हेलो, मैं कैप्टन अमरिदर सिंह बोल रेहां..
गांवों में सेहत विभाग की टीमों के हो रहे विरोध के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह आए आगे रिकॉर्डड कॉल से कर रहे जागरूक
-गांवों में सेहत विभाग की टीमों के हो रहे विरोध के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह आए आगे, रिकॉर्डड कॉल से कर रहे जागरूक जागरण संवाददाता, बठिडा : 'हेलो। मैं कैप्टन अमरिदर सिंह बोल रेहां हां। पिछले कुछ दिनां तो कई पिडा विच जो साडे डॉक्टर जांदे हण, ओहनां दी विरोधता हो रई ए। लोग टेस्ट नहीं करवा रहे। मौसम दा बहाना लगाके भज्ज रहे हण। देखो जदों लोकां कोल डॉक्टर जाके टेस्ट करणनगे तांही, पता लगेगा कि कोई बीमारी है या नहीं। जदों असीं अस्पताल जाने आं, ओदों ज्यादा देर हो जांदी है ते ओथे खतरा वी होर वध जांदा है, जित्थे कई वार बीमारी वी समझ नई आंदी। पर जे रिपोर्ट पॉजिटिव आ जांदी है तो पहली वार मरीज नूं अस्पताल नइ लैके जांदे, उसनूं घर भेजदे ने। जित्थे ओनूं जरूरत दी दवाई वी दित्ती जांदी है। ते हुण की असीं आपने पंजाब नूं बचाउन लई ऐना वी नई कर सकदे। सानूं सब नूं मिलके डॉक्टरां दा सहयोग करना चाहिदा।' ग्रामीण इलाकों में कोरोना टेस्ट व जागरूकता फैलाने के लिए पहुंच रही टीमों के लगातार विरोध के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह रिकॉर्डड कॉल से लोगों को अपील कर रहे हैं। 53 सेकेंड की इस ऑडियो में लोगों को कह रहे हैं कि वे टेस्ट से न घबराएं। ज्यादातर यह कॉल ग्रामीण इलाकों में रह रहे लोगों के पास पहुंची। .इसलिए करनी पड़ी कॉल
कोरोना के नाम पर अंग निकाले जाने की अफवाहों के बाद ग्रामीण डरे हुए हैं। किसान संगठनों से मिलकर लगातार प्रस्ताव पारित कर रहे हैं। उन्होंने सेहत विभाग की टीमों के अपने गांवों में घुसने पर पूर्ण रोक लगा दी है। बठिंडा की गोलेवाला, ढिपाली, संगरूर जिले के गांव दीदारगढ़, गांव काकड़ा समेत दर्जन पंचायतों प्रस्ताव पारित कर चुकी हैं। उनका कहना है कि गांव में किसी का भी कोरोना टेस्ट नहीं करवाया जाएगा। अगर कोई संदिग्ध लगता है तो उसका इलाज व एकांतवास पंचायत व परिवार की ओर से ही करवाया जाएगा। अगर फिर भी कोई टीम गांव में आकर चेकअप करने की कोशिश करती है तो उसका विरोध किया जाएगा, जिसकी जिम्मेवारी प्रशासन की होगी। अफवाह के कारण फैल रही बीमारी
प्रशासन की ओर से सरकार तक मैसेज भेजा जा रहा है कि अफवाह के कारण मेडिकल टीमों को लोग गांवों में नहीं घुसने दे रहे। वे टेस्ट नहीं करवा रहे और बीमारी फैला रहे हैं। अस्पताल पहुंचने तक देर हो चुकी होती है और खून में ऑक्सीजन की मात्र ज्यादा कम होने से उनकी मौत हो जाती है।