अब एम्स बठिंडा में भी होगा ब्लैक फंगस का टेस्ट
कोरोना के बाद ठीक हो चुके जो मरीज आंखों की बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं।
जागरण संवाददाता, बठिडा: कोरोना के बाद ठीक हो चुके जो मरीज आंखों की बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं, उनको ब्लैक फंगस है या नहीं? इसकी पुष्टि अब एम्स के डाक्टर भी करेंगे। बठिडा के एम्स में ब्लैक फंगस के टेस्ट करने के लिए लैब तैयार कर दी गई है। एक-दो दिन में टेस्ट शुरू हो जाएंगे। रोजाना 50 टेस्ट करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे पहले पंजाब के लुधियाना में ब्लैक फंगस के टेस्ट होते थे। एम्स में टेस्ट शुरू होने से बठिडा के अलावा आसपास के इलाकों को काफी सुविधा मिलेगी।
मौजूद समय में बठिडा के एम्स में हर रोज पांच से छह मरीजों के ब्लैक फंगस के आप्रेशन किए जा रहे हैं। एम्स में गुरदासपुर, फरीदकोट, होशियारपुर, अमृतसर के मरीज भी रेफर होकर आ रहे हैं। एम्स के डाक्टरों का दावा है कि यहां पर उनके पास सिर्फ वही मरीज आ रहे हैं, जो तीसरी स्टेज में पहुंचे हैं। अगर कोई मरीज पहली स्टेज पर आकर इलाज करवाता है तो उसकी जान को काफी हद तक बचाया जा सकता है। फिलहाल लैब का सिस्टम सेट होने के बाद हर रोज 50 टेस्ट करने का टारगेट है। दिनों में नहीं, घंटों में फैलती है ब्लैक फंगस: डा. गुप्ता
डा. सतीश गुप्ता का कहना है कि कोरोना के समय ज्यादा स्टेरायड लेने या कमजोर इम्युनिटी वाले मरीज जल्द ब्लैक फंगस की चपेट में आ जाते हैं। कैंसर, एचआइवी या शूगर वाले मरीजों को ज्यादा खतरा रहता है। एम्स में गंभीर हालत के मरीजों का आप्रेशन कर उनकी जान बचाई जा रही है। हालांकि कोशिश होती है कि पहले मरीज को दवा के साथ ठीक किया जाए। जरूरत पड़ने पर ही आप्रेशन किया जाता है। उन्होंने यह भी दावा कि ब्लैक फंगस की बीमारी दिनों में नहीं बल्कि घंटों में ही फैलती है।