10 हजार पेड़ों ने रोका फोरलेन का काम, कारण ऐसी कोई जगह नहीं जहां लगाए जा सके इससे दोगुना पौधे
एनएचएआइ (नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) की ओर से बठिडा-मलोट रोड को फोरलेन करने का टेंडर निकालने के बाद भी काम शुरू नहीं हो पाया है।
साहिल गर्ग, बठिडा : एनएचएआइ (नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) की ओर से बठिडा-मलोट रोड को फोरलेन करने का टेंडर निकालने के बाद भी काम शुरू नहीं हो पाया है। सबसे मुख्य कारण यह है कि अभी तक रोड पर लगे 10 हजार के करीब पेड़ों को काटने की मंजूरी ही नहीं मिली। जबकि बठिडा से निकलने वाली यह एकमात्र ऐसी रोड है, जिस पर बहुत ज्यादा पेड़ लगे हैं। अगर यह कट जाते हैं तो वातावरण को बहुत ज्यादा नुकसान होगा। क्योंकि एक पेड़ एक साल में दो लोगों के लिए ऑक्सीजन की कमी को पूरा करता है। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इसी रफ्तार से पेड़ काटे गए और नए पेड़ न लगाए गए तो कुछ ही साल में हमारा एरिया जंगल विहिन हो जाएगा। जबकि नियमों के अनुसार अगर एक पेड़ काटा जाता है तो उसकी एवज में दो पेड़ लगाने होते हैं। लेकिन बठिडा में अभी ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां पर पेड़ों को लगाया जा सके। इसके उलट बठिडा में पिछले चार साल के दौरान 50 हजार पेड़ों को काटा जा चुका है। एनएचएआइ ने बठिडा मलोट रोड को फोरलेन करने का भारत माला प्रोजेक्ट के तहत टेंडर जारी किया, जिसकी 20 सितंबर को बिड ओपन हुई। जिसमें प्रोजेक्ट की वैल्यू 315.79 करोड़ रुपये रखी गई। जबकि टेंडर निकलने के बाद एनएचएआइ की ओर से सर्वे किया जा चुका है। वहीं काम शुरू होते ही इसको दो साल में पूरा करने की डेडलाइन भी तय की है। इसके साथ रोड की मेनटेनेंस भी पांच साल के लिए होगी। गौर हो कि इस रोड को बठिडा से फाजिल्का तक फोरलेन किया जाना है, फिलहाल इसका टेंडर मलोट तक हुआ है।
तैयार हो चुकी है डीपीआर
बठिंडा से फाजिल्का तक मलोट-अबोहर के रास्ते से बनने वाली फोरलेन रोड की डीपीआर भी तैयार हो गई है। जबकि कुछ महीने पहले एनएचएआइ की ओर से सर्वे करवाया था, जिसको केंद्रीय सड़क व परिवहन मंत्रालय ने रिजेक्ट कर दिया था। इसमें गिदड़बाहा व मलोट से निकाले गए बॉयपास पर आपत्ति जताई थी। जो सड़क के मानकों के अनुरूप नहीं थी। वहीं लोकसभा चुनाव के कारण इस प्रोजेक्ट को कुछ समय के लिए रोक दिया जिसके बाद अब फिर से इसको पास कर दिया है। दूसरी तरफ रोड के बनने के बाद जहां सफर का समय कम होगा, वहीं फाजिल्का तक बॉर्डर पर आने जाने में भी आसानी होगी। गौर हो कि बठिंडा से मलोट, अबोहर, फाजिल्का तक रोड को फोरलेन करने के लिए किए सर्वे में छह महीने का समय लग था।
रोजाना गुजरते हैं 10 हजार वाहन
इस हाईवे से करीब 10 हजार वाहन प्रतिदिन गुजरते हैं। यहां से लोग बठिडा से मुक्तसर और फाजिल्का जिले में जाने के अलावा राजस्थान के श्री गंगानगर तक पहुंचते हैं। जबकि टू-लेन की सड़क पर आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। इनमें बठिडा के बल्लूआना गांव तो मुक्तसर जिले के दोला थेड़ी गांव के पास अक्सर ही हादसे होते हैं। वहीं अबोहर रोड पर सड़क खराब होने के अलावा तंग होने के कारण हादसों का कारण बनती हैं। इसके साथ ही रोड बनने से कार द्वारा 45 मिनट में पार होने वाला रास्ता भी 35 मिनट का रह जाएगा।
अभी कुछ समय लग जाएगा : डीएफओ
बठिडा-मलोट रोड को फोरलेन करने के लिए पेड़ काटने की अभी तक मंजूरी नहीं मिली है, जिसकी फाइल दिल्ली ऑफिस में भेजी जानी है। इसके लिए तैयारी की जा रही है, जबकि लोक निर्माण विभाग ने इसका सर्वे किया है। वहीं दिल्ली ऑफिस से मंजूरी मिलने के बाद इसको पास कर दिया जाएगा। फिलहाल मंजूरी का इंतजार है।
स्वर्ण सिंह, डीएफओ, बठिडा