भेदभाव खत्म कर बेटियों की भी मनाएं लोहड़ी
समाज का यह सबसे दुखदायी पहलू है कि लिग भेदभाव के चलते लड़का व लड़की में अंतर समझा जाता है।
संजीव बिट्टू, बरनाला : समाज का यह सबसे दुखदायी पहलू है कि लिग भेदभाव के चलते लड़का व लड़की में अंतर समझा जाता है। प्रत्येक धर्म में महिला को सम्मानीय व महान बताया गया है, परंतु देश में कन्या भ्रूण हत्या का रुझान दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। कुछ लोग सिर्फ लड़कों की खुशी में ही लोहड़ी मनाते हैं, जोकि गलत है। इस संबंध में शहर की बुद्धिजीवी महिलाओं ने दैनिक जागरण से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कन्या भ्रूण हत्या को समाज पर अमिट कलंक बताया। इन महिलाओं ने इस पर चिता व्यक्त करते हुए समाज को इस बुराई से मुक्त करने के लिए लोगों को आगे आने की अपील की है। भेदभाव न करें
अंजना नरवालिया ने कहा कि लड़किया लड़कों से किसी भी क्षेत्र में कम नहीं हैं। हमें लोहड़ी के पवित्र त्योहार पर लड़कियों से भेदभाव नहीं करना चाहिए व लड़कियों की भी लोहड़ी धूमधाम से मनानी चाहिए। लड़कियां बन रहीं प्रेरणास्त्रोत
बीना कांसल ने कहा कि हम सबको मिलकर लड़कियों की लोहड़ी मनानी चाहिए। शिक्षा, राजनीति, खेल व उद्योग जगत में लड़कियों ने विश्व में अपना परचम लहराया है। जिसके लिए महिलाएं आज देश के लिए प्रेरणस्त्रोत बन गई। धार्मिक व सामाजिक संगठन आएं आगे
कंचन बांसल ने कहा कि लड़कियों के जन्म के अवसर पर धार्मिक व समाजिक संगठनों को आगे आकर लड़कियों की लोहड़ी मनानी चाहिए। महिलाएं आज मुख्यमंत्री, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल, स्मृति ईरानी, मैरी काम आदि उदाहरण के पात्र हैं। इन्होंने महिला होकर ही विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई है। सोच बदलने की जरूरत
कविता चीमा व अनु सिगला ने कहा कि लड़कियों ने सेना, सुरक्षा व विभिन्न क्षेत्रों में एतिहासिक बुलंदियों को प्राप्त कर देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने कन्या भ्रूण हत्या पर चिता व्यक्त करते हुए कहा कि लड़कियों के संबंध में हमें अपनी सोच को बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकारी या गैर सरकारी कार्यालय में देखे तो वहां पर महिला कर्मचारियों व अधिकारियों को ही पाएंगे। इससे पता चलता है कि लड़कियां लड़कों के मुकाबले अधिक शिक्षा लेती है। जागरूकता मुहिम चलाने की अपील
सुमन सिगला, सुष्मा गोयल, रोजी वर्मा व मीनू जिदल ने कहा कि समाज सेवीं संगठनों व स्कूल संचालकों को कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ मुहिम चलाकर लोगों को जागरूक करते हुए लड़कियों की लोहड़ी मनानी चाहिए व समाज को लड़कियों के संबंध में अपनी सोच को सार्थक करना चाहिए।