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बेटियां ससुराल में पहुंची, सरकार का न शगुन मिला, न आशीर्वाद

शगुन योजना के पैसों को लेने के लिए लोग सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Dec 2020 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 29 Dec 2020 07:00 AM (IST)
बेटियां ससुराल में पहुंची, सरकार का न शगुन मिला, न आशीर्वाद
बेटियां ससुराल में पहुंची, सरकार का न शगुन मिला, न आशीर्वाद

साहिल गर्ग, बठिडा : आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों को बेटी की शादी पर मदद देने के लिए शुरू की गई शगुन योजना के पैसों को लेने के लिए लोग सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। इस योजना के तहत लड़की की शादी से पहले यह सहायता राशि देने की योजना है। मगर इसको कई-कई महीने बीत जाते हैं, लेकिन लाभार्थियों के खातों में पैसे नहीं आते। पंजाब सरकार ने अब इस योजना का नाम बदल कर आशीर्वाद योजना कर दिया है।

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जिले में 2017-18 के दौरान 2510 तो साल 2018-19 के दौरान 2432 लोगों ने अप्लाई किया था, जिनके केस नवंबर 2019 में क्लियर हुए हैं। साल 2019-20 के दौरान 2680 लोगों ने अप्लाई किया था। नवंबर तक के केस क्लियर होने के कारण 1149 केस ही पास हो पाए हैं, जबकि 1531 केसों के अभी पास होने का इंतजार है। इसी प्रकार साल 2020-21 के दौरान 230 लोग अप्लाई कर चुके हैं, जो सभी पेंडिग है। इसके अलावा 78 केस तो ऐसे हैं जो लाकडाउन के कारण घरों से बाहर न निकलने व दफ्तरों के बंद होने के कारण अप्लाई नहीं कर सके। जिनको अब स्पेशल मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा गया है।

पैसे आएंगे तो सीधे लाभार्थी के खाते में जाएं : सरदूल सिंह

इस मामले में जिला भलाई अफसर सरदूल सिंह ने कहा कि वह सभी केस सरकार को भेज देते हैं। जहां से पास होने के बाद पैसे सीधे लाभार्थी के खाते में आते हैं। परिवार में नहीं है

कोई भी कमाने वाला केस 1- बठिडा की लाल सिंह बस्ती के गुलाब सिंह की बेटी की शादी नवंबर 2019 में हुई थी। उसको आज तक कोई पैसा नहीं मिला। हालांकि गुलाब सिंह का बेटा बीटेक की पढ़ाई कर चुका है, लेकिन उसको नौकरी नहीं मिली। केस 2- बठिडा की अमरपुरा बस्ती के सेठी सिंह की बेटी की शादी 2019 में हुई थी। कई बार दफ्तर के चक्कर भी काट चुका है। हर बार भरोसा मिलता है। एक बेटी व एक बेटा पढ़ाई कर रहे हैं। दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार चला रहा है। केस 3- गांव महमा सवाई के जगसीर सिंह की बेटी की शादी नवंबर 2019 में हुई थी, मगर पैसे आज तक नहीं मिले। वह ड्राइवर है और उसका बेटा मजदूरी कर परिवार को चला रहे हैं। अगर उनको यह पैसे मिल जाते हैं तो परिवार की मदद हो जाती। आप नेताओं ने भी किया विरोध

आप के प्रवक्ता नील गर्ग ने बताया कि पिछली बादल सरकार की तरह सरकारी स्त्रोतों व खजाने को माफिया के हाथों लुटवा रही कैप्टन अमरिदर सिंह सरकार के पास गरीब घरों की बेटियों को विवाह के मौके शगुन तक देने के लिए पैसे नहीं हैं। उनका कहना है कि 2017 के चुनाव के दौरान कैप्टन अमरिदर सिंह व कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में 51 हजार रुपये शगुन स्कीम देने का लिखित वादा किया था, मगर सरकार 21 हजार रुपये का शगुन देने से भी भाग गई है। इसके खिलाफ वह संघर्ष भी करेंगे। यह लोग ले सकते हैं लाभ अनुसूचित जातियों, इसाई बिरादरी की लड़कियों, पिछड़ी श्रेणी/जातियों, आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्ग की लड़कियों, किसी भी जाति की विधवाओं की लड़कियों के विवाह के समय व अनुसूचित जाति की विधवा व तलाकशुदा महिलाएं। परिवार में सभी साधनों से वार्षिक आय 32,790 रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। लड़की की शादी की तारीख निश्चित होने के बाद 30 दिन पहले या स्पेशल कारण से 30 दिन बाद तक आवेदन करना लाजिमी है।


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