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आइसोलेशन वार्ड में जिनको ज्यादा डाइट की जरूरत, उनको नहीं मिल रहा पेट भर खाना

आइसोलेशन वार्ड में अव्यवस्था के कारण सेंटर में बंद 467 मरीज परेशान हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 10:28 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 06:15 AM (IST)
आइसोलेशन वार्ड में जिनको ज्यादा डाइट की जरूरत, उनको नहीं मिल रहा पेट भर खाना
आइसोलेशन वार्ड में जिनको ज्यादा डाइट की जरूरत, उनको नहीं मिल रहा पेट भर खाना

गुरप्रेम लहरी, बठिडा : बठिडा के मेरिटोरियस स्कूल में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में अव्यवस्था के कारण सेंटर में बंद 467 मरीज परेशान हो रहे हैं। मरीजों का आरोप है कि सेंटर में उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है। उनके दर्द होता है तो कोई दवा देने के लिए नहीं आता। भले ही डॉक्टर सेंटर में तैनात हैं लेकिन मरीजों के पास कोई नहीं जाता। इसके कारण ही सेंटर में मरीज प्रदर्शन करने को मजबूर हैं। केंद्र में भर्ती मरीजों ने आरोप लगाए कि केंद्र के प्रबंधकों द्वारा उनके साथ कैदियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है।

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केंद्र में भर्ती रहे मरीज रवि कुमार ने बताया कि उनको आज ही सेंटर से छुट्टी दी गई है। केंद्र में अव्यवस्था का आलम है, न तो खाना ही समय पर मिलता है और न ही पीने को पानी ही पहुंच रहा है। सफाई के बारे में तो पूछे ही मत, कोई भी वहां पर सफाई करने के लिए नहीं आता। केंद्र में शौचालय तो बने हुए हैं लेकिन उनमें पानी कभी कभार ही आता है। इसके कारण वहां पर भर्ती मरीजों को कोरोना के साथ साथ अन्य बीमारियां भी लग रही हैं। कोई भी सेंटर में खाली होने वाली प्लास्टिक की बोतलें व डिस्पोजल की प्लेट उठाने नहीं आता। कोरोना के डर से कोई भी उनको हाथ तक नहीं लगाता। इसके कारण वहां पर गंदगी के ढ़ेर लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि आज केंद्र से छुट्टी हुई तो सुख की सांस ली है और आजादी महसूस की है। वहां पर तो बंधुआ मजदूरों की तरह रहे।

केंद्र में दाखिल रहे मरीज जगतार सिंह ने बताया कि केंद्र में मरीजों को अलग अलग नजर से देखा जाता है। जो लोग अच्छे पैसे वाले हैं उनको सुविधाएं दी जाती हैं और उनको अलग से रखा जा रहा है जबकि लेबर क्लास के मरीजों का बुरा हाल है। उन्होंने कहा कि लेबर क्लास वाले वार्ड में तो एक कमरे में दस-दस मरीजों को ठूस दिया जाता है। अधिकारी चेकिग के लिए आते हैं लेकिन बाहर से डॉक्टरों की टीम को मिल कर चले जाते हैं। कोई भी अधिकारी आइसोलेशन सेंटर में आने की जहमत नहीं उठाता। उन्होंने कहा कि कुछ मरीजों की हालत नाजुक हैं। जिनको पहले कोई न कोई बीमारी है, वे कोरोना के कारण हो रही बेकद्री के कारण बेहाल हैं। किसी का कुछ भी दुखता है, दुखता रहे, प्रबंधकों को कोई फर्क नहीं पड़ता। वहां पर मरीजों की सुनने वाला कोई भी नहीं।

वार्ड में सफाई करने को तैयार

नहीं होते कर्मी : डॉ. गुरदीप सिंह

जागरण टीम ने वहां पर तैनात डॉक्टर गुरदीप सिंह से बात की तो वह सभी बातों को टालते नजर आए। उन्होंने कहा कि खाने में देरी इसलिए हो जाती है क्योंकि मरीज 467 हैं और सभी की बारी आने में समय लग जाता है। उन्होंने माना कि केंद्र में सफाई का बुरा हाल है। कोई भी सफाई कर्मी वहां पर सफाई करने को तैयार नहीं है। उन्होंने यह भी माना कि डिस्पोजल की प्लेटें व खाली बोतलें उठाने में थोड़ी देरी हो जाती है।


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