फरीदकोट के डीसी व एसएसपी को सस्पेंड किया जाए
जासं, ब¨ठडा मुख्यमंत्री कैप्टन अम¨रदर ¨सह और जांच आयोग के अध्यक्ष मेहताब ¨सह गिल के निर्देश को
जासं, ब¨ठडा
मुख्यमंत्री कैप्टन अम¨रदर ¨सह और जांच आयोग के अध्यक्ष मेहताब ¨सह गिल के निर्देश को फरीदकोट के एसएसपी व डीसी ठेंगे पर रखते हैं। उनकी मिलीभगत के चलते तीन महीने बाद भी आरोपियों के खिलाफ अब तक कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे अफसरों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने के साथ उन्हें सस्पेंड किया जाना चाहिए।
ये मांग पत्रकार नरेश कुमार सहगल ने की। वो प्रेस क्लब में पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने बताया कि 1999 में उनकी शिकायत पर पुलिस ने पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर ¨सह बादल के खिलाफ हत्या के प्रयास के आरोप में केस दर्ज किया था। वो केस आज भी सेशन कोर्ट में विचाराधीन है। उस मामले में 9 जुलाई, 2010 को उनकी अदालत में गवाही थी। मगर उससे एक दिन पहले सुखबीर बादल के निर्देश पर थाना फरीदकोट पुलिस ने नरेश सहगल के खिलाफ डीसी दफ्तर में घुस कर मारपीट और धमकियां देने के आरोप में केस दर्ज कर लिया गया। ताकि वो अदालत में गवाही देने के लिए न जा सकें। नवंबर 2017 में अदालत ने उस झूठे केस से सहगल को बरी कर दिया।
कांग्रेस की सरकार आने पर मुख्यमंत्री कैप्टन अम¨रदर ¨सह ने अकाली भाजपा सरकार द्वारा दर्ज किए गए झूठे केसों की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति मेहताब ¨सह गिल के नेतृत्व में जांच आयोग का गठन किया। उनकी जांच के दौरान पूर्व सरकार के दौर में दर्ज हुए 400 में से 30 केस झूठे पाए गए। जबकि एक केस सुखबीर बादल के कहने पर राजनीति से प्रेरित मिला। अपनी रिपोर्ट में गिल ने लिखा कि नरेश सहगल के खिलाफ शिकायत करने वाले क्लर्क पवन कुमार, जांच अधिकारी एएसआइ जसपाल ¨सह तथा एसएचओ सुखदेव ¨सह के खिलाफ केस दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार किया जाए। इसके अलावा आरोपियों की और से पीड़ित नरेश सहगल को उचित मुआवजा दिलाया जाए। नरेश सहगल का आरोप है कि इस मामले में मुख्यमंत्री भी डीसी और एसएसपी को निर्देश जारी कर चुके हैं। मगर तीन महीने बीत जाने के बाद भी दोनों अधिकारी टालमटोल के अलावा कुछ नहीं कर रहे।
नरेश सहगल ने कहा कि तीनों आरोपियों ने फरीदकोट डीसी के पीए के मार्फत उन्हें एक संदेश भेजा है। जिसमें उनका कहना था कि वो नरेश सहगल को जितना चाहे मुआवजा दे देंगे। मगर वो रिकार्ड में कहीं नहीं आना चाहिए। मगर नरेश सहगल ने यह कह कर उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया कि उन्हें भले ही कुछ न मिले। मगर वो ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को जेल की सलाखों के पीछे भेज कर सांस लेंगे। वो ¨जदगी भर सरकारी नौकरी फिर न कर सकें, उसके लिए भी पूरा इंतजाम करके छोड़ेंगे।