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दो साल में 41 किसानों ने जान दी, एक को मिला रेडक्रॉस से मुआवजा

पंजाब सरकार की ओर से एक लाख से ज्यादा किसानों की कर्ज माफी का दावा किया जा रहा है। लेकन जमीनी हकीकत कुछ और ही हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Mar 2019 11:22 PM (IST)Updated: Thu, 28 Mar 2019 06:30 AM (IST)
दो साल में 41 किसानों ने जान दी, एक को मिला रेडक्रॉस से मुआवजा
दो साल में 41 किसानों ने जान दी, एक को मिला रेडक्रॉस से मुआवजा

साहिल गर्ग, बठिंडा : पंजाब सरकार की ओर से एक लाख से ज्यादा किसानों की कर्ज माफी का दावा किया जा रहा है। लेकन जमीनी हकीकत कुछ और ही हैं। मुआवजे के लिए किसानों के परिवारों को लंबा संघर्ष करना पड़ रहा है। किसान के खुदकुशी के कई साल बाद भी मुआवजे की राशि पीड़ित परिवारों तक नहीं पहुंची है। सबसे दुखद पहलू तो यह है कि जिन किसानों के पीड़ित परिवारों ने किसान की मौत के बाद मुआवजा लेने के लिए अप्लाई किया, उनके केसों पर चार से पाच साल बाद सुनवाई

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कर उनको रद ही कर दिया। इसके बारे में जब परिवार के लोग प्रशासन से पूछते हैं तो उनको कोई जवाब नहीं दिया जाता। कर्ज माफी की लिस्ट में नाम न आने व समय पर मुआवजा न मिलने के कारण किसानों की आत्महत्या में बढ़ावा हो रहा है।

39 किसानों को मुआवजे की राशि मिलने का इंतजार

पंजाब की काग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान दो साल में 41 केस पास किए गए हैं, जिनमें से सिर्फ अभी तक एक ही किसान के परिवार को ही पाच लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है। जबकि यह राशि भी सरकार ने अपनी तरफ से नहीं, बल्कि जिला प्रशासन की तरफ से रेडक्रॉस फंड से दी गई है। इसके अलावा एक अन्य किसान के केस पास होने के बाद तीन लाख रुपये की राशि मंजूर हुई है, लेकिन किसान के परिवार के कागजों की जाच पड़ताल होने के कारण उसको रोका हुआ है। इसी प्रकार एक ओर किसान के मुआवजे के 3 लाख रुपये सरकार से मिल चुके हैं, जिनको अभी तक किसान को नहीं दिए गए। इसके अलावा बाकी 38 किसानों को अभी भी एक करोड़ 27 लाख रुपये का मुआवजा मिलने का इंतजार है। मगर यह पैसे कब मिलेंगे, इसके बारे में कोई स्थिति क्लियर नहीं है।

2014 में 18 किसानों ने की थी खुदकुशी, मुआवजा एक को भी नहीं

खुदकुशी पीड़ित किसान परिवारों को मुआवजा देने के लिए सरकार कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा मुआवजा लेने के लिए दिए गए आवेदनों पर पाच साल बाद हुई सुनवाई से लगाया जा सकता है। अकाली भाजपा सरकार के समय खुदकुशिया करने वाले किसानों के परिवारों द्वारा मुआवजे के लिए दिए आवेदनों को अब काग्रेस सरकार ने रद कर दिया। वहीं पीड़ित परिवार इस समय मुआवजा लेने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। जिले में नौ किसान ऐसे हैं, जिन्होंने साल 2013 में कर्ज से तंग आकर खुदकुशी कर ली थी। इन किसानों के परिवारों ने मुआवजा के लिए उस समय आवेदन दिए थे। वहीं 6 आवेदेन ऐसे हैं, जिनका निपटारा पाच साल बाद 2018 में किया गया और इनको किसी न किसी प्रकार के बहाने बनाकर रद कर दिया गया। इसके अलावा तीन आवेदनों की सुनवाई चार साल बाद 2017 में हुई, जिनको भी कोई कारण बताकर रद कर दिया। वहीं जिले में 18 किसान ऐसे हैं, जिन्होंने साल 2014 में खुदकुशी थी। मगर साल 2017-18 में कमेटी ने आवेदनों की सुनवाई करते हुए उक्त परिवारों को मुआवजा देने से इंकार कर दिया।

कमेटी ने आवेदन को ही कर दिया रद

किसान मिट्ठू सिंह पुत्र दाना सिंह वासी रामा ने 3 अप्रैल 2014 को कर्ज के कारण खुदकुशी कर ली थी। उनके परिवार ने अप्रैल महीने में ही सरकार को मुआवजे के लिए आवेदन किया। जिस पर चार साल बाद सुनवाई हुई तो आवेदन को रद कर मुआवजा देने से इंकार कर दिया। इसी प्रकार किसान लखविंदर सिंह पुत्र बंत सिंह वासी चाओके ने कर्ज कारण 30 सितंबर 2014 को आत्महत्या की, जिनके परिवार ने मुआवजे के लिए आवेदन दिया तो चार साल बाद उसको रद कर दिया। इसी प्रकार किसान बिल्लू सिंह पुत्र मुख्तियार सिंह वासी माहीनंगल ने 11 दिसंबर 2014 को कर्ज के कारण खुदकुशी की, जिनके परिवार द्वारा अकाली भाजपा सरकार के समय आवेदन किया गया। लेकिन इसको साल 2018 में रद कर दिया। वहीं 18 किसान ऐसे हैं, जिन्होंने साल 2014 में खुदकुशी तो की, मगर इनको साल 2018 में रद कर दिया।

2017 में 77 किसानों ने की थी खुदकुशी

कर्ज व आर्थिक तंगी से परेशान 77 किसानों व मजदूरों ने साल 2017 में खुदकुशिया की। इनमें 23 किसानों को मुआवजे के लिए मंजूरी तो दी गई, लेकिर अभी तक किसी को मुआवजा नसीब नहीं हुआ। बेशक कैप्टन अमरिंदर सिंह विधानसभा चुनावों से पहले किसानों से वादा किया था कि वह कुछ समय खुदकुशिया न करें, जो उनकी सरकार बनने के बाद खुदकुशिया रोकने का पक्का हल करेंगे। मगर उनकी सरकार के एक साल के कार्यकाल के दौरान ही जिले के 77 किसानों ने आत्महत्या कर ली।


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