निगम की दुकानों के किराए की 140 फाइलें गायब, सकते में अधिकारी
नगर निगम की शहर भर में स्थित दुकानों के किराए की कार्यालय के रिकॉर्ड गायब हो गए।
सुभाष चंद्र, बठिंडा
नगर निगम की शहर भर में स्थित दुकानों के किराए की कार्यालय के रिकॉर्ड से 140 फाइलें गायब हैं। इसको लेकर न केवल रेंट शाखा के कर्मचारी, बल्कि कई अधिकारी भी सकते में हैं। निगम कार्यालय के रिकॉर्ड से फाइलें गायब होने का यह मामला विजिलेंस जाच के लिए रिकॉर्ड जुटाने की तैयारी के दौरान सामने आया है। हालाकि इसकी अधिकारियों और कर्मचारियों में गुपचुप खूब चर्चा हो रही है, लेकिन कोई कुछ भी बताने को तैयार नहीं हैं। जहा निगम कमिश्नर डॉ. ऋषिपाल सिंह कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं, वहीं मेयर बलवंत राय नाथ इस बात की बिलकुल जानकारी न होने की बात कहते हुए मामले से अनभिज्ञता जता रहे हैं। जबकि कई कर्मियों की इसे लेकर नींद उड़ी हुई है।
गौरतलब है कि निगम की 401 किराए की दुकानों की विभागीय विजिलेंस जाच चल रही है। बीते शुक्रवार को निगम की बैठक के दौरान भी कमिश्नर दुकानों के मामले को काफी गंभीर बता चुके हैं।
रिकॉर्ड जुटाने के काम के दौरान मिली जानकारी
सूत्रों के अनुसार फाइलें गायब होने का यह मामला रिकॉर्ड जुटाने के दिए गए आदेश के बाद सामने आया। निगम कमिश्नर की ओर से जब विजिलेंस जाच के लिए रिकॉर्ड तैयार रखने को कहा गया था। इस दौरान ही 140 फाइलें गायब मिलीं। सीनियर विजिलेंस अधिकारी हरबख्श सिंह व महिंदर सिंह की अगुवाई
में विजिलेंस अधिकारी रमनदीप सिंह व ईशान गोयल बीती 21 और 22 जनवरी को
निगम कार्यालय में काफी फाइलों की जाच करके जा चुके हैं। इस दौरान करीब एक दर्जन फाइलें वह अपने साथ भी लेकर गए हुए हैं। जाच का कार्य अभी चल रहा है। निगम के एक-दो अधिकारियों को चंडीगढ़ बुलाकर भी उनसे जानकारी हासिल की जा रही है। विजिलेंस अधिकारी कब कौनसी फाइल चंडीगढ़ मंगवा लें, इसे लेकर निगम अधिकारी गायब फाइलों को लेकर अधिक चिंतित हैं। गायब फाइलों
का निगम के सेवानिवृत हो चुके एक कर्मचारी पर शक जताया जा रहा है। कहा जाता है कि उसके कार्यकाल दौरान काफी कथित गोलमाल हुआ है।
कमिश्नर की सिफारिश पर ही हो रही है जाच
नगर निगम की शहर में विभिन्न स्थानों पर 401 दुकानें हैं। जो लोगों को किराये पर अलॉट की हुई हैं। निगम को इन दुकानों से करीब सवा करोड़ रुपये वार्षिक किराया आ रहा है। लेकिन निगम कमिश्नर की ओर से जब इन दुकानों के किराये का अध्यन किया तो उन्हें इसमें अनेक खामिया नजर आईं। जहा निकाय
विभाग के नियमों के अनुसार प्रत्येक तीन वर्ष के बाद दुकानों के अलॉटीज का एग्रिमेंट रिन्यू होना होता है, वहीं किराये में भी 20 प्रतिशत की वृद्धि होनी होती है। परंतु पिछले करीब दस वषरें से न तो दुकानों के
अलॉटीज से एग्रिमेंट रिन्यू हुआ है और न ही किराये में वृद्धि हुई है। यह जिम्मेदारी न अकेले दुकानदारों की है, बल्कि निगम अधिकारियों की भी है। न तो संबंधित अधिकारियों ने दुकानदारों से एग्रिमेंट रिन्यू करने को कहा और ही दुकानदारों ने स्वयं इस जिम्मेदारी को निभाया है। निगम को पुरानी दुकानों से महज दो-तीन हजार रुपये मासिक किराया ही आ रहा है। निगम को अपनी कुल दुकानों से कम से कम चार करोड़ रुपये से अधिक वार्षिक किराया आना चाहिए, लेकिन मात्र सवा करोड़ रुपये ही आ रहा है। निगम अधिकारियों
द्वारा अपने स्तर पर की गई पड़ताल में यह भी पाया गया कि अनेक अलॉटीज ने दुकानें आगे किराये पर दे रखी हैं। जिनसे वह खुद तो मोटा किराया वसूल कर रहे हैं, लेकिन निगम को मामूली किराया ही अदा किया जा रहा है। इससे निगम को बड़ा चूना लग रहा है। अध्यन के दौरान बड़ा गड़बड़झाला नजर आने पर ही
इसकी विजिलेंस जाच की सिफारिश की गई थी।