युवा सोच ने बदला खेती का नजरिया, स्ट्राबेरी से हर साल 12 लाख रुपये तक की कमाई
44 वर्षीय हरपाल बताते हैं कि उसने महज दो कनाल से स्ट्राबेरी की खेती शुरू की। आज छह एकड़ में उगा रहे हैं। वह साल में 12 लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं।
बरनाला [पूजा सिंगला]। जरा-सी हिम्मत और बहुत सारा साहस। नतीजा, साल में 12 लाख की कमाई और छह महीने बिल्कुल फ्री। यह कहानी है बरनाला के गांव बल्लोके के गांव हरपाल सिंह की। ग्रेजुएशन के बाद नौकरी के लिए हरपाल आम युवाओं की तरह कुछ महीने भटका। कोई पांच हजार दे रहा था तो कोई सात हजार। इतने कम पैसों में परिवार कैसे चलना था, यह बड़ा सवाल था। फिर सोचा विदेश चलते हैं लेकिन घर छोड़ने का मन नहीं माना। परिवार के दबाव में आकर खेती शुरू कर दी।
युवा सोच थी और कुछ करने की चाहत भी इसलिए परंपरागत खेती छोड़ स्ट्राबेरी की खेती का फैसला कर लिया। यहीं फैसला आज लाखों कमाकर दे रहा है और दूसरों के लिए मिसाल भी बना। 44 वर्षीय हरपाल बताते हैं कि उसने महज दो कनाल से स्ट्राबेरी की खेती शुरू की। आज छह एकड़ में उगा रहा है। सारे खर्चे निकालकर उसे प्रति एकड़ दो लाख रुपये की बचत हो जाती है। गेहूं व धान के कारण छोटे किसानों को बर्बाद होता देख उसने इससे दूर रहने की ठानी थी। स्ट्राबेरी का आइडिया एक दोस्त ने दिया। उसके बाद उसने सोलन यूनिवर्सिटी का दौरा किया। वहां जाकर गर्म मौसम में भी स्ट्राबेरी कैसे उगानी है, उसके बारे में सीखा। 2013 में मिशन शुरू किया। आज नतीजा आपके सामने हैं।
कहते थे, बेवकूफी भरा फैसला है
हरपाल की उगाई हुई स्ट्राबेरी आज जालंधर, अमृतसर व चंडीगढ़ समेत हरियाणा की मंडियों में भी जाती हैं। उन्होंने कहा, जब उसने इसकी खेती शुरू की तो लोगों ने कहा, यह बेवकूफी भरा फैसला है। इतनी गर्मी में स्ट्राबेरी कैसे रह पाएगी। अनुकूल मौसम व वातावरण न होते हुए भी उसने यह करके दिखाया। इसे अक्टूबर में लगाते हैं और अप्रैल से पहले तोड़ लेते हैं। बाकी महीनों में कोई भी और खेती कर लेता हूं। उसे फिक्स नहीं रखा। पैकिंग भी परिवार के सदस्य ही करते हैं। पहले-पहले कुछ दिक्कत आई लेकिन अब तो व्यापारी खुद ही ले जाते हैं। कहा, लोगों की बातों में आकर आज भी नौकरी कर रहा होता तो प्रोग्रेसिव किसान न बनता।
...तो कोई किसान कर्ज से नहीं मरेगा
बागवानी विकास अफसर बरनाला डॉ. लखविंदर सिंह, उप निरीक्षक स्वतंत्र देव (एचएसआइ) व फील्ड स्टाफ दरबारा सिंह व कुलदीप सिंह ने मंगलवार को हरपाल के खेतों का दौरा किया। डॉ. लखविंदर सिंह ने लहराती फसल को देख हैरानी जताई। कहा, 'दूसरे किसान भी हरपाल से सीख लें तो कोई किसान कर्ज से नहीं मरेगा और गेहूं-धान के फसली चक्कर से भी बाहर निकल पाएगा। एडीसी जरनल रुही दुग ने भी हरपाल सिंह की सोच की तारीफ की।
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