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Farmers Suicide: घाव नहीं भर पाया मुआवजे का मरहम, 13 बैठकों में सिर्फ 42 केस हुए पास, 248 रद

Farmers Suicide पंजाब में कांग्रेस के सत्ता में आने के पौने तीन साल बाद भी न किसानों की खुदकुशी थमी और न ही पीडि़त परिवारों को मुआवजा मिला।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 03 Jan 2020 12:36 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jan 2020 08:59 AM (IST)
Farmers Suicide: घाव नहीं भर पाया मुआवजे का मरहम, 13 बैठकों में सिर्फ 42 केस हुए पास, 248 रद
Farmers Suicide: घाव नहीं भर पाया मुआवजे का मरहम, 13 बैठकों में सिर्फ 42 केस हुए पास, 248 रद

बठिंडा [साहिल गर्ग]। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस खुदकुशी कर चुके किसानों के पीड़़ि़त परिवारों पर मरहम लगाने का वादा कर सत्ता में आई, लेकिन पौने तीन साल बाद भी न किसानों की खुदकुशी थमी और न ही पीडि़त परिवारों को मुआवजा मिला। उल्टा किसान परिवारों को मिलने वाले मुआवजे के केसों को बड़ी संख्या में रद कर दिया गया है।

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बठिंडा में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में खुदकुशी करने वाले किसानों व मजदूरों के परिवारों को मुआवजा देने के लिए डीसी की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने अब तक कुल 13 मीटिंग की हैंं। कमेटी जांच के बाद मुआवजा देने के लिए पंजाब सरकार को सिफारिश करती है। इन मीटिंगों में पिछले सात सालों में खुदकुशी करने वाले 290 किसानों में से सिर्फ 42 किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की सिफारिश की गई।

248 किसानों व मजदूरों के केसों को रद कर दिया गया। इन बैठकों में जिन केसों को रद किया गया है, उनमें 102 केस तो ऐसे हैं, जिनमें परनोट पर कर्ज लिया गया था। ये केस संबंधित एसडीएम से मार्क नहीं हुए। वहीं 72 केस ऐसे हैं, जिनमें पूरे सुबूत नहीं थे। शेष में ज्यादातर केसों को पोस्टमार्टम की रिपोर्ट न होने के कारण रद किया गया। यही कारण रहा कि इनको मुआवजा देने की पॉलिसी के अधीन कवर नहीं किया जाता।

इसके अलावा बीमारी के कारण मरने वाले सात किसानों के केस रद किए गए। तीन किसानों की मौत तो कैंसर के कारण हुई। 7 केसों को रद करने पर सिर्फ यही तर्क दिया कि यह पॉलिसी के अधीन कवर नहीं होते। एक केस को सिर्फ एग्रीकल्चर विभाग की तरफ रिपोर्ट देने, 3 केसों को किसान मजदूर न होने, 11 केसों को किसानों पर कर्ज न होने, 3 केसों को जहरीली चीज खाने, 1 केस को पहले सरकारी नौकरी करने तथा 1 केस को आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या करने पर रद कर दिया गया।

2019 में सिर्फ एक किसान को मुआवजा देने की सिफारिश

कांग्रेस सरकार बनने के पौने तीन साल के भीतर बठिंडा जिले में 179 किसानों व मजदूरों ने कर्ज व आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या कर चुके हैं। मुआवजा देने के लिए डीसी की अध्यक्षता में बनी कमेटी की 2017 में 4 मीटिंग हुई। इसमें 9 खुदकुशी पीडि़त किसान परिवारों को मुआवजा देने की सिफारिश की गई। वहीं 89 किसान मजदूर परिवारों को मुआवजा देने से इंकार कर दिया गया। इसी प्रकार साल 2018 में कमेटी की छह मीटिंग हुई, जिसमें 32 किसानों मजदूरों के परिवारों को मुआवजा देने की सिफारिश की और 119 पीडि़त परिवारों के आवेदनों को कोई न कोई बहाना लगाकर रिजेक्ट कर दिया गया। 2019 में कमेटी की एक ही मीटिंग हुई, जिसमें एक परिवार को मुआवजा देने की सिफारिश की तो बाकी के केस रिजेक्ट कर दिए गए।

2018 में दो मीटिंग में कोई केस नहीं हुआ पास

कमेटी की हैरान करने वाली बात यह है कि साल 2018 के दौरान खुदकुशी पीडि़त परिवारों को मुआवजा देने की सिफारिश करने वाली कमेटी की दो मीटिंग तो ऐसी हुई, जिसमें किसी भी किसान परिवार को मुआवजा देने की सिफारिश नहीं की गई। इन दोनों मीटिंग में 32 पीडि़त परिवारों के आवेदनों को रद कर दिया। इसके तहत 2 अगस्त 2018 को हुई मीटिंग में किसान परिवारों के पांच तो 2 नवंबर 2018 की मीटिंग में 27 आवेदन रद किए गए।

मुआवजा भी नहीं मिल रहा पूरा

कांग्रेस सरकार ने पांच लाख का मुआवजा देने का किया वादा भी पूरा नहीं किया गया। इसके चलते अब भी किसानों के परिवारों को 3 लाख ही दिए जा रहे हैं। हालांकि आढ़ती से दुखी होकर खुदकुशी करने वाले गांव जिओंद के किसान टेक सिंह के परिवार को भारतीय किसान यूनियन के संघर्ष के बाद पांच लाख रुपये का मुआवजा हासिल हो चुका है।

दो बार हुई विधवा, मुआवजा तो दूर विधवा पेंशन भी नहीं लगी

जिले के गांव मौड़ चढ़त सिंह वाला के किसान विहारा सिंह के परिवार के तीन सदस्यों ने खुदकुशी कर ली थी। अब घर को ताला लग गया है। बलजीत कौर को दो बार विधवा का गम झेलना पड़ा। उसका पहला पति गुरचरन सिंह रोजी-रोटी के लिए हरियाणा में गया तो वहां पर खुदकुशी कर ली। इसके बाद बलजीत कौर का उसके देवर मंदर सिंह के साथ विवाह कर दिया। वह भी सात अप्रैल 2016 को आत्महत्या कर ली। छोटो देवर बलकार सिंह ने भी 2011 में जान दे दी। उक्त परिवार के पास सिर्फ तीन एकड़ जमीन थी, जो अब बिक चुकी है। वहीं बुजुर्ग विधवा बलजीत कौर को मुआवजा मिलना तो दूर रहा, उसकी अभी तक विधवा पेंशन भी मंजूर नहीं हो सकी।

परिवार के चार लोगों ने दी जान, कर्ज अभी नहीं उतरा

गांव मौड़ चढ़ सिंह वाला के फौजी गुरसेवक सिंह के परिवार में चार व्यक्तिय खुदकुशी कर चुके हैं। अब घर में कोई पुरुष नहीं है। गुरसेवक सिंह फौजी साल 2000, भाई नायब सिंह व उसके लड़के गुरप्रीत सिंह ने 4 जुलाई 2009 को आत्महत्या कर ली। घर में अकेली रह रही महिला कर्मजीत का कहना है कि कर्ज अभी भी नहीं उतरा। इसी गांव के दो भाई गुरजंट सिंह व लछमन सिंह भी कर्ज के कारण खुदकुशी कर गए। दोनों भाइयों के परिवारों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है।

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