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दो लाख से ज्यादा लोगों के कोरोना सैंपल ले चुकी हैं डा. ममता सचदेवा

एक साल पहले 22 मार्च को कोरोना वायरस को कंट्रोल करने के लिए जनता क‌र्फ्यू लगाने की घोषणा की गई थी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Apr 2021 05:15 AM (IST)Updated: Sat, 17 Apr 2021 05:15 AM (IST)
दो लाख से ज्यादा लोगों के कोरोना सैंपल ले चुकी हैं डा. ममता सचदेवा
दो लाख से ज्यादा लोगों के कोरोना सैंपल ले चुकी हैं डा. ममता सचदेवा

ज्योति बबेरवाल, बठिडा

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एक साल पहले 22 मार्च को कोरोना वायरस को कंट्रोल करने के लिए जनता क‌र्फ्यू लगाने की घोषणा की गई थी। इसके बाद जिले में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या में हुई बढ़ोतरी ने सभी को चिता में डाल दिया। लोग घरों में कैद होकर रह गए। ऐसे में लोगों की सेहत का ख्याल रखने व उन्हें इस महामारी से बचाने के लिए सेहत कर्मियों की टीम फील्ड में उतरी। संदिग्ध लोगों के सैंपल लेने से लेकर उनके उपचार के लिए जुटी टीमें लोगों के लिए प्रेरणा बनकर सामने आई। इन्हीं में से एक हैं सिविल अस्पताल बठिडा की डा. ममता सचदेवा। वह अब तक करीब दो लाख लोगों के कोरोना टेस्ट के लिए सैंपल ले चुकी हैं। साथ ही लोगों को जागरूक भी कर रही हैं। उनकी इसी निष्ठा को देखते लाकडाउन का एक साल पूरा होने पर सेहत विभाग की ओर से सिविल सर्जन ने प्रमाणपत्र देकर उन्हें सम्मानित भी किया।

डा. ममता मूलरूप से पटियाला की निवासी हैं, लेकिन 2015 में शादी के बाद वह बठिडा रहने लगीं। इसके बाद मानसा व मुक्तसर के अस्पतालों में कार्य कर 2018 में बठिडा सिविल अस्पताल में उनकी ट्रासफर हो गई। डा. ममता सचदेवा ने बताया कि कोरोना काल में अधिकतर लोग इतने भयभीत थे कि वह कोविड संक्रमित के पास से गुजरने में भी कतराते थे। उन्होंने चुनौती को स्वीकार करते हुए दिन-रात एक कर कोविड संक्रणम से ग्रस्त लोगों की सेवा की। रोपिड टेस्ट से लेकर लैब टेस्ट को सुचारू ढंग से चलाने, गली मोहल्ले व बाजारों में लोगों के सैंपल हासिल करने जैसे कार्यों को पूरा किया। पहले-पहले डर लगा, फिर दूसरों को भी जागरूक किया डा. ममता ने बताया कि एक साल पहले जब कोरोना आया, वह तभी से लोगों के सैंपल ले रही हैं। शुरूआती दिनों में उन्हें भी डर लगा, लेकिन इसके बाद वह रोजाना हजारों की संख्या में लोगों के सैंपल लेने लगीं। उस दौरान उन्होंने देखा कि कोरोना का लोगों में डर काफी था। उन्होंने लोगों को इस बीमारी के संबंध में जागरूक करना शुरू कर दिया। वह रोजाना लोगों के सैंपल लेतीं। इसके बाद वह अपने परिवार से दूर रहकर ही कार्य करतीं। उन्हें इस बात से कभी डर नहीं लगा कि अगर उन्हें संक्रमण हो गया तो क्या होगा? वह हमेशा हर कार्य के लिए तैयार रहती हैं। वह आगे भी ऐसे ही लोगों की सेवा करती रहेंगी।


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