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किसानों ने जिले के चार रेल ट्रैकों पर लगाए डेरे

भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहां) की तरफ से शनिवार को रेलवे ट्रैक के ऊपर धरने लगाए गए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 10:06 PM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 05:03 AM (IST)
किसानों ने जिले के चार रेल ट्रैकों पर लगाए डेरे

जागरण संवाददाता, बठिडा/रामपुरा फूल :

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केंद्र सरकार के कृषि बिलों के विरोध में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के आह्वान पर भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहां) की तरफ से शनिवार को रेलवे ट्रैक के ऊपर धरने लगाए गए। भाकियू जिले के चार रेल मार्ग पर धरने लगाए। जिनमें पटियाला रेल मार्ग पर रामपुरा में, फिरोजपुर रेल मार्ग पर गोनियाना मंडी में, नई दिल्ली रेल मार्ग स्थित भाई बख्तौर तथा बीकानेर मार्ग स्थित संगत मंडी में रेलवे ट्रैकों पर धरने लगाए। हालांकि इस दौरान किसी ओर से भी गाड़ी नहीं आई। प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए इन बिलों को वापस लेने की मांग की गई। साथ ही वापस ना होने तक निरंतर संघर्ष जारी रखने का ऐलान भी किया।

भाकियू के जिला प्रधान शिगारा सिंह मान, ब्लॉक प्रधान सुखदेव सिंह तथा बसंत सिंह कोठा गुरु ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से पारित किए गए कृषि बिल रद कराने के लिए पंजाब बंद को कामयाब करने के बाद दूसरे दिन भी संघर्ष जारी रखा है। प्रांतीय नेता हरिदर बिदु शिगारा सिंह तथा परमजीत कौर ने कहा कि इन कानूनों के खिलाफ लोग अब आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हो चुके हैं। नेताओं ने वोट पार्टियों पर बरसते हुए कहा कि अब सियासी पार्टियां इस माहौल का फायदा उठाने की ताक में हैं। जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अकाली दल की तरफ से किए जा रहे प्रदर्शनों को ड्रामा बताते हुए नेताओं ने कहा कि पंजाब के लोगों का भारी नुकसान करने के लिए अकाली दल ही जिम्मेवार है। कांग्रेसी भी कम नहीं है। बल्कि साम्राज्यवादी तथा निजीकरण की नीतियां लागू करने के लिए मुख्य जिम्मेवार है। मोदी सरकार मनमोहन सिंह की नीतियों को ही लागू कर रही है। उन्होंने कहा कैप्टन सरकार भी भाजपा की केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रही है। सत्ता के यह लालची लोग किसानों का कुछ नहीं संवार सकते। इसलिए किसानों को इनसे बचने की जरूरत है। इस मौके किसानों ने मांग की कि तीनों बिल रद्द किए जाएं, किसानों मजदूरों का समूचा कर्ज माफ किया जाए, निजी करण की नीतियां रद्द की जाएं, फीसों में की गई बढ़ोतरी वापस ली जाए। किसान नेताओं ने कहा के यह बिल किसानों की मौत के वारंट हैं, इसलिए समूह किसानों को पार्टीबाजी से ऊपर उठ कर इनका कड़ा विरोध करना चाहिए। इस दौरान गुलाब सिंह ज्योंद, हरप्रीत कौर जेठूके, गुरमेल कौर, निक्का सिंह जेठूके, तारी भगता, जसपाल सिंह पाला, सुखजीत सिंह कोठा, बलदेव सिंह मलूका, बाबू सिंह मंडी खुर्द, हरनेक सिंह, परमजीत कौर थर्मल, बादल सिंह भुल्लर, काला सिंह पिथो, बिदर सिंह जैद सहित कई अन्य नेताओं ने भी विचार रखें। भाकियू के इन धरनों में बड़ी गिनती में महिलाओं ने भी भाग लिया। जबकि युवाओं की गिनती भी काफी रही।


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