विनय गुण से महान बनता है मनुष्य: डा. राजेंद्र मुनि
जैन सभा के प्रवचन हाल में आयोजित भक्तामर अनुष्ठान में भगवान आदिनाथ की स्तुति पर विवेचना की गई।
संस, बठिडा: जैन सभा के प्रवचन हाल में आयोजित भक्तामर अनुष्ठान में भगवान आदिनाथ की स्तुति पर विवेचना की गई।
इस दौरान जैन संत डा. राजेंद्र मुनि ने बताया कि आदिनाथ भगवान जैन धर्म के इस काल के धर्म की स्थापना करने वाले हैं। उनके द्वारा की गई जप तप की साधना आज के युग में सभी को महान प्रेरणा प्रदान कर रही है। तीर्थंकर बनकर उन्होंने अहिसा सत्य ब्रह्मचर्य अपरिग्रह का स्वरूप समझाया। उपदेश देने मात्र से जीव का कल्याण नहीं होता। जब तक उस उपदेश को जीवन में आत्मसात धारण नहीं किया जाता। जैनधर्म ने आचरण को ही धर्म स्वीकारा है। आचार्य मानतुंग जी ख्याति प्राप्त विद्वान थे। अनेक विधाओं के ज्ञाता थे फिर भी वे अपने आपको लघु व छोटा बताकर उन महापुरुषों की साधना को उत्कृष्ट मानते हैं। उन्होंने बताया कि विनय गुण से धर्म की पहचान होती है। हर कार्य में बड़ी वस्तुएं ही काम में नहीं आतीं। सुई की जगह तलवार काम नहीं कर पाती। घर परिवार समाज में छोटों को लेकर चलने वाला ही मुखिया बन सकता है।
साहित्यकार सुरेंद्र मुनि द्वारा संपूर्ण विधि विधान के साथ भक्तामर प्रार्थना की गई। महामंत्री उमेश जैन, प्रधान महेश जैन, पुरुषोत्तम जैन, शिव कुमार जैन एवं प्रमोद जैन आदि ने तपस्विनी विनिता देवी का स्वागत महिला मंडल व युवती संघ से सम्पन्न करवाया। विनीता बहन ने सिर्फ गर्म जल के आधार पर 11 व्रतों की तपस्या करके अपने परिवार व समाज का मान बढ़ाया। संकट आने पर भक्त की रक्षा करते हैं भगवान: अनिरुद्धाचार्य श्री बांके बिहारी सेवा समिति द्वारा प्रधान संजीव सिगला की अगुआई में निजी पैलेस में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया। कथा के तीसरे दिन हेमंत ठेकेदार मुख्य मेहमान के तौर पहुंचे।
इस दौरान कथा वाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज वृंदावन वालों ने ध्रुव, भरत, प्रह्लाद चरित्र, नुसिंह अवतार की कथा सुनाई गई। भक्त ध्रुव और प्रहलाद की कथा के वृतांत सुनाते हुए कहा कि भक्त पर संकट आने पर भगवान भक्त की रक्षा करने के लिए दौड़े चले आते हैं। भक्त के प्रति भगवान का स्नेह अपार होता है और भक्त पर ईश्वर की कृपा सदैव बनी रहती है। जब भक्त प्रहलाद पर पिता हिरण्यकश्यप द्वारा प्रताड़ित किया गया तो आखिर में भक्त की रक्षा के लिए भगवान ने खंभे से नृसिंह भगवान का अवतार लिया और धरती पर हिरण्यकश्यप के बढ़ते पाप, अत्याचार को मिटाने के लिए हिरण्यकश्यप का वध किया। यहां प्रधान संजीव सिगला, राकेश जिदल, विपिन जिदल, राजीव सिगला, रशपाल गोयल, भूषण गोयल, ईश्वर दयाल, सतपाल गोयल, रविद्र कुमार, योगेश, पंकज गोयल, राकेश बांसल, सोनू गर्ग, अर्जित गोयल व मोहित गोयल भी शामिल थे।