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गार्बेज फ्री सिटी की फाइव स्टार रेटिग को डेकरालेशन फार्म भरवाने में जुटा निगम

गार्बेज फ्री सिटी की फाइव स्टार रेटिग हासिल करना नगर निगम के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 Dec 2020 06:06 PM (IST)Updated: Sun, 13 Dec 2020 06:59 PM (IST)
गार्बेज फ्री सिटी की फाइव स्टार रेटिग को डेकरालेशन फार्म भरवाने में जुटा निगम
गार्बेज फ्री सिटी की फाइव स्टार रेटिग को डेकरालेशन फार्म भरवाने में जुटा निगम

सुभाष चंद्र, बठिडा : गार्बेज फ्री सिटी की फाइव स्टार रेटिग हासिल करना नगर निगम के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। ऐसा वर्ष 2019-20 में यह रेटिग हासिल करने में बुरी तरह से नाकाम रहने के चलते है। लेकिन इस बार निगम यह दर्जा हासिल करने के लिए हर कोशिश में जुटा है। विभिन्न कार्यों के साथ-साथ अब निगम के कर्मचारी पिछले तीन दिन से महानगर के लोगों से डेकलारेशन फार्म भरवाने में जुटे हुए हैं। जोकि यह लिखकर दे रहे हैं कि उन्हें स्वच्छता सर्वेक्षण प्रतियोगिता से संबंधित तमाम शर्तों की जानकारी है और बठिडा इन शर्तों को पूरा करता है। बठिडा निगम गार्बेज फ्री सिटी की फाइव स्टार रेटिग हासिल करने का हकदार है। नगर निगम की ओर से डेकलारेशन फार्म भरवाने के लिए दो-दो कर्मियों की 25 टीमों को मैदान में उतारा हुआ है। इनमें नगर निगम की सेनीटेशन शाखा के कर्मचारी, स्वच्छ भारत मिशन के सदस्य और निगम के डाटा आपरेटरों को लगाया हुआ है। अगर नगर निगम केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की टीम के निरीक्षण के दौरान अपने दावों को सच साबित करने में सफल हो जाता है, तो उसे गार्बेज फ्री सिटी का रुतबा हासिल हो जाएगा। इसके स्वच्छ सर्वेक्षण प्रतियोगिता-2021 में 1000 अंक हैं। इसका उसे प्रतियोगिता की राष्ट्रीय स्तर की रैंकिग में बड़ा लाभ होगा। एक वार्ड से 150 लोगों से

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भरवाए जा रहे हैं फार्म

शहर के प्रत्येक वार्ड से 150 से आम बाशिदों से फार्म भरवाए जा रहे हैं। जोकि अपने फार्म में जानकारी दे रहे हैं कि उनके घरों में गीला व सूखा कचरा अलग-अलग रखा जा रहा है। कचरे को निगम के मिनी टिप्पर नियमित रूप से उठाकर ले जा रहे हैं। गीले कचरे को खाद बनाने के लिए कंपोसिट पिट में डाला जा रहा है। इसके अलावा प्रत्येक वार्ड के स्कूल से, बैंक या सरकारी दफ्तर से, सेल्फ हेल्प ग्रुप या समाजसेवी संगठनों से व मोहल्ला सुधार कमेटियों से तीन-तीन फार्म भरवाए जाने हैं। निगम की ओर से जो फार्म भरवाए जा रहे हैं, उन दावों की हकीकत केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की टीम निरीक्षण के दौरान जानेंगी। इनसे भरवाए जा रहे हैं फार्म

1. प्रत्येक वार्ड के 150 आम लोगों से।

2. निजी व सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों से।

3. सेल्फ हेल्प ग्रुप या समाजसेवी संगठन से।

4. मोहल्ला सुधार कमेटियों से।

5. बैंक या सरकारी दफ्तरों से।

इन सवालों के देने हैं जवाब

1. मेरा शहर गार्बेज फ्री सिटी की फाइव स्टार रेटिग की शर्तें पूरी करता है।

2. घरों और व्यापारिक संस्थानों से डोर टू डोर कचरा कलेक्शन हो रही है।

3. शहर में कहीं पर भी इधर-उधर कचरे के ढेर पड़े दिखाई नहीं देते हैं।

5. शहर के सभी बाजारों में लिटरबिन लगे हुए हैं।

6. कामर्शियल इलाकों में दो टाइम सफाई हो रही है।

7 शहर में स्थापित पब्लिक और कम्युनिटी टायलेट्स साफ-सुथरी हैं। पिछले वर्ष विफल रहा था नगर निगम

गार्बेज फ्री सिटी की फाइव स्टार रेटिग के लिए बाजारों में लिटरबिन लगे होने की अनिवार्य शर्त है। इसका मतलब कि बाजारों में लोग लिटरबिन लगे होने के कारण उनमें कचरा फेंकते हैं। पिछले वर्ष गार्बेज फ्री के लिए जब केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की टीम की ओर से निरीक्षण किया गया तो उक्त शर्त में निगम मार खा गया। लेकिन इस बार इस शर्त को पूरा करने के लिए नगर निगम की ओर से शहर भर में नए 150 लिटरबिन स्थापित करने का काम तेजी से चल रहा है।


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