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हरसिमरत बादल की लताड़ के बाद खुली मेयर की बंद आंखें

मेयर बलवंत राय नाथ अकाली पार्षदों और अधिकारियों की आंखें भी तब जा के खुली हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 08 Oct 2019 11:46 PM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2019 06:29 AM (IST)
हरसिमरत बादल की लताड़ के बाद खुली मेयर की बंद आंखें
हरसिमरत बादल की लताड़ के बाद खुली मेयर की बंद आंखें

जागरण संवाददाता, बठिडा : लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल की ओर से अपनी सांसद निधि से जारी गई 15 लाख रुपये की ग्रांट से बनवाए गए बेंचों की घटिया क्वालिटी को लेकर अकाली-भाजपा शासित नगर निगम के मेयर बलवंत राय नाथ, अकाली पार्षदों और अधिकारियों की आंखें भी तब जा के खुली हैं, जब हरसिमरत ने शिकायत मिलने पर खुद इस मामले में उनको लताड़ लगाई। लोकसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ के लिए यह बेंच चुनाव से पहले रखे गए थे, लेकिन इतने माह तक मेयर सहित अकाली-भाजपा पार्षदों ने इनकी घटिया क्वालिटी पर आंखें ही बंद रखीं थीं। लेकिन इन बेचों की घटिया क्वालिटी की पोल भी अपने ही पार्षदों ने खोली है। वह भी इसलिए चूंकि इन्हें बांटने में उनके साथ बंदरबांट की गई थी। कितनी दिलचस्प बात है कि अगर यह बंदरबांट न की गई होती तो शायद यह मामला दोबारा बनीं केंद्रीय मंत्री हरसिमरत के दरबार में भी न पहुंचता और घटिया क्वालिटी के बेंच यूं ही शहर के पड़े रहते।

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दिल्ली में दो माह पहले हुई थी हरसिमरत से शिकायत गौरतलब है कि पूर्व केंद्र सरकार के कार्यकाल के अंतिम दिनों में लोकसभा चुनाव से पहले हरसिमरत की ओर से अपनी सांसद निधि से 15 लाख रुपये की ग्रांट जारी की गई थी, ताकि शहर की पार्कों एवं सार्वजनिक स्थानों पर उनके नाम के इन बेंचों को रखा जा सके। चूंकि चुनाव आचार संहिता लागू होने वाली थी और जल्दबाजी में इसका टेंडर एक फर्म को जारी कर दिया गया। चुनाव में सियासी लाभ को जल्दबाजी में करीब 11 लाख रुपये के 337 बेंच बनवाकर बंदरबांट कर दी गई। हालांकि इस बंदरबांट पर उसी समय पार्षदों में रोष पैदा हो गया था। लेकिन बेंचों की अगली खेप आने पर उसमें उनकी नाराजगी दूर करने का आश्वासन देकर उन्हें शांत करवा दिया गया। अकाली पार्षदों ने भी लोकसभा चुनाव के चलते सार्वजनिक रूप में कड़ा विरोध जताना उचित नहीं समझा। कुछ ही माह में बेंचों की घटिया क्वालिटी भी सामने आ गई। उधर, अपने ही अकाली पार्षदों में बंदरबांट का रोष भी खत्म नहीं हुआ था। आखिरकार करीब दो माह पूर्व जब शहर के पार्षदों को नई दिल्ली में संसद भवन देखने के लिए बुलाया गया तो नाराज कुछ पार्षदों ने इसकी शिकायत केंद्रीय मंत्री के पास कर दी। करीब एक माह पहले हरसिमरत ने मेयर सहित निगम अधिकारियों को घटिया क्वालिटी को लेकर लताड़ लगाई तो उनका आंखें खोलना मजबूरी बन गई। नए बेंच फिनिशिग और क्वालिटी चेक करके लेंगे मेयर बलवंत राय नाथ ने अकाली-भाजपा के चार पार्षदों की सब कमेटी का गठन कर इसकी क्वालिटी चेक करने का निर्देश दिया। इस उपरांत करीब 15 दिन पहले कमेटी सदस्यों व निगम अधिकारियों ने रोज गार्डन में रखे हुए कुछ बेंच चेक किए तो वे बेहद निम्न स्तरीय क्वालिटी के पाएंगे। कमेटी के सदस्य पंकज अरोड़ा मानते हैं कि बेंच अत्यंत घटिया क्वालिटी के हैं। जब इनकी डिलीवरी हुई थी तो न जाने किसी न क्यों नहीं चेक किए। वह बताते हैं कि ठेकेदार को अब इन सभी बेंचों के स्थान पर अच्छी क्वालिटी के नए बेंच बनाकर देने को कहा है। उनके अनुसार नए बेंच उनकी फिनिशिग और क्वालिटी चेक करके ही लिए जाएंगे। हमेशा उठाते हैं क्वालिटी का मुद्दा, लेकिन नहीं सुनते

सीनियर डिप्टी मेयर तरसेम गोयल कहते हैं कि वह हमेशा से क्वालिटी का मुद्दा उठाते आ रहे हैं। वह चाहे ट्री गार्ड का मामला हों या फिर मिन्नी टिप्परों की खरीद का। लेकिन किसी पर इन बातों का कोई असर नहीं होता। यह बेंच बनवाने से पहले भी उन्होंने एफएंडसीसी की बैठक में इनकी फिनिशिग व क्वालिटी से कोई समझौता न करने की बात कही थी। क्योंकि यह लोगों की सुविधा के लिए सार्वजनिक स्थानों पर रखे जाने थे। इनका खूबसूरत और सुविधाजनक होना लाजिमी था। लेकिन किसी ने नहीं सुनीं।


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