Move to Jagran APP

मलेशिया से डिपोर्ट 115 भारतीयों में से 54 लौटे पंजाब, कहा-दवा मांगने पर होती थी पिटाई

मलेशिया से डिपोर्ट किए गए 54 लोग पंजाब लौटे हैं। इन लोगों ने मलेशिया में मिली यातनाओं के बारे में दास्‍तां सुनाई। उन्‍होंने बताया कि बीमार होने पर दवा मांगते थे तो पिटाई होती थी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 09:09 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 09:09 AM (IST)
मलेशिया से डिपोर्ट 115 भारतीयों में से 54 लौटे पंजाब, कहा-दवा मांगने पर होती थी पिटाई
मलेशिया से डिपोर्ट 115 भारतीयों में से 54 लौटे पंजाब, कहा-दवा मांगने पर होती थी पिटाई

बठिंडा, [साहिल गर्ग]। मलेशिया से डिपोर्ट किए गए 13 राज्यों के 115 भारतीयों में से 54 को एयरफोर्स स्टेशन से उनके घरों को रवाना किया गया। ये सभी अवैध तरीके से मलेशिया गए थे। पकड़े जाने पर उन्हेंं जेलों में डाल दिया था। भारत सरकार के प्रयासों से विशेष विमान भेजकर उन्हेंं 10 जुलाई को लाया गया था। कोरोना टेस्ट होने के कारण सभी ने दस दिन का क्वारंटाइन पीरियड पूरा कर लिया है। इनकी रिपोर्ट भी नेगेटिव आई है।

loksabha election banner

युवकों ने सुनाई दर्द भरी दास्तां, कहा-जेल में जख्मों पर लगाते थे नमक

उन्होंने बताया कि खाने में सिर्फ मछली व चावल मिलता था। दवा मांगने पर पिटाई की जाती थी। इन्होंने बताया कि एजेंटों के माध्यम से वे मलेशिया गए थे। कई महीने जेल में रहने के बाद अब वे परिवार से मिलेंगे। उन्होंने कहा कि जेल में उनके हालात ऐसे थे कि वह या तो मौत मांगने थे या फिर यहां की कैद से छुटकारा। 115 लोगों में तीन लोग बठिंडा के थे, जिनको घरों को भेज दिया गया।

54 अन्य लोगों को बस से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व राजस्थान के लिए रवाना किया गया। हालांकि इस बस में जाने वाले ज्यादातर लोग उत्तर प्रदेश के थे। जिला प्रशासन ने बस से सभी को हिसार भेजा गया, जहां से यह अपने-अपने घर ट्रेन से जाएंगे। टिकट की व्यवस्था भी जिला प्रशासन ने की। एसडीएम अमरिंदर सिंह टिवाणा ने बताया कि इन लोगों के पास आने के समय कुछ भी नहीं था। सबको यहां पर खाना देने के अलावा कपड़े व अन्य सामान भी दिया गया।

युवा बोले, थोड़े दिन और जेल में रहते तो खुद ही मर जाते

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर साहा जानहा के चंदगी राम ने बताया कि वह सात साल पहले मलेशिया गया था। उसका काम भी बढिय़ा चल रहा था, मगर बाद में उसको गैरकानूनी घोषित कर जेल में बंद कर दिया। अब परिवार से मिलकर अच्छा लगेगा। उत्तर प्रदेश के जिला गोरखपुर के तिकारिया पांडेपुरा, बनगांव के अखिलेश कुमार ने बताया कि एक साल बढिय़ा काम किया। पिछले सात महीनों से जेल में था। वहां पर किसी को चोट भी लग जाती तो दवाई दिलाने की बजाए जख्मों पर नमक लगा दिया जाता था। एक बार तो ऐसा लगा कि मौत आ जाए।

हरियाणा के फतेहाबाद के अम्मानी के जगदीश सिंह ने बताया कि जेल में खाने में सूखी मछली व थोड़े से चावल दिए जाते थे, जो खाने लायक नहीं थे। अगर कोई इसको खाने से मना करता तो पिटाई की जाती। अगर कुछ समय और वहां पर रहते तो अपने आप ही मर जाते।

उत्तर प्रदेश के जिला महाराजगंज के बदहाररजा गांव के शिवपूजन कुमार ने बताया कि जब आए तो पैरों में चप्पल तक नहीं थी। यहां पर पैसे, खाना और कपड़े मिले। अब घर जाने की खुशी है। अब घर पर ही रहकर काम करेंगे। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के सतीश कुमार ने बताया कि एजेंट ने धोखा दिया। जेल में लगा अगर ऐसे ही जीना है तो मौत ही आ जाए। वहां की जेल में रहना किसी नर्क से कम नहीं है।

यह भी पढ़ें: हौसला था ..और रेत में बसाया खुशियों का चमन, हरियाणा के किसान ने लिखी कामयाबी की नई कहानी


यह भी पढ़ें: रेहड़ी पर चाय बेचने वाले पर निकला पाैने 51 करोड़ का बैक लोन, जानें कैसे हुआ खुलासा

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.