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अपने ही गढ़ में हार गई कांग्रेस

लोकसभा चुनाव का नतीजा आ गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 06:24 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 03:12 AM (IST)
अपने ही गढ़ में हार गई कांग्रेस
अपने ही गढ़ में हार गई कांग्रेस

साहिल गर्ग, बठिडा : लोकसभा चुनाव का नतीजा आ गया है। बठिडा संसदीय क्षेत्र से अकाली-भाजपा प्रत्याशी हरसिमरत कौर बादल तीसरी बाद सांसद बन चुकी हैं। लेकिन संसदीय क्षेत्र के अधीन आने वाले बठिडा विधानसभा हलका से हर बार लीड लेने वाली कांग्रेस इस बार 3743 वोट से पीछे रह गई है। इसमें ओर भी हैरान करने वाली बात यह है कि बठिडा शहर के दिग्गज कांग्रेसी नेताओं के जिस एरिया में घर हैं, वह वहां से भी कांग्रेस को लीड नहीं दिलवा पाए। दूसरी तरफ 2014 के लोकसभा व 2017 के विधानसभा चुनाव में पीछे रहने के बाद अकाली दल की ओर से किए गए मंथन के बाद ही इस बार बठिडा से हरसिमरत की वोट बढ़ गई है और अकाली दल के दिग्गज नेता अपने-अपने एरिया से हरसिमरत को लीड दिलाने में कामयाब हो पाए। यहीं नहीं अकाली दल व कांग्रेस के जिस वार्ड में भी वोट बढ़ी है, वहां पर इनका काफी अंतर है। अकाली दल के नेता अपने वार्डों से 200 से 400 वोट ज्यादा दिलवा पाए हैं तो कांग्रेस के नेता महज 200 तक वोट ज्यादा दिलवा पाए। शहर के महासचिव के

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वार्ड से ही घटी वोट

पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव पवन मानी अपने ही वार्ड से कांग्रेस को लीड नहीं दिला पाए। उनके वार्ड नंबर 20 में कांग्रेस को 1117 व अकाली दल को 1211 वोट मिले हैं, जिसके चलते वह 94 वोट पीछे रहे। जबकि उनके ही वार्ड में पूर्व विधायक व अकाली नेता सरूप चंद सिगला का निवास है, जो अपने वार्ड से लोगों को अकाली दल की तरफ आकर्षित करने में कामयाब हो सके। इसी प्रकार कांग्रेस के सीनियर नेता केके अग्रवाल का निवास वार्ड नंबर 24 में हैं, जहां से कांग्रेस 13 वोट पीछे रही। वहीं अकाली दल से कांग्रेस में शामिल हुए पार्षद मास्टर हरमंदर सिद्धू के वार्ड नंबर 17 से अकाली दल को 291 वोट की लीड मिली है, जिससे पता लगता है कि बेशक पार्षद कांग्रेस में चले गए लेकिन इस एरिया के लोग आज भी अकाली दल को पसंद करते हैं। इसके अलावा कांग्रेस के सीनियर नेता अनिल भोला के वार्ड नंबर 30 से अकाली दल को 18 वोट की लीड मिली है।

दिग्गज अकाली

नेताओं ने बढ़ाई वोट

बठिडा के दिग्गज अकाली नेता अपने अपने वार्ड से अकाली दल को लीड दिला पाए हैं। बठिडा के मेयर बलवंत राय नाथ के वार्ड नंबर 33 से अकाली दल को 4612 व कांग्रेस को 4345 वोट मिल हैं, जिसके चलते यहां पर अकाली दल 267 वोट ज्यादा हासिल कर पाया। इसी प्रकार नगर निगम के सीनियर डिप्टी मेयर तरसेम गोयल के वार्ड नंबर 21 से अकाली दल को 354 वोट ज्यादा मिले हैं, जहां पर कांग्रेस को 1031 व अकाली दल को 1385 वोट मिले। इसके अलावा नगर निगम के पूर्व मेयर बलजीत सिंह बीड़ बहमन भी अपने वार्ड नंबर 15 से अकाली दल को 487 वोट ज्यादा दिलाने में कामयाब रहे।

2014 में पीछे रहने के

बाद इस बार रही आगे

2014 के चुनावों में बेशक हरसिमरत जीत गई थी, लेकिन बठिडा शहरी विधानसभा सीट से वह 29,316 वोट पीछे थी। जिनको बठिडा शहरी सीट से 2014 में 41,987 वोट मिले थे, जबकि उनके मुकाबले में मनप्रीत सिंह बादल को 71,303 मिले थे। वहीं इस बार उनको शहर से 63,558 वोट मिले हैं, जबकि उनके मुकाबले में राजा वडिग को 59,815 मिले। जिसके चलते उनको शहर से 3743 वोट ज्यादा मिले। अगर इसको 2014 के साथ जोड़ा जाए तो यह 33,059 वोट बनती है। दूसरी तरफ 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान मौजूदा पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल बठिडा शहरी सीट से 18,480 वोट से विजेता बने थे।

दो बार आगे रहे राजा, फिर नहीं टूटी हरसिमरत की लीड

चुनावों की गिनती वीरवार सुबह 8 बजे शुरू होते ही 9 बजे के करीब रूझान आने शुरू हो गए। पहले रूझान में हरसिमरत 926 वोट आगे रही। जिसके बाद जैसे ही अगला रूझाना आया तो उसमें राजा वडिग 21 वोट से आगे हो गए तो इसके बाद फिर राजा वडिग 71 वोट से आगे हो गए। मगर 9.45 पर जब एक ओर रूझान आया तो उसमें हरसिमरत 745 वोट के साथ आगे हो गई। जिसके बाद वह धीरे धीरे तीन बजे तक 21,772 वोट पर पहुंची। जबकि इस दौरान 10 बजे हरसिमरत 7,027 वोट के साथ आगे हो गई। जिसके बाद 12 बजे तक वह 10 से 12 हजार वोट के साथ ही घटती बढ़ती रही। मगर उनकी वोट हमेशा ही राजा वड़िग से ज्यादा रही। लेकिन दो बजे के बाद हर बार रूझान में उनकी वोट बढ़ती ही गई। जिसके चलते अंत तक वह 4,92,824 वोट हासिल कर सकी तो उनके मुकाबले में राजा वडिग 4,71,062 वोट हासिल कर सके।

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