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दो महीनों से नहीं मिला पेंशनों का बजट, दफ्तरों के चक्कर काट रहे बुजुर्ग

पंजाब के लाखों वृद्धों को जिला सामाजिक सुरक्षा दफ्तर में पेंशन लेने के लिए काफी परेशान होना पड़ता है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 06:00 AM (IST)
दो महीनों से नहीं मिला पेंशनों का बजट, दफ्तरों के चक्कर काट रहे बुजुर्ग
दो महीनों से नहीं मिला पेंशनों का बजट, दफ्तरों के चक्कर काट रहे बुजुर्ग

जागरण संवाददाता, बठिडा : पंजाब के लाखों वृद्धों को जिला सामाजिक सुरक्षा दफ्तर में पेंशन लेने के लिए काफी परेशान होना पड़ता है। मात्र 750 रुपये लेने के लिए वृद्ध लोग कभी दफ्तरों तो कभी बैंकों के चक्कर काटते हैं। लेकिन उनको पेंशन कब मिलेगी यह किसी को पता नहीं होता, क्योंकि जहां भी जाते हैं यही जवाब मिलता है कि पेंशन सीधा उनके बैंक खाते में आएगी। लेकिन कब जाएगी यह पता नहीं। यहां तक कि पेंशन का तो दो महीने से बजट ही नहीं आया। उनको सितंबर तक पेंशन मिली है, जिसके बाद नवंबर व दिसंबर की उनको कोई पेंशन नहीं मिली। हालात तो यह हैं कि जिले में कुल 1.24 लाख के करीब पेंशनर्स हैं। इसके अलावा अगर किसी ने अपनी काटी हुई पेंशन की जांच करवानी है तो उसको घंटों यहां पर लाइन में खड़े होकर इंतजार करना पड़ता है।

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सरकार की ओर से पेंशनर्स को लेकर करवाए गए सर्वे के बाद काटी गई पेंशनों के चलते ही यह हालात पैदा हुए हैं। इसके साथ अब जिनकी पेंशन कट गई है वह बार-बार दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। नेताओं के लिए पेंशन सिर्फ एक वोट का जरिया है। मगर वह नेता जो चुनाव लड़ कर रिटायर्ड भी हो चुके हैं, उनकी पेंशन कभी भी नहीं रुकती। बेशक वृद्धों की पेंशन पिछले 28 साल के मुकाबले साढे़ छह गुणा और नेताओं की पेंशन डबल हो गई है। लेकिन इन दोनों की पेंशन में पहले ही 75 गुणा का अंतर है। वृद्धों को समय पर नहीं मिलती पेंशन

पेंशनर्स के मुकाबले में पूर्व विधायकों व पूर्व सांसदों की पेंशन कभी भी नहीं रुकती। इधर वृद्धों को कभी पेंशन समय पर नहीं मिलती। जहां तक कि पूर्व विधायकों की पेंशन जब बढ़ती है तो उसकी कोई चर्चा नहीं होती, मगर बुढ़ापा पेंशन के राजनीतिक ढोल पहले ही बजने शुरू हो जाते हैं। कैप्टन सरकार में बुढ़ापा पेंशन 2500 रुपये कर देने का वादा किया था, मगर जुलाई 2017 से बुढ़ापा पेंशन 500 से बढ़ाकर 750 कर दी गई, जिसको भी लेने के लिए बुजुर्गों को परेशान होना पड़ता है। 28 साल में इतनी पड़ा पेंशन में अंतर

1990 में बुढ़ापा पेंशन 100 रुपये थी, जो 1992 में 150 रुपये हो गई और 1995 में 200 रुपये हो गई। इसके फिर 11 साल बाद 2006 में 200 से 250 हो गई और इसके 10 साल बाद 2016 में 500 की गई, जो अब कैप्टन सरकार के समय 750 रुपये दी जा रही है। चुनावों से पहले 2500 रुपये करने का वादा किया था। दूसरी तरफ पंजाब के करीब 250 पूर्व विधायकों को पेंशन मिल रही हैं, जिसमें कभी देरी नहीं होती। पूर्व विधायकों को साल 1995 में फैमिली पेंशन के तौर पर 500 मिलते थे, जो मई 2015 से पूर्व विधायकों को यह पेंशन 7500 रुपये मिलती थी। वहीं 15 मई 2015 में सरकार ने पूर्व विधायकों की प्राथमिक पेंशन में बढ़ोतरी कर 10 हजार कर दी थी। इसके बाद गठबंधन सरकार ने अक्टूबर 2016 में पूर्व विधायकों की पेंशन बढ़ाकर 15 हजार कर दी और अब समेत सभी भत्तों को मिलाकर पूर्व विधायकों को 45 हजार रुपये महीना पेंशन मिलती है। पंजाब के करीब आधा दर्जन तो ऐसे पूर्व विधायक हैं जिनको डबल पेंशन मिलती है। क्योंकि यह पूर्व विधायक सांसद रह चुके हैं, जिसके चलते अब इनको सांसद व विधायक दोनों की पेंशन मिल रही है।


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