कोरोना के कारण ब्लड में आक्सीजन की कमी से हो रही 15 फीसद मरीजों की मौत
जिले में कोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों की संख्या 8514 हो गई है।
जासं, बठिडा : जिले में कोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों की संख्या 8514 हो गई है। जबकि ठीक होने वालों में 7013 से ज्यादा हैं। शनिवार को 53 संक्रमण के नए मामले सामने आए हैं। इनमें से ज्यादा तरह मरीज बठिडा सिटी के रहने वाले हैं और ज्यादातर में कोरोना के कोई लक्षण नहीं हैं। इनमें पब्लिक डीलिग वाले दफ्तर के अलावा एक जगह लोग शामिल हैं। अब तक जिले में मृतकों की गिनती 190 हो गई है। सेहत विभाग के मुताबिक जिले में नवंबर माह के 30 दिनों में 50 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें 10 से 15 मरीज ऐसे है, जिन्हें कोरोना के अलावा कोई रोग नहीं था। वे एक ही बार संक्रमित हुए और बीमारी से उभर नहीं पाए। नवंबर में मृतकों का आंकड़ा देखें तो 80 फीसदी मरीज 55 से 80 साल वाले रहे। इनमें 85 फीसदी शुगर और ब्लड प्रेशर से संबंधित थे। अभी हालात ऐसे बन रहे हैं कि कोरोना ब्लड में आक्सीजन की कमी कर रहा है।
सिविल अस्पताल के एमडी मेडिसन डा. जयंत अग्रवाल की माने तो कोई भी फ्लू और वायरस सर्दियों में ज्यादा आक्रामक होता है। वायरस एक से दूसरे व्यक्ति से जल्दी ट्रांसमिट होता है। कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक सांस और मुंह से निकलने वाले बारीक ड्राप्लेट के जरिए पहुंचता है। वहीं मरीजों के ज्यादा गंभीर होने का कारण यह भी है कि जिन लोगों को बीपी और शुगर के अलावा अन्य कोई रोग है तो वह पहले ही कमजोर इम्युनिटी झेल रहे होते हैं। ऐसे में बिना मास्क के जब लोग एक-दूसरे के संपर्क में आते है तो पता नहीं चलता कि इंफेक्शन कहां से मिल रहा है। बीते 6 दिनों में संक्रमितों की गिनती 50 से पार रही। अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों में सांस फूलने, गले की खराश और थकावट की ज्यादा शिकायतें आ रही हैं। डाक्टरों का कहना है कि संक्रमण की पुष्टि होने पर जो लक्षण पहले 12 दिन बाद आते थे, वे अब दूसरे और तीसरे दिन ही आ रहे हैं। इसका मुख्य कारण संक्रमित और स्वस्थ्य व्यक्ति का एक्सपोजर ज्यादा होना है। यानी जब कोई स्वस्थ्य व्यक्ति कैरियर स्टेज (बिना लक्षण) के व्यक्ति के संपर्क में आता है तो उससे संक्रमित हो जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण मास्क का इस्तेमाल न करना है। सेहत विभाग का दावा है कि कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो चुकी है। बीते 30 दिनों में 1300 से अधिक लोगों को संक्रमण की पुष्टि हुई है। इनमें 70 फीसदी से अधिक को कोरोना के लक्षण नहीं थे। दूसरी तरफ प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में लेवल-2 के मरीजों की संख्या बढ़ी है जबकि लेवल-3 के मरीजों की हालत पहले के मुकाबले ज्यादा गंभीर हुई है। कुछ मरीज 20 से 23 दिनों तक अस्पताल में दाखिल रहे, लेकिन वह रिकवर नहीं कर पाए। डाक्टरों के मुताबिक गंभीर मरीजों में एक बात और भी सामने आई है कि संक्रमण के दौरान शरीर की ब्लड से आक्सीजन लेने की क्षमता कम हुई है। जिस कारण बाकी अंगों ने काम करना बंद किया। नतीजा वेंटीलेटर जरूरी हो जाता है। इसका बड़ा कारण है कि लोग शुरुआती दिनों में संक्रमण को हल्के में ले रहे है।