जिला प्रबंधकीय परिसर की लिफ्ट पड़ी बंद, सीढि़यां चढ़ रहे बुजुर्ग
करोड़ों की लागत से बने जिला प्रबंधकीय परिसर में एक ही छत के नीचे सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
दीपक कुमार, बरनाला : करोड़ों की लागत से बने जिला प्रबंधकीय परिसर में एक ही छत के नीचे अनेक सरकारी विभागों के आफिस हैं। यहां पर प्रतिदिन लोग अपना काम करवाने के लिए आते जाते रहते हैं। मगर मायूसी की बात यह है कि काम करवाने वाले लोगों को प्रबंधकीय परिसर में बंद पड़ी लिफ्ट के कारण बेहद परेशान होना पड़ा रहा है। उनको सीढि़यों व रैंप के माध्यम से तीसरी व दूसरी मंजिल पर स्थित कार्यालयों में पहुंचना पड़ता है। वहीं जिला प्रशासन ने जब से कोरोना का प्रकोप शुरू हुआ है, तब से लेकर अब तक लिफ्ट बंद रखी हुई है। बेशक जिले में कोरोना वायरस का प्रकोप बेशक कम हो रहा है, जिला प्रशासन के मन में बैठा डर अभी भी लिफ्ट के द्वार खोलने से डर रहा है, कहीं फिर से कोरोना का प्रकोप जिले में बढ़ ना जाए।
जिला प्रबंधकीय परिसर में आई बुजुर्ग माता बलदीप कौर व गुरजीत कौर ने कहा कि वह मनरेगा के काम संबंधी आफिस में आई थी। परिसर में प्रवेश होते ही सबसे पहले वह लिफ्ट के पास पहुंची। जहां पर लिफ्ट बंद का पर्चा देखकर वह घुटने के दर्द को झेलती हुई सीढि़यों के माध्यम से मनरेगा की जानकारी लेने के लिए आफिस में पहुंची। उन्होंने कहा कि लिफ्ट को ठीक कर देना चाहिए, जिससे लोगों बुजुर्गो को परेशानी का सामना न करना पड़े।
लाठी का सहारा लेकर सीढि़यों के रास्ते एकाउंट ब्रांच पहुंच रहे बुजुर्ग मेवा सिंह ने बताया कि वह पहले भी कई दफा परिसर में काम के लिए आते रहते हैं, लिफ्ट बंद होने के कारण उनको काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। अगर जिला प्रशासन के मन में कोरोना का इतना ही खौफ है तो वह लिफ्ट के बाहर एक व्यक्ति की पक्की ड्यूटी लगा दे, जो आने वाले लोगों के हाथों को सैनिटाइज करवाए सेहत विभाग द्वारा दिए निर्देशों की पालना करने के लिए जागरूक करके लिफ्ट में चढ़ने दें। अगर ऐसा करके लिफ्ट शुरू हो जाती है तो फिर लोगों को सीढि़यां व रैंप से छुट्टी मिल सकती है।
एडीसी आदित्य डेचवाल ने कहा कि लिफ्ट कोविड-19 के चलते बंद थी। अब बुजुर्ग व दिव्यांग जो सीढि़यां नहीं चढ़ सकते उनके लिए लिफ्ट शुरू करवा दी जाएगी। मगर लिफ्ट में एक ही व्यक्ति को जाने की आज्ञा दी जाएगी।