गोपाष्टमी को लेकर की गो माता की पूजा
गोपाष्टमी के दिन रामबाग गोशाला बरनाला व प्राचीन गोशाला बरनाला में गोमाता की पूजा की।
संवाद सूत्र, बरनाला : गोपाष्टमी के दिन रामबाग गोशाला बरनाला व प्राचीन गोशाला बरनाला में गो माता की पूजा की गई। इस अवसर पर महिलाओं द्वारा कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी के लिए गो माता की पूजा की गई व गोमाता को स्नान करवा करके बछड़े के साथ उनकी पूजा अर्चना करके मनोकामना मांगी गई। पंडित सुरेश शर्मा व हनुमान जी प्रसाद ने बताया कि गोभक्तों व श्रद्धालुओं द्वारा श्रद्धा पूर्वक जल, चावल, तिलक, घोड़ा, जलेबी, वस्त्र, धूप, दीप आदि से आरती उतारकर गोपाष्टमी की गई। सायं काल के समय जब गो माता घास खाकर घर लौटे, तब उनको पूजन कर उनके चरणों की मिट्टी का तिलक लगाना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से दीर्घायु सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण को भी गौ माता को घास चराने के लिए जंगल में भेजा गया था। इसी कारण यह त्यौहार गोपाष्टमी के नाम से प्रसिद्ध है व हिदू धर्म में मनाया जाता है।