। लोगों द्वारा सरकार तथा प्रशासन से उक्त लड़की को वीरता पुरस्कार देने की मांग की गई है।
दरअसल स्थानीय कलगीधर कालोनी निवासी कार रिपेयर का काम करने वाले गुरतेज सिंह की युवा बेटी परमिद्र कौर गुरुवार बाद दोपहर तीन बजे के करीब बठिडा स्थित एक आइलेट्स केंद्र से अपने घर वापस जा रही थी। घर से पिछली गली में पीछे से आ रहे मोटरसाइकिल सवार तीन युवकों में से एक युवक ने अचानक उसका पर्स छीनने की कोशिश की। अचानक हुए इस हमले में परमिद्र कौर मोटरसाइकिल से कुछ दूरी पर जा गिरी। हमले से घबराने की बजाय खुद को तथा पर्स को संभालने हुए वह वहां से जाने लगी। कितु उक्त युवक मोटरसाइकिल से उतरकर एक बार फिर उस पर हमला करते हुए पर्स छीनकर भागने लगा। हमलावर युवक को अपना पर्स लेकर भागते देख परमिद्र भी उसके पीछे भागने लगी। उधर शोर सुन गली निवासी कुछ लोग अपने घरों से बाहर निकल आए तथा उन्होंने दो झपटमारों को काबू कर लिया जबकि उनका तीसरा साथी भागने में सफल हो गया। इस दौरान मुहल्लावासियों द्वारा काबू किए गए दोनों झपटमारों की छित्तर-परेड करने के बाद उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया गया। -पर्स में थे साढ़े बारह हजार रुपये, एक मोबाइल तथा कुछ जरूरी कागजात
परमिद्र कौर ने बताया कि उसने एमए-बीएड तक पढ़ाई करने के अलावा स्टेनोग्राफी की ट्रेनिग ली हुई है। इतनी शिक्षा हासिल करने के बावजूद बेहतर भविष्य की उम्मीद में वह विदेश जाना चाहती है। इसके चलते कुछ दिन पहले उसने बठिडा स्थित एक आइलेट्स केंद्र में दाखिले हेतु संपर्क किया था। गुरुवार को वह आइलेट्स केंद्र की फीस भरने हेतु घर से पंद्रह हजार रुपये लेकर गई थी। किसी कारणवश केंद्र द्वारा कल पूरे पैसे जमा करवाने की बजाय महज पच्चीस सौ रुपए ही जमा करवाए गए। इसके चलते घटना के समय उसके पर्स में बाकी के साढ़े बारह हजार रुपये के अलावा उसका मोबाइल फोन तथा कुछ जरुरी दस्तावेज भी थे।
- -पिता कार रिपेयरिग का काम कर चलाते हैं घर का गुजारा
परमिद्र कौर के पिता गुरतेज सिंह की घर से कुछ दूरी पर कार रिपेयर की दुकान है। दुकान में पूरा दिन कड़ी मेहनत कर वे अपना तथा अपने परिवार का पेट पालते हैं। परमिद्र कौर की एक आंख खराब होने के बावजूद उसके हौंसले में कोई कमी नहीं है तथा वह अपनी मेहनत के बल पर अपने परिवार को एक अच्छी जिदगी देना चाहती है।
घटना के चौबीस घंटे बाद भी किसी प्रशासनिक अधिकारी ने नहीं जाना हाल
परमिद्र कौर की इस बहादुरी की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के कारण क्षेत्र के लोगों द्वारा उसकी बहादुरी को सलाम किया जा रहा है। घटना के दौरान गली में गिरने से परमिद्र कौर की पीठ पर कुछ चोट भी आई। बावजूद घटना के चौबीस घंटे बाद भी प्रशासन द्वारा उसका हाल जानने तथा हौंसला बढ़ाने की कोशिश नहीं की गई। -बेटियों को कभी भी बेटों से कम न समझें
परमिद्र कौर ने कहा कि बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से कम नहीं हैं। अत: कभी भी बेटियों को बेटों से कम नहीं आंकना चाहिए।