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सरकारी विभाग ही पॉवरकाम के सात करोड़ के बकाएदार

हेमंत राजू बरनाला सरकारी विभागों के आफिस में अधिकारी आराम से एसी पंखों व लाइटों का बिल बकाया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 10:39 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 10:39 PM (IST)
सरकारी विभाग ही पॉवरकाम के सात करोड़ के बकाएदार
सरकारी विभाग ही पॉवरकाम के सात करोड़ के बकाएदार

हेमंत राजू, बरनाला : सरकारी विभागों के आफिस में अधिकारी आराम से एसी, पंखों व लाइटों का आनंद लेकर आराम फरमाते हैं, जबकि इसकी बिल की अदायगी करनी उनकी तरफ से जरुरी नहीं समझी जाती, जिससे बिजली बिलों की अदायगी बढ़ती जाती है व पॉवरकाम विभाग नोटिस निकालर कर उनको बिल अदायगी करने के लिए कहता रहता है, लेकिन सरकारी विभागों के अधिकारी इन नोटिसों को कुछ भी नहीं समझते व बदस्तूर बिजली की खपत करते रहते हैं। जबकि यह एरियर लगकर बढ़ता ही जाता है। बताते चलें कि अब कोरोना के कारण जहां सभी व्यापार ठप्प हो चुके हैं, वहीं अब पॉवरकाम ने भी अपना खजाना भरने के लिए पेंडिग पड़े बिजली के बिलों की अदायगी करने के लिए सरकारी विभागों को नोटिस निकालने शुरु कर दिए हैं। क्योंकि पिछले सप्ताह पॉवरकाम विभाग ने जिन भी सरकारी विभागों की तरफ बिजली के बिल पेंडिग पड़े हैं उनको नोटिस निकालकर अदायगी करने के लिए कहा गया है, अगर उनकी तरफ से फिर भी अदायगी नहीं की जाती तो पॉवरकाम विभाग आगे कोई एक्शन लेने के लिए मजबूर हो सकता है। गौर हो कि आम लोगों की तरफ खड़े बिजली बिलों को लेकर भी अब पॉवरकाम विभाग सख्त कदम उठाने का प्रयास कर रहा है।

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पॉवरकाम विभाग के एसडीओ विकास सिगला ने कहा कि बरनाला के सरकारी विभिन्न विभागों की तरफ सात करोड़ रुपये के बिल पेडिग पड़े हैं। तीन करोड़ के करीब सीवरेज विभाग की तरफ बिल पैडिग पड़ा है व 70 लाख रुपये सिविल अस्पताल का बिल अभी भी पैडिग पड़ा है। पिछले सप्ताह जब पॉवरकाम ने सरकारी विभागों के आफिसों को नोटिस जारी किए तो सीवरेज बोर्ड ने 22 लाख रुपये बिल अदा कर दिया था। उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों की तरफ एक वर्ष से बिल पेंडिग पड़े हैं। रही बात आम लोगों के बकाया की तो उनकी तरफ एक करोड़ 75 लाख रुपये के बकाया पड़े हैं, जिनके खिलाफ अब पॉवरकाम विभाग कारवाई शुरु कर रहा है। करीब एक वर्ष का एरियर लगकर सभी उपभोक्ताओं को पहुंच रहा है। वह कोई भी हो, एरियर का मतलब बकाया बिल को नए बिल में शामिल करके भेजना होता है, जिसमें कोई छूट नहीं होती व डेढ़ फीसद ब्याज लगाकर भेजा जाता है।


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