महिला मरीज की हालत गंभीर, ब्लड बैंक ने कहा, दो दिन बाद मिलेगा खून
ब्लड बैंक पर इमरजेंसी मामलों में मरीज को रक्त उपलब्ध न करवाने के आरोप लगे हैं।
जासं,बठिडा: सिविल अस्पताल बठिडा का सरकारी ब्लड बैक आए दिन अपनी कारगुजारी के कारण चर्चा में रहता है। कुछ माह पहले थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआइवी पाजिटिव खून चढ़ाने को लेकर काफी विवाद हुआ, जबकि अब उस पर इमरजेंसी मामलों में मरीज को रक्त उपलब्ध न करवाने के आरोप लगे हैं।
दरअसल, सिविल अस्पताल में दाखिल 23 वर्षीय महिला सोनी निवासी प्रताप नगर के शरीर में रक्त की मात्रा सिर्फ छह ग्राम रह गई थी, जिस कारण महिला की हालत गंभीर हो गई। ढाबे पर काम करने वाले महिला के पति अली को डाक्टरों ने तुरंत रक्त का इंतजाम करने को कहा। महिला के पति ने समाजसेवी संस्था नौजवान वेलफेयर सोसायटी से रक्त का प्रबंध करवाने के लिए संपर्क किया। संस्था सदस्य दीपक सिघाल अस्पताल पहुंचे तो ब्लड बैंक में मौजूद महिला कर्मी ने कहा कि ब्लड दो दिन बाद मिलेगा। दीपक ने संस्था अध्यक्ष सोनू माहेश्वरी से उसकी बात करवाई तो महिला कर्मी ने बताया कि ब्लड बैंक में एलाइजा टेस्ट कम से कम 15 यूनिट एकत्र होने पर लगाया जाता है और अब तक ब्लड बैंक में सिर्फ तीन यूनिट ब्लड ही डोनेट हुआ है। इसके बाद दीपक सिंघाल ने निजी अस्ताल जाकर रक्तदान किया और उक्त महिला मरीज को उपलब्ध करवाया। वहीं संस्था ने ब्लड बैंक तथा सेहत विभाग की इस नकारा कार्यप्रणाली पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि सेहत विभाग को जरूरतमंद मरीजों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए तुरंत इस गंभीर समस्या का समाधान करना चाहिए।
उधर, ब्लड बैंक की इंचार्ज डा. रितिका गर्ग ने कहा कि उन्होंने पीड़ित मरीज को रेपिड टेस्ट किए यूनिट लेकर जाने की बात कही थी, लेकिन वह दोबारा रक्त लेने नहीं आया। लोग सरकारी ब्लड बैंक में आकर कम ही रक्तदान कर रहे हैं, जबकि लेने वालों की संख्या ज्यादा है। इसलिए जो रक्त यूनिट एलाइजा टेस्ट करके रखे जाते हैं, वह कुछ समय में खत्म हो जाते हैं। एक एलाइजा टेस्ट पर पांच से छह घंटे का समय लगता है, जिस कारण यह परेशानी आ रही है।